ECI Prejudice Allegation: राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को दखल करने की मांग रखी
दिल्ली। केंद्र शासित प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद मीडिया के सामने आए राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने भारत के निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता (ECI Prejudice Allegation) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि आयोग के सदस्यों के निर्वाचन के मानक तय करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाए। उन्होंने कहा है कि आयोग को भंग करने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेने की मांग रखी है।
चुनाव के दौरान उठाए गए कदम पक्षपातपूर्ण
पूर्व मंत्री आनंद शर्मा (MP Anand Sharma) ने कहा है कि निर्वाचन आयोग के सदस्यों के उठाए गए कदमों की जांच होना चाहिए। सदस्यों के फैसलों से मतदाताओं के विश्वास के साथ धोखा हुआ है। इस सिलसिले में संविधान पीठ बनाकर आयोग की नियुक्तियों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया है कि नियुक्तियों में मानक तय भी किए जाने चाहिए। निर्वाचन आयोग में आयुक्तों की संख्या तय करना चाहिए। पूर्व मंत्री आनंद शर्मा का यह भी आरोप है कि निर्वाचन आयोग 324 में मिले अधिकार का गलत इस्तेमाल कर रहा है। यह पक्षपात पश्चिम बंगाल के चुनावों में भी देखने को मिला। कोविड गाइड लाइन और प्रोटोकॉल का कई बार उल्लंघन हुआ। जिसके लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। इस संबंध में द हिंदू न्यूज वेबसाइट ने एजेंसी के हवाले से यह समाचार प्रकाशित किया है।
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निंदा की बजाय कड़वी दवा समझे आयोग
मद्रास हाईकोर्ट में राजनीतिक रैलियों पर रोक लगाने के लिए यह याचिका लगी थी। इसे परिवहन मंत्री एमआर भास्कर (Minister MR Bhaskar) ने लगाया था। जिसमें 26 अप्रैल को सुनवाई के बाद मद्रास हाईकोर्ट की डबल बैंच के न्यायाधीश संजीव बनर्जी (Justice Sanjiv Benrji) और सेंथिलकुमार राममूर्ति (Justice Senthilkumar Rammurti) ने अपना फैसला सुनाया था। टिप्पणी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। हाईकोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग को फटकारते हुए कहा था कि हत्या का केस चलना चाहिए। सोमवार को इस सिलसिले में सुनवाई हुई। सोमवार को न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड (Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बैंच ने सुनवाई की। आयोग की तरफ से अधिवक्ता अमित शर्मा (Advocate Amit Sharma) उपस्थित हुए थे। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा कि फैसले को कड़वी दवा मानकर उससे सबक लेना चाहिए। मतलब हाईकोर्ट की टिप्पणी को गलत नहीं माना।