झारखंड की लड़कियों का राजस्थान में हो रहा था यौन शोषण, मध्यप्रदेश में खुला राज
भोपाल। 16 साल की दो लड़कियों के यौन शोषण (Minor Girls Raped) की कहानी आपको झकझोर कर रख सकती है। झारखंड की नाबालिगों का राजस्थान में 6 महीनें तक यौन शोषण होता रहा। लड़कियों के परिवार की गरीबी का खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। चंद रुपयों की खातिर माता-पिता ने अपनी बेटियां एक ठेकेदार को सौंप दी। लेकिन वो दरिंदा निकला। उसने न केवल लड़कियों को बंधुआ मजदूर बनाया बल्कि उनका यौन शोषण और सामूहिक दुष्कर्म (Minor Girls Raped) भी किया।
4 हजार रुपए में सौंप दी बेटियां
झारखंड के डाल्टनगंज में रहने वाली अंजली और कविता (परिवर्तित नाम) को मोंटू नाम के ठेकेदार ने कथित तौर पर खरीदा था। मोंटू ने अंजली और कविता के माता-पिता को झांसा दिया था कि वो दोनों नाबालिगों को राजस्थान के भीलवाड़ा में काम दिला देगा। इसकी एवज में उसने लड़कियों के परिजन को 4 हजार रुपए भी दिए थे। गरीबी की मजबूरी और माता-पिता की सहमति के आगे अंजली और कविता विरोध भी न कर सकी। दोनों मोंटू के साथ भीलवाड़ा पहुंच गई। जहां मोंटू ने उन्हें एक फेक्ट्री में काम पर लगा दिया। यहीं से उनका यौन शोषण शुरु हुआ।
दिन में 16 घंटे काम और 8 घंटे का यौन शोषण
6 महीने पहले अंजली और कविता फैक्ट्री पहुंची थी। जहां उनसे रोज 16 घंटे काम कराया जाता था। इसके बदले में उन्हें दो वक्त का खाना दिया जाता था। बाकि बचे 8 घंटे में 4 दरिंदें उनके जिस्म से खेलते थे। ठेकेदार मोंटू, उसका दोस्त चंद्रकांत और 2 लड़के अंजली और कविता को रोज अपनी हवस का शिकार बनाते थे। फैक्ट्री का काम खत्म हो जाने के बाद दोनों को फैक्ट्री के उस हिस्से में ले जाया जाता था जो खंडहर हो चुका था। सुनसान इलाके में ले जाकर उनके साथ बलात्कार किया जाता था। चारों आरोपी उनके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म करते थे। 6 महीनें तक लगातार दोनों लड़कियों का यौन शोषण होता रहा। इस दौरान उनकी माता-पिता से बात तक नहीं कराई गई। उन्हें फैक्ट्री से बाहर निकलने की अनुमति भी नहीं थी। मतलब उन्हें कैद करके रखा गया था।
ऐसे पहुंची भोपाल
लेकिन एक दिन अंजली और कविता को इस दलदल से निकलने का मौका मिल गया। रात के वक्त चारों दरिंदे शराब पीने में व्यस्त थे। नशे में झूम रहे थे। उसी दौरान अंजली और कविता उनके चंगुल से भाग निकली। दोनों किसी तरह चित्तौड़गढ़ पहुंची। जहां से वो भोपाल जाने वाली ट्रेन में सवार हो गई। ट्रेन चलने के बाद उन्हें पता चला कि वो भोपाल जा रहीं है। लड़कियां बहुत घबराई हुई थी। लिहाजा उनके पास बैठे एक यात्री ने उनसे बातचीत की। दोनों ने अपनी आपबीती उस यात्री को सुना दी। जिसके बाद उसी शख्स ने लड़कियों को भोपाल में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) जाने की सलाह दी और पता बताया।
ऐसे हुआ खुलासा
18 मई को अंजली और कविता भोपाल पहुंची और सीडब्ल्यूसी के दफ्तर में एक पर्ची पर अपनी दास्तां लिखकर अधिकारियों को सौंप दी। जिसे पढ़कर अधिकारियों के होश उड़ गई। जिसके बाद भोपाल से भीलवाड़ा पुलिस को मामले की जानकारी दी गई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि आरोपी फरार है उनकी तलाश की जा रही है।