मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान से बढ़ी सियासी सरगर्मी
रायपुर। (Raipur) मध्यप्रदेश, राजस्थान के बाद अब छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार पर भी सियासी संकट मंडराने लगा है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी की वजह से कमलनाथ सरकार गिर गई। अब छत्तीसगढ़ में ढ़ाई-ढ़ाई साल के फॉर्मूले पर मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच दूरियां बढ़ने की खबर है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सिंहदेव की नजर सीएम की कुर्सी पर है। वहीं सीएम बघेल के बयान ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है।
सीएम बघेल का बयान
शुक्रवार को सरगुजा के दौरे पर निकले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के तेवर तीखे दिखाई दिए। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘हाईकमान कहेगा तो अभी इस्तीफा दे दूंगा, मुझे पद का मोह नहीं है। सरकार को पांच साल के लिए चुना जाता है, लेकिन हाईकमान कहेगा तो इस्तीफा देकर यहीं से वापस लौट जाऊंगा। लेकिन इस मामले में जो भी गलतफहमी पैदा कर रहा है, वो गलत कर रहा है। ऐसी बातों से प्रदेश का अहित हो रहा है। हाईकमान के निर्देश पर ही सीएम पद ग्रहण किया है। हाईकमान कहेगा तो छोड़ दूंगा। लेकिन इस बात का बतंगड़ बनाने की जरूरत क्या है। छत्तीसगढ़ के विकास को देखते हुए जिनकों तकलीफ हो रही है, वो ऐसी बातें कर रहे है।’
हाईकमान को वादा याद दिलाने दिल्ली गए सिंहदेव !
प्रदेश में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव दिल्ली में डेरा डाले हुए है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सिंहदेव के गढ़ सरगुजा में है। सरगुजा महाराज कहलाने वाले सिंहदेव की अनुपस्थिति में सीएम बघेल का दौरा। या यूं कहे कि सीएम के दौरे से सिंहदेव की दूरी के सियासी मायने निकाले जा रहे है।
ढ़ाई-ढ़ाई साल का फॉर्मूला
15 साल बाद सूबे में सरकार बदली है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की वापसी में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष के तौर पर टीएस सिंहदेव की भूमिका अहम रही। सरकार बनने के साथ ही सवाल उठने लगे थे कि दोनों दिग्गजों में सीएम कौन बनेगा ? हाईकमान के निर्देश पर बघेल ने सीएम पद की और सिंहदेव ने मंत्री पद की शपथ ली थी।
हाईकमान का वादा !
दो नेताओं में से एक को सीएम पद मिला, लिहाजा साफ है कि दूसरे नेता ने कदम पीछे हटाए होंगे। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक हाईकमान ने ढ़ाई-ढ़ाई साल के फॉर्मूले पर सिंहदेव को मना लिया था। यहीं वजह है कि भूपेश सरकार को दो साल पूरे हो गए है। लिहाजा सिंहदेव, हाईकमान को अपना वादा याद दिला रहे है।
हाईकमान पर भरोसा
मुख्यमंत्री के पद को लेकर छिड़ी उठापटक के बीच सीएम बघेल और मंत्री सिंहदेव हाईकमान को ही ढ़ाल बनाते नजर आ रहे है। सीधे तौर पर दोनों ही नेता कुछ भी कहने से बच रहे है। ढ़ाई-ढ़ाई साल के फॉर्मूले और मुख्यमंत्री पद की इच्छा के सवाल पर सिंहदेव कहते रहे है हाईकमान तय करेगा। यानि साफ है कि सिंहदेव की नजर सीएम की कुर्सी पर है। वहीं सीएम बघेल के बयान बता रहे है कि हाईकमान ने ढ़ाई-ढ़ाई साल का वादा किया तो था।
भाजपा की खुशी
कांग्रेस की अंतरकलह का फायदा सीधे तौर पर भाजपा को होता है। यहीं वजह है कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार लौट आयी, राजस्थान में गहलोत सरकार पर संकट आए और अब छत्तीसगढ़ में भी भाजपा को उम्मीदें नजर आने लगी है। ढ़ाई-ढ़ाई साल के फॉर्मूला लागू हुआ तो सीएम बदल जाएगा। कांग्रेस की जमीन कमजोर होगी तो सीधा फायदा भाजपा को होगा।
ब्रजमोहन अग्रवाल का बयान
‘मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में अस्थिरता पैदा करने वाला बयान। कांग्रेस में अंधरूनी उठापटक ज्यादा है। इस प्रकार के बयान कांग्रेस के अंदर से चल रही अंतरकल को उजागर करते है। प्रदेश में प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ गई है विकास रुक गया है। स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच तल्खियां शुरुआत से है। पार्टी दो धड़ों में बंट गई है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष धर्मलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। हस्तक्षेप करना चाहिए।
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