Fisheries Company Scam : मछली पालन के नाम पर सैंकड़ों किसानों से लाखों रुपए लेकर चंपत हुए आरोपी
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज क्राइम ब्रांच से मिल रही है। यहां गुड़गांव से संचालित मछली पालन कराने वाली कंपनी (Fisheries Company Scam) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस कंपनी के खिलाफ द क्राइम इंफो ने मुहिम चलाई थी। इस मुहिम के तहत चार किस्तों में कंपनी के सारे फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। कंपनी ने सैंकड़ों किसानों से करोड़ों रुपए जमा करके धोखाधड़ी की है। इस फर्जीवाड़े में भाजपा के विधायक भी फंस गए थे।
लालघाटी में था कंपनी का दफ्तर
द क्राइम इंफो की टीम ने इस कंपनी के खिलाफ 22 जून को पहली किस्त प्रकाशित की थी। यह कंपनी चिटफंड पैटर्न पर किसानों को धोखा दे रही थी। भोपाल क्राइम ब्रांच में कंपनी के खिलाफ धारा 420/409/34 के तहत केस दर्ज किया गया है। जिसमें पुलिस ने आरोपी विजेन्द्र कश्यप (Vijendra Kashyap), धर्मेंद्र ठाकुर और प्रहलाद शर्मा (Prahlad Sharma) को आरोपी बनाया है। यह एफआईआर 6 जुलाई की रात लगभग आठ बजे दर्ज की गई। कंपनी का दफ्तर लालघाटी स्थित सिटी वॉक मॉल में दूसरी मंजिल पर था। इससे पहले कई किसानों ने कई जगह अपनी फरियाद लगाई थी। लेकिन, उनकी सुनवाई नहीं की जा रही थी। इन्हीं सब बातों को लेकर हमारी तरफ से यह पहल हुई थी। जिसके खुलासे पर गुड़गांव पैटर्न पर बनी दूसरी कंपनियां भी भोपाल में खुल गई है।
कई लोग संदेहियों की सूची में शामिल
पुलिस ने इस मामले की एफआईआर कपिल दुबे पिता नंदकिशोर उर्फ किशोर दुबे उम्र 36 साल की शिकायत पर दर्ज किया है। वह अशोका गार्डन स्थित सेमरा का रहने वाला है। उसने गुडगांव की फिश फॉरच्यून प्रोड्यूस कंपनी के खिलाफ एएसपी क्राइम ब्रांच को आवेदन दिया था। उसने बताया कि विजेन्द्र कश्यप कंपनी के संचालक हैं। जबकि धर्मेंद्र ठाकुर (Dharmendra Thakur) और प्रहृलाद शर्मा (Prahlad Sharma) प्रमोटर थे। एक अन्य आरोपी मनोज कटारे (Manoj Katare) की भी इस फर्जीवाड़े में भूमिका है। हालांकि पुलिस का कहना है कि अभी वह संदेहियों की सूची में हैं। इसके अलावा कई अन्य भी संदेहियों की सूची में हैं। आरोपियों ने कांट्रैक्ट फॉर्मिंग के नाम पर धोखाधड़ी किसानों के साथ प्रदेश स्तर पर की है।
यह भी पढ़ें: डैम से मछली चोरी करने पर महिला को मिली मौत की सजा!, जानिए पूरी कड़वी कहानी
चेक होने लगे थे बाउंस
किसानों से कंपनी करार के तहत उनकी जमीन पर तालाब खोदकर मछली पालन का अनुबंध करती थी। इस योजना में शामिल होने के लिए किसानों से पांच लाख और 11 लाख रुपए दो अलग—अलग स्कीम में से एक लेने पर जमा करना होता था। जिसके बाद तालाब में मछली के बच्चे डालने से लेकर, उसके रखरखाव, बिजली का खर्चा कंपनी को उठाना था। किसान को तालाब की खुदाई के लिए भी 50 हजार रुपए जेसीबी मशीन के लिए देने होते थे। ऐसा करने पर 45 दिन बाद कंपनी ने 60 से 75 हजार रुपए महीने के भुगतान का करार किसानों से किया था। भरोसे के लिए कंपनी किसानों को पोस्ट डेटेट चैक भी देती थी। लेकिन, जब अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन हुआ तो वह बाउंस होने लगे।
कई कंपनियां खुल गई
कंपनी की तरफ से यह करार हुआ था कि तालाबों की सुरक्षा के लिए चौकीदार, पानी का इंतजाम और बिजली के बिल मिलाकर आठ हजार रुपए का भी भुगतान उसको करना था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। कंपनी ने कहा था कि मछली पालन के बाद उससे मिलने वाले फायदा वह लेगी। इस फर्जीवाड़े के शिकार कपिल दुबे के अलावा शैलेन्द्र चतुर्वेदी, अनंत त्रिवेदी, अब्दुल नफीस, शांतनु खत्री, विदिशा निवासी कपिल दुबे, यशपाल तिवारी, धनराज सिंह, आलोक खत्री समेत कई अन्य किसान हुए। इसी कंपनी की तर्ज पर मानसरोवर में भी देवेंद्र जायसवाल (Devendra Jaisawal) ने एडीसी नाम से कंपनी खोली है। वह भी मछली पालन का काम करती है। जहां कमीशन को लेकर हुए विवाद के बाद मारपीट की घटना हुई थी। हालांकि इस कंपनी का मामला अभी थाने नहीं पहुंचा है।
खबर के लिए ऐसे जुड़े
हमारी कोशिश है कि शोध परक खबरों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके लिए कई विषयों पर कार्य जारी है। हम आपसे अपील करते हैं कि हमारी मुहिम को आवाज देने के लिए आपका साथ जरुरी है। हमारे www.thecrimeinfo.com के फेसबुक पेज और यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें। आप हमारे व्हाट्स एप्प न्यूज सेक्शन से जुड़ना चाहते हैं या फिर कोई घटना या समाचार की जानकारी देना चाहते हैं तो मोबाइल नंबर 7898656291 पर संपर्क कर सकते हैं।