Supreme Court News: भारतीय संस्कृति में अभी नहीं आया वेस्टर्न कल्चर, आज शादी कल तलाक की नहीं चलेगी परंपरा, दोनों पक्षों की सहमति होगी अब जरूरी
नई दिल्ली। शादी के महज 40 दिन बाद एक दंपत्ति तलाक की अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इसमें दुल्हन कनाडा से भारत शादी करने आई थी। पति तलाक चाहता था जबकि पत्नी उसके लिए राजी नहीं थी। इसी मामले की नई दिल्ली में स्थित सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court News) के भीतर सुनवाई चल रही थी। जिसके बाद सुप्रीम फैसला सामने आया है। कोर्ट ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में अभी पाश्चात्य सभ्यता अभी इतनी हावी नहीं हुई है। इसलिए आज शादी और कल तलाक वाली परंपरा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पति—पत्नी को बातचीत करके सुलह करना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 को लेकर प्रावधान का हवाला देते हुए तलाक देने से इंकार कर दिया। यह प्रकरण भारत के कई कोर्ट में विचाराधीन मामलों में प्रभावी होते हैं तो कई परिवार टूटने से बच सकते हैं।
कोर्ट में पति ने यह दी दलील
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा भारत में शादी कोई आकस्मिक घटना नहीं है। हम आज शादी और कल तलाक के इन पश्चिमी मानकों तक नहीं पहुंचे हैं। इसलिए विवाह में जब पत्नी चाहती है शादी बरकरार रहे तो ऐसे में पति की याचिका पर विवाह को भंग करने के लिए कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं करेगा। तलाक के लिए दोनों की सहमति जरूरी होगी। कोर्ट में पति की याचिकाओं को जिसमें शादी को रद्द करने की मांग की गई थी। उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट के जस्टिस संजय के कौल और अभय एस ओका की बेंच ने पति-पत्नी को एक निजी मध्यस्थ के पास भेज दिया। कोर्ट ने कहा कि यह शादी मात्र 40 दिनों तक ही चली थी। कोर्ट ने कहा था कि जोड़े को अपने मतभेदों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। इस मामले में जिसने याचिका लगाई है वह पति संयुक्त राष्ट्र में एक एनजीओ चलाता है। वहीं उसकी पत्नी कनाडा में पीआर का काम करती है।
समाधान के लिए भी उठाया गया कदम
सुनवाई के दौरान पति बार-बार कोर्ट से शादी को रद्द करने की गुहार लगाता रहा। पत्नी ने इस दौरान कहा कि उसने इस शादी के लिए कनाडा में सब कुछ छोड़ दिया। कोर्ट (Supreme Court News) ने कहा कि अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल केवल तभी किया जा सकता है जब विवाह के दोनों पक्ष मेल-मिलाप से अलग हो रहे हों। कोर्ट ने कहा कि शादी के सिर्फ 40 दिन एक-दूसरे को समझने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और एक सफल शादी के लिए पति-पत्नी दोनों को ही मिलकर कोशिश करनी होगी। पीठ ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जज एसजे वजीफदार को इस मामले की सुनवाई के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया और उन्हें मैरिज काउंसलर की सहायता लेने की स्वतंत्रता दी। साथ ही मध्यस्थ से तीन महीने में रिपोर्ट मांगी गई है। यह समाचार इंडिया वन न्यूज वेबसाइट ने दिया है।