Bhopal Cop News: राजधानी में दूसरे राज्यों, जिलों के बदमाश आकर डाल रहे डेरा, नेटवर्क पर निगरानी करने वाली एजेंसी के पास नहीं है कोई वर्किंग प्लान, लूट, चोरी, घोटालों से लेकर हर बड़े अपराध में बाहरी तत्वों का सीधा कनेक्शन
भोपाल। महादेव एप घोटाला, तमिलनाडू (Tamilnadu) के बदमाशों की लूट समेत दर्जनों ऐसे मामले हैं जिनके तार भोपाल (Bhopal Cop News) शहर की कानून व्यवस्था से सीधे जुड़े थे। इन मामलों में पुलिस ने आरोपियों का खुलासा कर दिया। लेकिन, भोपाल शहर की सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा संभालने वाली पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली की कई एजेंसियां एक्सपोज हो गई। यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे। आप इस समाचार ध्यान से पूरा पढ़िए। जिसके बाद यह अहसास हो जाएगा कि वाकई प्रणाली में काफी आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता हैं।
यहां से शुरु हुई व्यवस्था बेपटरी होती चली गई
एमपी में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (EX CM Shivraj Singh Chouhan) ने पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली की शुरुआत की थी। शहर में आठ—आठ अलग विंग बनाकर डीसीपी बैठाए थे। इसमें डीसीपी क्राइम और डीसीपी इंटेलीजेंस भी थे। जब से यह व्यवस्था शुरु हुई तब से लेकर अब तक विभागवार बने यूनिट और उसके समन्वय बनाने को लेकर कोई सिरा किसी को भी समझ नहीं आ रहा। आलम यह है कि पुलिस कमिश्नरेट के अधीन विभागों के बंटवारे अलग—अलग हैं। लेकिन उनके सारे स्टेनो—रीडर के दफ्तर एक ही जगह हैं। कुछ ऐसी ही खिंचड़ी क्राइम ब्रांच और इंटेलीजेंस के बीच हो गई हैं। नतीजा शहर में पिछले एक महीने के भीतर में हुई कई सनसनीखेज वारदातें। यदि भोपाल पुलिस कमिशनरेट प्रणाली में अभी भी सुध नहीं ली तो मैदानी पोस्टिंग के लिए अफसर—कर्मचारी किनारे होगा।
भोपाल से दुबई का हर बात में सीधा कनेक्शन
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को कार्गों हब बनाने की योजना है। जिसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहल की थी। लेकिन, उससे पहले शहर और उसकी जनता के सिक्योरिटी को स्थापित करने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। क्यों कार्गो हब बनने से पहले भोपाल संगठित क्राइम का हब बनता जा रहा है। ईडी ने महादेव एप्प (Mahadev App Scam ) मामले का खुलासा किया था। जिसका मुखिया दुबई (Dubai) में बैठकर छत्तीसगढ़ सरकार की नींव खोद रहा था। उस मामले के भी तार सीधे भोपाल से जुड़े थे। ऐसा नहीं है कि यह पहला मौका हो। इसके बाद पिपलानी थाने में एलयूसीसी चिटफंड कंपनी (LUCC Chitfund Scam) की शिकायत हुई थी। उस वाले मामले में भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। अब दो साल बाद यूपी की पुलिस ने राजधानी के होटल तिलकराम (Hotel Tilakram) के संचालक के भाई को चिटफंड स्कैम में गिरफ्तार किया। यह करीब दो हजार करोड़ रुपए का है। जिसका अधिकांश पैसा भोपाल शहर में जमीनों (Bhopal Land Scam) को खरीदने में लगा। इसका भी मास्टर माइंड दुबई में बैठकर करोड़ों रुपयों की डील कर रहा था।
भोपाल पुलिस को घेरा तो सरकार चुप रही
पिछले दिनों चार ईमली में रहने वाले प्रदेश के पूर्व मंत्री जयवर्द्धन सिंह (EX Minister Jaiwardhan Singh) के सरकारी बंगले में चोरी हुई थी। इस मामले के दो आरोपी हबीबगंज थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिए। अभी एक आरोपी फरार है। गिरफ्तारी की जानकारी मीडिया में नहीं आई थी। उससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (EX CM Digvijay Singh) ने सोशल साइट एक्स पर ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने सरकार को कानून व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए लिखा ‘थानों की बोली’ लगती है। इस मामले में भोपाल सीपी और उनके बीच बहस चर्चा का विषय बन गई। लेकिन, भाजपा पार्टी अपनी ही सरकार की व्यवस्थाओं के खिलाफ बचाव में सामने नहीं आई।
इंटेलीजेंस सिर्फ इनकी कर रहा मुखबिरी
सोशल साइट पर भोपाल सीपी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच हुए संवाद से सभी वाकिफ है। इधर, 22 अगस्त को कांग्रेस हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenberg Report Protest) को लेकर जोरदार प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। इस दिन पुलिस और कांग्रेस के बीच आमना—सामना होना तय हैं। तब मीडिया के साथ—साथ कांग्रेस के नेताओं की भी नजर रहेगी। इंटेलीजेंस के पास बहुत बड़ा विजन होता है। उसके पास कई स्तर पर निगरानी के लिए कार्य योजना होती हैं। लेकिन, भोपाल पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली का इंटेलीजेंस होने वाले धरने—प्रदर्शन, विरोधी पाटियों के नेताओं के मूवमेंट, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की गतिविधियों की रिपोर्ट बनाने तक सीमित रह गया हैं। जबकि राजधानी में सिमी, नक्सली से लेकर बांग्लादेशी आतंकी गिरफ्तार हो चुके हैं।
यह है वह घटनाएं जिस कारण पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली हो रही एक्सपोज
गोविंदपुरा थाना क्षेत्र स्थित एमपी—एमएलए की निजी कॉलोनी रचना टॉवर (Rachna Tower Loot) में 11 लाख रुपए लूट की सनसनीखेज वारदात हुई थी। जिसके पुलिस ने सभी आरोपी पकड़ लिए हैं। साजिश बैतूल (Betul) में रहने वाले आरोपी मदन सेन ने रची। उसने यूपी के बागपत में रहने वाले बदमाश संजय कश्यप (Sanjay Kashyap) को लूट की वारदात करने की सुपारी दी थी। रचना टॉवर में पूर्व विधायक और सांसदों के निजी बंगले हैं। वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं थे। इसके अलावा शराब कंपनी का दफ्तर था। इन दोनों बातों की खबर इंटेलीजेंस को ही नहीं थी। उसी दफ्तर में डबल मर्डर करने वाला मुख्य आरोपी जॉब करता था। यह भी बात पुलिस महकमे को पता नहीं थी। इसी तरह अयोध्या नगर थाना क्षेत्र में जैन ज्वैलर्स (Jain Jwellors) में लूट की वारदात हुई। इसके सभी बदमाशों का सुराग पुलिस को मिल गया। गिरोह गुना (Guna) जिले से राजधानी में आकर वारदात करने के बाद पुलिस व्यवस्था की पोल खोलते हुए भागा था। इस गिरोह का मुख्य साजिशकर्ता जमील भोपाल में ठहरा था। जबकि गुना जिले के कुख्यात गिरोह का मूवमेंट कई दिनों से राजधानी में चल रहा था। वह भी तब जब प्रदेश में स्वतंत्रता दिवस समारोह जैसी तैयारियां चल रही हो। इसके अलावा भोपाल क्राइम ब्रांच ने सोनू राय नाम के कुख्यात बदमाश को उसके चार साथियों के साथ दबोचा। पूछताछ के बाद वाहन चोरी की 29 वारदातों का खुलासा किया। पुलिस ने वाहन गिरवी रखने और खरीदने वाले आठ अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया। सोनू राय राजनीतिक रैलियों में भाग लेता था। उसने 29 वाहन चोरी में से सिर्फ एक वाहन चोरी दो साल पहले कोलार रोड इलाके में की थी। बाकी सारी वारदातें दूसरे जिलों में अंजाम दी गई थी। इसके बावजूद दो साल तक किसी भी एजेंसी को गिरोह की भनक नहीं लगी।
कोई नहीं बचा, शत प्रतिशत हुई है रिकवरी
इंटेलीजेस फैल्योर और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कटाक्ष मामले में पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र से बिंदुवार घटनाक्रमों को बताने के बाद उनसे प्रतिक्रिया मांगी गई। वे पहले सोचे फिर बोले ‘वारदातें हुई है लेकिन उनमें शत—प्रतिशत आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई है। इतना ही नहीं हम शत—प्रतिशत माल बरामद करने में भी सफल हुए हैं। पिछले साल की तुलना में क्राइम कंट्रोल ज्यादा बेहतर रहा हैं। हां यह जरुर है कि हम वाहन चोरियों को रोकने में नाकाम हुए हैं।’
(सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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