Nepali Community News: हमें तय करना होगा नेपाल को यूक्रेन बनाना है या फिर आत्म निर्भर

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Nepali Community News: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की जगह एमपी की राजधानी भोपाल में जनसभा को संबोधित करने आए पूर्व मंत्री देव प्रसाद गुरुंग का दावा विश्व में एकाधिकार दलाल और पूंजीवाद सक्रिय, किसी भी देश में सरकार गिराने और युद्ध में झोंकने की ताकत रखता है, नेपाल ऐसे ही लोगों से संकटों से जूझ रहा हैं, निपटना हैं तो सभी वामपंथी विचारकों को एक मंच पर वापस आकर लड़ना होगा, वयोवृद्ध पत्रकार हरदेनिया बोले कार्ल मार्क्स की अंत्येष्टि में ग्यारह लोग थे आज विश्व में 11 बिलियन उनके आदर्शों को मानने वाले कार्यकर्ता

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भोपाल में टीटी नगर स्थित समन्वय भवन के सभागार में अभा नेपाली एकता मंच के केंद्रीय सदस्य और नेपाल से आए नेता। चित्र उस समय का है जब जन युद्ध में शहीद हुए लोगों की याद में मौन रखा गया।

भोपाल। नेपाल में राजनीतिक (Nepal Political) अस्थिरता है। हमने कड़े आंदोलन के बाद राजशाही को समाप्त किया। लेकिन, विश्व में अभी एकाधिकार दलाल और पूंजीवाद (Capitalism) सक्रिय हैं। यह वे लोग होते हैं जो किसी भी देश को अस्थिर करने की ताकत रखते हैंं। यह लोग युद्ध में भी झोंक सकते हैं। यह विचार नेपाल में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (Nepal Communist Party News) के महासिचव देव प्रसाद गुरुंग ने व्यक्त किए। वे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अखिल भारतीय नेपाली एकता मंच (Nepali Community News) की केंद्रीय समिति की जनसभा और सांस्कृतिक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह नौवां राष्ट्रीय सम्मेलन था। इस कार्यक्रम में पहले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड (EX PM Pushap Kamal Dahal Prachand) के आने की संभावना थी। लेकिन, उनकी जगह गुरुंग को पार्टी ने भेजा।

नेपाल में दो दल की व्यवस्था घातक होगी

देव प्रसाद गुरुंग (Nepali Leader Dev Prasad Gurung) ने कहा कि नेपाल में दो तरह की समस्या ज्यादा है। उन्होंने इस तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने नेपाल में फैले भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के नेटवर्क को मिटाने का काम डेढ़ साल में किया था। नेपाल में समाजवादी प्रणाली (Socialism) की ​स्थापना करना हमारा लक्ष्य है। जिससे हर नेपाली जनता को हक और अधिकार मिले। हमारा मकसद था कि नेपाली युवाओं को रोजगार, उद्योग लगाना, कृषि में विस्तार करना था। लेकिन, अभी भी सामंतवादी विचारधारा का प्रभाव वहां पर है। नेपाल में जनतंत्र आंदोलन के लिए भारत में रहने वाले नेपाली नागरिकों ने बहुत योगदान दिया है। प्रवास में रहने के बावजूद देश के लिए सोचना इसके लिए सभी बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि नेपाल में अब राजतंत्र (Nepali Monarchy) कभी नहींं लौट सकता। एकाधिकार दलाल और पूंजीवाद के विस्तार को रोकना हमारा लक्ष्य है। विदेशी दलालों से खतरा है जो गणतंत्र को बदलना चाहते हैं। उन्होंने दस साल तक चले जनयुद्ध की याद दिलाते हुए कहा कि यह यूं ही नहीं मिला है। इसकी अहमियत को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विदेशी एकाधिकार दलाल और पूंजीवाद (Foreign Monopolies In Nepal) के नेटवर्क से खतरा है। गणतंत्र बनने के बावजूद हम आत्मनिर्भर बनने के लिए स्रोत होने के बावजूद हम उसका दोहन नहीं कर पा रहे। इसलिए हमारे युवा विदेश जाने के लिए मजबूर है। विदेशी एकाधिकार दलाल को विस्थापित के लिए कृषि तंत्र का विकास लाना होगा। कम्युनिस्ट के नेतृत्व में यह संभव हो सकता है। सदन, संसद और सड़क पर हम उतरकर दिखा भी चुके हैं। नेपाल के लिए राजतंत्र से ज्यादा विदेशी एकाधिकार दलाल और पूंजीवाद से खतरा है। इसलिए सभी वामपंथियों को एक मंच पर आकर राष्ट्रीय सहमति बनाने की भी पहल हमने की थी। लेकिन, कई छोटे—छोटे दल बने वामपंथियों से जुड़े संगठनों के अपने हित और लालच के चलते यह नहीं हो पा रहा है। अब जनता के साथ राजनीति की जा रही है। जनता को जनता से लड़ाया जा रहा है।

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प्रचंड को वामपंथी नहीं दूसरे दल के भी नेता मानते हैं

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समन्वय भवन में अभा नेपाली एकता मंच में शामिल होने वाले कार्यकर्ताओं को माला पहनाकर स्वागत किया गया।

गुरुंग ने कहा कि देश में दो पार्टी का कल्चर (Two Party Culture) पैदा किया जा रहा है। ऐसे में देश का हित नहीं होगा। यह प्रणाली अलग देश बना देगा। इससे हमारे देश के संविधान (Nepali Constitution) पर संकट आ सकता है। ऐसा हुआ तो विदेशी एकाधिकार दलाल और पूंजीवाद सफल हो जाएगा। विश्व युद्ध के लिए टेस्ट किया जा रहा है। जिसमें छोटे—छोटे देश निशाने पर है। बांग्लादेश में जो हुआ वह अच्छा संकेत नहीं हैं। इससे नेपाल की स्वाधीनता पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नेपाल को विदेशी सेना के लिए खेल करने की जगह न बने। ऐसा करने से दूसरे देशों से भी हम नाराजगी मोल ले रहे हैं। नेपाल में अभ्यास के नाम पर दूसरे देशों की सेना को बुलाया जा रहा है। स्वाधीनता और शांति वाला देश बनाना है या फिर यूक्रेन जैसा हाल करना है। हमें लोकतांत्रिक नहीं देश की भी रक्षा करना है। हमें सोचना चाहिए कि लिलि ट्रेंड व्यवस्था चाहिए या फिर किस मॉडल में जाना है। यह सोचने का अभी समय है। हमारी तरफ से प्रयास सहमति बनाने के लिए किए जा रहे हैं। हमारा मकसद एकीकरण है और इसके लिए प्रचंड प्रयास कर रहे हैं। वे वामपंथियों (Leftists Leader) के नेता हैं और निकट भविष्य में वे कामयाब होंगे। हमें सिर उठाकर आगे बढ़ने के लिए एक मंच पर आना होगा। गैर कम्युनिस्ट के बीच में भी प्रचंड लोकप्रिय हो गए हैं। वे आगे बढ़ रहे हैं और सभी को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। वे प्रवासी नेपाली लोगों के बारे में भी सोचते हैं। प्रवास में रहने वाले नेपालियों को भी मतदान का अधिकार कैसे मिले इसके लिए भी चिंतन और मंथन चल रहा है।

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मीडियाकर्मियों को सम्मान लेकिन बैठक व्यवस्था नहीं

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नेपाल से आए कलाकार झनक बूढ़ा मगर सारंगी बजाते हुए, जिन्हें हर व्यक्ति अपने मोबाइल पर कैद करना चाह रहा था।

कार्यक्रम में भारत में कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े अलग—अलग पार्टी के नेता भी शामिल हुए। इसमें शैलेंद्र शैली (Shailendra Shailey), विजय के अलावा वयोवृद्ध पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया (Veteran Journlist Lajjashankar Hardeniya ) ने भी संबोधित किया। हरदेनिया ने ​कहा कि मैं वामपं​थी वाले देश वियतनाम (Vietnam), क्यूबा (Cuba), नेपाल गया हूं। उन्होंने कहा कि नेपाल में राजशाही समाप्त होने के बाद ही असली आजादी ​मिली है। नेपाल में जब क्रांतिकारी आंदोलन हो रहा था तब नेपाल के राजा के लिए न्यूयार्क में हिंदू सम्मेलन (Hindu Convention) होने जा रहा था। लेकिन, उससे पहले नेपाल में तख्तापलट हो गया। नेपाल में अब हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि इंसानों का राज है। ऋषि लुईटेल (Rishi Luitel) ने बताया जब नेपाल में जन युद्ध (Nepal People’s War) चल रहा था तब भारत में राजतंत्र के खिलाफ बोलने वालों पर पोटा लगाया गया था। संगठन को प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके बावजूद हरदेनिया ने नेपाली नागरिकों की आवाज को उठाने का काम किया था। कार्यक्रम में नेपाली मूल के भारतीय पत्रकार को भी सम्मानित किया गया। हालांकि इस दौरान कार्यक्रम में कवरेज के लिए आए मीडिया प्रतिनिधियों के लिए उचित स्थान का अभाव रहा। जिस कारण पूरे कार्यक्रम में रिपोर्टिंग करने के दौरान कई तरह की बाधाएं उत्पन्न हुई। कार्यक्रम का समापन रंगारंग नाच से संपन्न हुआ। इस बीच नेपाल से आए कलाकार झनक बूढ़ा मगर ने सभी नेपाली नागरिकों का दिल जीता। खासतौर पर उन्होंने विदेश जाने के बाद सारंगी बजाते हुए कटाक्ष करके नेपाल के व्यवस्थाओं की पोल खोली। इसके बाद अब बदले संगीत के रुप को सभी राजनीतिक दलों के नाम लेकर एक ही परिवार के कई सदस्यों की उसमें भूमिका को बताकर उन्होंने हंसा—हंसाकर लोटपोट किया।

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