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ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन तहसीलदार समेत 46 व्यक्तियों के खिलाफ नामजद की एफआईआर दर्ज,
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कलेक्टर की रोक के बावजूद फर्जी तरीके से अपने रिश्तेदारों और परिचितों के नाम कर दी थी जमीन
रीवा। कभी अमिताभ बच्चन के शो कौन बनेगा करोड़पति में 50 लाख रुपए जीतने वाली महिला तहसीलदार अमिता सिंह तोमर गबन की आरोपी बन गई है। उनके खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने मामला दर्ज किया है। इस मामले में नामजद आरोपियों की संख्या ही 46 हैं। बेहद रोचक यह सरकारी मामला इस वक्त शहरवासियों की जुबान पर छाया हुआ है।
जानकारी के अनुसार रीवा-सिंगरौली रेलमार्ग के लिए रेलवे जमीन अधिगृहण कर रहा था। नियमों के अनुसार परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी, जमीन के बदले में मोटी रकम भी मिलना थी। इसे लेने और हथियाने के लिए तत्कालीन चुरहट तहसीलदार अमिता सिंह तोमर ने सारे सरकारी नियम कानूनों को ताक पर रख दिया था। सीधी कलेक्टर ने जमीन नामांतरण से लेकर कई बातों पर रोक भी लगाई थी। लेकिन, कलेक्टर के आदेशों की परवाह किए बगैर फर्जी रजिस्ट्री, नामांतरण से लेकर तमाम अन्य राजस्व के फर्जी कारनामों को अंजाम दिया गया। इस कारण तहसीलदार को निलंबित कर दिया गया। निलंबन को अमिता सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। यह चुनौती देते साथ ही विभाग ने प्रकरण को ईओडब्ल्यू के पास पहुंचा दिया। जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने गबन, जालसाजी, दस्तावेजों की कूटरचना और भ्रष्टाचार निवारण समेत अन्य धारा में मामला दर्ज कर लिया। आरोपी मूलत: ग्वालियर की रहने वाली है। ईओडब्ल्यू का आरोप है कि उसने अपने ग्वालियर में रहने वाले परिचितों को भी लाभ पहुंचाने के लिए कई कूटरचित दस्तावेज तैयार किए।
विवादों में रही अमिता
जानकारी के अनुसार अमिता हमेशा से ही विवादों में रही हैं। बताया जाता है कि उन्होंने एक कक्षा दसवीं की छात्रा को बीच चौराहे पर तमाचा मार दिया था। जिसको लेकर सोशल मीडिया में बड़ा बवाल मचा था। इसी तरह अमिता हमेशा सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने को लेकर भी कई बार ट्रोल हुई है। अमिता के पति ट्रांसपोर्टर है जो देवास से कारोबार करते हैं। फिलहाल अमिता प्रकरण को लेकर भी कोर्ट जाने का मन बना रही है। हालांकि दस्तावेजों में वह बुरी तरह से फंसती नजर आ रही है।
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यह है मामला
पिछले साल रीवा ईओडब्ल्यू को शिकायत मिली थी। जिसकी जांच टीआई प्रवीण चतुर्वेदी ने की थी। इस मामले में आधा दर्जन आरोप थे। इन आरोपों में से पहला दो व्यक्तियों की रजिस्ट्री को 28 लोगों के नाम किया गया। दूसरा आरोप था कि सरकारी जमीन को निजी हाथों को बेच दिया गया। तीसरा आरोप यह है कि रेलवे को अधिगृहित होने वाली भूमि के जमीन का नामांतरण करने का प्रयास किया गया। तबादला होने पर रिलीव होने से पहले पिछली तारीखों में १२९ केस का निपटारा किया गया। रेलवे और हाईवे के लिए निजी लाभ पाने के लिए नामांतरण आदेश जारी किए गए। दो वाहन दूसरे के नाम पर खरीदे गए।
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यह है आरोपी
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 46 नामजद समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिन लोगों के एफआईआर में नाम हैं उसमें चुरहट की तत्कालीन तहसीलदार अमिता सिंह तोमर, सीधी निवासी आकांक्षा त्रिपाठी, रामरती साहू, शांति शिरोमणि पयासी, दिलीप सिंह, अरविन्द कुमार पटेल, शकुंतला सिंह, यादवेन्द्र प्रसाद पांडे, द्वारिका प्रसाद गुप्ता, राघवेन्द्र प्रसाद पांडे, राजेश प्रसाद त्रिपाठी, किरण सिंह पटेल, गौरव सिंह पटेल, राजेश कुमार पटेल, कारपेंटर विजय कुमार, अजय कुमार, जानकी प्रसाद त्रिपाठी, विनोद त्रिपाठी, रिचा पांडे, रामलाल उर्फ राम मनोहर साहू, राम प्रभाव विश्वकर्मा, तेजबली विश्वकर्मा, राजेन्द्र प्रसाद विश्वकर्मा, सुक्खी विश्वकर्मा, बसंती विश्वकर्मा, आनंद सिंह, अभय सिंह, कृष्ण कुमार सिंह उर्फ भंवर साहब, कारपेंटर राम सुशील, दशरथ प्रसाद पटेल, सतना निवासी योगेन्द्र शुक्ला, मृगेन्द्र सिंह परिहार, हिमांशु सिंह परिहार, पन्ना निवासी पराग त्रिपाठी, स्वतंत्र मिश्रा, प्रभाकर पांडे, सुलोचना सिंह, रीवा निवासी रजनीश प्रसाद पटेल, कटनी निवासी विनय कुमार पांडे, दीपेश पांडे, मुरैना निवासी लव सिकरवार, अनुराग सिंह तोमर, ग्वालियर निवासी भालेन्द्र सिंह और भिंड निवासी आदित्य प्रताप सिंह के नाम हैं। ईओडब्ल्यू ने अन्य पर भी मामला दर्ज किया है। यह नाम बाद में खोले जाएंगे। इनमें से अधिकांश अमिता के दोस्त, रिश्तेदार और परिचित हैं। जिन्हें फायदा पहुंचाने के लिए फर्जी दस्तोवज बनाए गए।