दबंगों ने लूटी थी नाबालिग की अस्मत, बाल आयोग के दखल के बाद दर्ज हुआ मामला
राजगढ़। एक तरफ राज्य सरकार दावा कर रही है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों (Crime Against Woman) पर त्वरित एक्शन लिया जा है, फास्ट ट्रैक कोर्ट (Fast Track Court) में मुकदमे चलाए जा रहे है। वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के राजगढ़ (Rajgarh) में गैंगरेप (Gang Rape) का शिकार हुई नाबालिग (Minor) की दो महीने तक रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की गई। दबंगों की दबंगई के आगे पुलिस लाचार हो गई। मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) को दखल देना पड़ा, तब जाकर सोमवार को एफआईआर दर्ज हो सकी। अब लाज बचाने के लिए पुलिस ने तेजी दिखाई है, दो आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है।
राजगढ़ जिले के सुठालिया थाने के अंतर्गत आने वाले गांव में दो माह पहले गैंगरेप (Rajgarh Gang Rape) का शिकार हुई नाबालिग के मामले में सोमवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने महत्वपूर्ण निर्देश दिए। प्राप्त जानकारी के अनुसार पीडिता को दो माह पहले गांव के दबंग उसके घर से उठाकर ले गए थे और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था। जानकारी के मुताबिक मामले में दो दिन पूर्व तक एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई थी, लेकिन जैसे ही राष्ट्रीय बाल आयोग की बैंच की सुनवाई की बात सामने आई एक दिन पहले ही मामले में तुरंत एफआईआर की गई। मामला दंबगों से जुड़ा होने के कारण स्थानीय पुलिस ने इसमें हाथ ना डालना ही बेहतर समझा। हालांकि, परिवारजनों की तरफ से इसकी कोई पुष्टि अभी नहीं की गई है, लेकिन आयोग के मुताबिक दो माह तक एफआईआर दर्ज न होना भी जांच का विषय है। बता दें मामले में एक नाबालिग आरोपी भी शामिल है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए अनेक बिन्दुओं पर जांच के साथ ही अन्य निर्देश भी दिए हैं। आयोग से मिली जानकारी के अनुसार इन दो माह में आरोपियों के परिजन ने भी पीडिता और उसके परिवार को डराया-धमकाया है। आयोग ने उनके विरूद्ध कार्यवाही के निर्देश देते हुए पूरे गांव को बैठाकर समझाइश दी है कि पीडिता के साथ किसी भी तरह का बुरा बर्ताव या किसी भी तरह का दबाव किसी के भी द्वारा बनाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी। मामले में आयोग ने एजुकेशन डिपार्टमेंट को बच्ची के पुर्नवास के लिए भी निर्देश दिया है क्योंकि सोशल प्रेशर के कारण वहां पीडिता स्कूल नहीं जा पा रही है।
इसके साथ ही आरोपियों को लेकर भी आयोग ने विभिन्न विभागों को निर्देश दिए हैं। आरोपी में से एक नाबालिग है, इसके आयु परीक्षण के साथ ही आयोग ने कहा है कि चूंकि बलात्कार जघन्य अपराध है इसलिए जेजे कोर्ट इसमें आरोपी पर बालिग की तरह ही मुकदमा चलाए। आयोग ने मामले में डिस्ट्रीक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को कहा है कि पॉक्सो स्पेशल कोर्ट में मामले की फास्ट्रेक सुनवाई हो। इसके साथ ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से भी यह अनुरोध किया है कि पीडिता को कानूनी मदद दिलवाई जाए, जिससे आरोपियों की जमानत न हो सके। आयोग के अनुसार यह एक मिसाल कायम करने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है यदि बिना जमानत दिलवाए एक निश्चित समायावधि में केस की हियरिंग कंप्लीट करवाई जा सके।
मामले में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि ”हम जब पीडिता और उसके परिवार से मिले तो स्पष्ट हुआ कि वह बेहद डरे-सहमे हैं। जब गांव को बैठाकर, परिवार के सामने उनसे बात की उसके बाद परिवार की हिम्मत थोड़ी खुली है। इस केस में अभी अनेक चीजें निकलकर आना बाकी है, जो धीरे-धीरे परिवार की हिम्मत खुलने के बाद ही सामने आएगी”।
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