पुलिस की एफआईआर के बाद सील टूटने की भेजी जानकारी, विवादों में फंसे आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त
भोपाल। (Bhopal Crime News In Hindi) मध्य प्रदेश में माफिया के साथ मिलीभगत (Lock Down Mafia Case) के मामले में 16 अप्रैल को भोपाल पुलिस पर आरोप लगे थे। इन आरोपों के बाद आनन—फानन में एक टीआई को लाइन अटैच करके दो सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया गया था। अब इस मामले (Bhopal Wine Smuggling Case) में नया पेंच सामने आ गया है। पूरे मामले को विवादों में डालकर आबकारी विभाग के अफसर शराब माफिया को बचाने की जुगत में जुट गए है। पूरी कहानी को विस्तार से समझिए की जहां आबकारी को पहले आना था वहां अब वह बचाव के लिए क्यों कूद रही है।
यह है मामला
मंगलवार रात गांधी नगर थाने के नजदीक शराब दुकान खुली थी। जिसे देखकर थाने के दो सिपाही योगेन्द्र (Constable Yogendra) और योगेन्द्र पहुंच गए थे। शराब दुकान से माल निकालकर कार में लोड की जा रही थी। यह कार किसी गणेश परमार (Ganesh Permar) के नाम पर रजिस्टर्ड है। लेकिन, इन सिपाहियों को गांधी नगर थाने के तत्कालीन प्रभारी बहादुर सिंह रेंगर (TI Bahadur Singh Renger) ने छोड़ने के लिए कहा था। इस कार्रवाई का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद सिपाहियों को सस्पेंड तो टीआई को लाइन हाजिर कर दिया गया था। गांधी नगर थाना पुलिस ने इस मामले में शराब दुकान के ठेकेदार किशन आसुदानी के खिलाफ मामला भी दर्ज किया था। इस सांठगांठ के मामले में दो सिपाही बलि के बकरे बन गए। लेकिन, अफसर से लेकर उनके आका पर कोई आंच भी नहीं आई। वहीं किसी ने भी इस मामले में कोई नियमानुसार कार्रवाई भी नहीं की।
अब यह आया पेंच
इस पूरे मामले में आबकारी विभाग शुरु से लेकर आखिर तक चुप रहा। मीडिया में मामला सामने आने के बाद आबकारी विभाग (Bhopal Excise Department) ने गांधी नगर थाना पुलिस को एक पत्र भेजकर वह बुरी तरह से फंस गया। सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे (Excise Officer Sanjeev Dubey) ने www.thecrimeinfo.com (द क्राइम इंफो डॉट कॉम) से बातचीत करते हुए बताया कि दुकान की सील टूट गई थी। जिसकी जानकारी पुलिस थाने को भेज दी गई है। संजीव दुबे से जब यह पूछा गया कि पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया है तो क्या ठेकेदार का लायसेंस सस्पेंड होगा तो वे ठेकेदार का बचाव करते नजर आए। इस मामले में एसपी नॉर्थ भोपाल शैलेन्द्र सिंह चौहान (SP Shailendra Singh Chouhan) ने (द क्राइम इंफो) से कहा कि जिस दिन एफआईआर दर्ज की जा रही थी उस दिन आबकारी विभाग का कोई बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं आया। पुलिस को आबकारी नियमों की जानकारी नहीं थी। इसलिए लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंसिग का मुकदमा दर्ज किया गया। यह मुकदमा पुलिस ने दर्ज किया है जबकि मौके पर एडीओ आए थे और वे पंचनामा बनाकर चले गए थे। उनकी तरफ से एफआईआर के लिए कोई आवेदन नहीं दिया गया। बाद में उनकी तरफ से पत्र भेजा गया है जो एफआईआर में शामिल कर लिया जाएगा।
हम लायसेंस सस्पेंड करने की रखेंगे मांग
इस पूरे मामले में पेंच यह भी है कि जिस कार से शराब ले जा रही थी वह मारुति कार में लोड थी। उस कार में भाजपा के झंडे के रंग का स्टीकर भी लगा हुआ था। मामला साफ था कि शराब ठेकेदार को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। हालांकि भाजपा प्रवक्ता दुर्गेश केशवानी (Durgesh Keswani) ने कहा ऐसा कुछ नहीं है। किशन आसुदानी (Kishan Asudani) का भाजपा से कोई लेना—देना नहीं है। वह अफसरों से मिलीभगत करके भारतीय जनता पार्टी को बदनाम करने की साजिश कर रहा है। केशवानी (BJP Spoke Person) ने कहा कि हम इस मामले की शिकायत आबकारी विभाग के अफसरों से करेंगे। मामले की निष्पक्ष जांच करने और ठेकेदार का लायसेंस सस्पेंड करने की मांग की जाएगी।
अपील
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