Former PM Advice Letter: दो पेज में पूर्व प्रधानमंत्री के यह पांच बड़े जनहित में दिए गए हैं सुझाव
दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक मामलों के जानकार रहे मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। यह पत्र कोरोना महामारी को लेकर रणनीति (Former PM Advice Letter) में सहयोग करने के उद्देश्य से लिखा है। इसमें उन्होंने पांच बिंदुओं पर फोकस करने के लिए कहा है। सरकार के वैक्सीनेशन कार्यक्रम की उन्होंने सीधे तारीफ तो नहीं की लेकिन उसको लेकर बहुत सारे सुझाव उन्होंने मोदी सरकार को दिए हैं।
लोगों को लग रहा है कब सामान्य होगी जिंदगी
कोरोना संक्रमण को दुनिया में फैले हुए एक साल हो चुका है, भारत इससे अभी भी जूझ रहा है। दूसरे शहरों में रहने वाले कई बच्चों ने बहुत लंबे समय से अपने माता—पिता को सामने भी नहीं देखा है। ऐसे ही बुजुर्गो के साथ हो रहा है। जिन्होंने अपने नाती—पोते देख नहीं सके। टीचर अपने बच्चों की कमी महसूस कर रही है। कई लोगों को पलायन करना पड़ रहा है। वहीं कई लोग आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। मौजूदा हालात में जो दूसरी लहर सामने देखने को मिल रही है लोगों को लग रहा है कि कब उनकी जिंदगी सामान्य रुप से होगी। कोविड महामारी से निपटने के लिए बड़ा प्रयास वैक्सीनेशन कार्यक्रम के लिए किया जाना चाहिए।
दस फीसदी वैक्सीन रिर्जव में होना चाहिए
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने पहले उपाय में बताया है कि वैक्सीन उत्पादन करने वाली कंपनी का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाना चाहिए। कंपनी कहां है और किस जगह में उसका उत्पादन कर रही है यह पता होना चाहिए। कंपनी को अगले छह महीने के भीतर लगने वाले वैक्सीन को एडवांस में बताना चाहिए। ताकि कंपनी जिम्मेदारी से वैक्सीन का उत्पादन करने के लिए तैयार हो सके। उन्होंने कहा है कि वैक्सीन वितरण की पारदर्शी व्यवस्था की जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि आपातकाल के लिए वह दस फीसदी वैक्सीन रिजर्व में रखे। यह जानकारी देते हुए राज्य सरकारों को ताकीद करना चाहिए। ताकि वे अपने स्तर पर वैक्सीनेशन की योजना बना सके।
इन्हें लगना चाहिए वैक्सीन
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पत्र में लिखा है कि राज्य सरकारों को लचीला होने का अवसर दिया जाए। उम्र के अनुसार लग रही वैक्सीन में प्राथमिकता फ्रंटलाइन वर्कर के अलावा पेशे के अनुसार भी सुनिश्चित किया जाए। मसलन वकील, स्कूल टीचर, टैक्सी ड्रायवर, निगम कर्मचारी के अलावा पंचायत स्टाफ को भी इसमें शामिल किया जाए। दरअसल, यह लोग सीधे लोगों के संपर्क में आते हैं। ऐसे लोगों को चिन्हित करके वैक्सीनेशन किए जाने की आवश्यकता है।
एचआईवी में अपनाया यह फॉर्मूला
पूर्व प्रधानमंत्री ने इजरायल का उदाहरण देते हुए कहा है कि देश को बहुत अधिक वैक्सीन की आवश्यकता है। हमारे देश में अधिक वैक्सीन का उत्पादन हुआ था। लेकिन हम उसका इस्तेमाल सही तरीके से कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि देश की अन्य वैक्सीन उत्पादन करने वाली कंपनियों को मौका दिया जाना चाहिए। लायसेंस में आने वाली कानूनी पेचिदगियों को दूर करना चाहिए। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार होगा। इससे पहले एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी के वक्त वैक्सीन बनाने के लिए किया गया प्रयास सफल साबित हुआ है।
कुछ समय के लिए मोहलत दें
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि विदेशी वैक्सीन का आयात किया जाना चाहिए। यह बात जनता को भी बताना चाहिए। किस कंपनी ने ट्रायल किया और किन—किन व्यक्ति पर इसका प्रयोग हुआ वह सार्वजनिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूरोपियन मेडिकल एजेंसी और यूएसएफडीए जैसी संस्थाओं से मान्यता लेने वाले एजेंसियों को अनुमति दिया जाना चाहिए। यह कार्य एक सीमित अवधि के लिए किया जा सकता है।