सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने भ्रष्टाचार के लिए लगाई ऐसी तरकीब, जीते जी “मृत” हो गए लोग
भोपाल। (Bhopal Hindi News) अभिनेता पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) अभिनीत फिल्म चला मुसद्दी ऑफिस ऑफिस फिल्म तो आपको जरुर याद होगी। यह फिल्म एक व्यक्ति को सरकारी रिकॉर्ड में जबरिया मृत घोषित करने के संघर्ष पर बनी फिल्म हैं। कुछ इसी तरह 22 लोगों का हाल हो गया है। मामला मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh Crime News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Crime News) के देहात क्षेत्र में स्थित बैरसिया थाना क्षेत्र का है। यह 22 लोगों के अलावा कई अन्य लोग भी है जिन्हें यह साबित करना है कि उन्होंने सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं उठाया है। इस पूरे फर्जीवाड़े (Bhopal Fraud Case) में फंसे लोगों की संख्या फिलहाल 32 हैं। यह पूरा घोटाला बैरसिया की एक पंचायत के सरपंच के इशारों पर हुआ था। लेकिन, मुश्किल उस पंचायत के नागरिकों के लिए खड़ी हो गई है। प्राथमिक जांच बैरसिया के सीईओ ने की थी। उन्होंने मामले को आपराधिक मानते हुए केस डायरी बैरसिया थाना पुलिस को सौंप दी है। पुलिस ने सीईओ की रिपोर्ट पर जालसाजी का मुकदमा (Bhopal Cheating Case) दर्ज कर लिया है।
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ऐसे खुला मामला
बैरसिया जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सीईओ ने कढैया चंवर की फाइल देखी। इस फाइल में एक महीने के भीतर 50 लाख रुपए की राशि मंजूर कराने की जानकारी मिली। पड़ताल की गई तो मालूम हुआ कि गांव में 22 लोग मर गए। यह जानकार सीईओ हैरान हो गए। उनको लगा कि गांव में कोई बीमारी तो नहीं फैल रही। उन्होंने सच्चाई का पता लगाने के लिए कमेटी बनाई। जिन व्यक्तियों की मौत हुई थी उनका पता लगाया गया। जब उन्हें सच्चाई मालूम हुई तो पैरों तले जमीन खिसक गई। जिन लोगों को मृत बताया था वह सारे जिंदा निकल आए। सीईओ को यकीन नहीं हुआ तो उनकी पहचान परेड कराई गई। इस कारण उन्हें माजरा समझते देर नहीं लगी। उन्होंने तत्काल कढ़ैया चंवर की सारी योजनाओं में दी गई राशि की फाइलें खुलवा दी। इसके बाद पता चला कि नौ फर्जी शादियां भी कराई गई। इसके अलावा एक व्यक्ति को जबरिया विकलांग बताकर पैसा लिया गया। सीईओ ने सारे मामले की रिपोर्ट तैयार कराई। इसके बाद उन्होंने वह रिपोर्ट बैरसिया थाना पुलिस को सौंप दी। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने जालसाजी (Bhopal Fraud Case) का प्रकरण दर्ज कर लिया है।
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यह है आरोपी
सीईओ ने जांच की तो पता चला कि इस फर्जीवाड़े का मुख्य सूत्रधार सरंपच बलराम गूर्जर (Sarpanch Balram Gurjar) है। उसका साथ देने वालों में समन्वय अधिकारी हुकुम सिंह बाथम (Hukum Singh Batham) जो कि नोडल अधिकारी हैं वह भी शामिल था। एक अन्य समन्वय अधिकारी उमाशंकर त्रिपाठी (Umashankar Tripathi) ने भी भ्रष्टाचार किया। जांच के बाद सीईओ ने इन तीनों के अलावा प्रमोद विश्वकर्मा (Pramod Vishwkarma), भगवान सिंह (Bhagvan Singh), महेश कुमार (Mahesh Kumar), दीप सिंह (Deep Singh) और सचिव ओम प्रकाश शर्मा (Om Prakash Sharma) को भी दोषी पाया। सीईओ ने सारे लोगों की बिंदुवार रिपोर्ट बनाकर पुलिस को सौंप दी है। पुलिस का कहना है कि अभी जनपद कार्यालय से आरोपियों के संबंध रिकॉर्ड हासिल करना बाकी है। इसके लिए वह जनपद कार्यालय से रिपोर्ट मांग रहे हैं।
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इन लोगों को मारा
जांच में पता चला कि निशा कुशवाहा (Nisha Kushwah) के पति विष्णु कुशवाह की मौत को दर्शा करके करीब दो लाख रुपए लिए। इसी तरह महेश सिंह (Mahesh Singh) को विकलांग बताकर एक लाख रुपए हथियाए गए थे। गंगाराम (Gangaram) जो जिंदा है उसको मरा बताकर कैलाश बाई (Kailash Bai) के नाम से जून, 2019 में दो लाख रुपए लिए गए। यह रकम बैंक ऑफ इंडिया (Bank Of India) के खाते में डाले गए थे। यह खाता महेश कुमार के नाम था। इसी तरह राजेश सिंह (Rajesh Singh) को मृत बताकर रुपवती बाई के खाते में दो लाख रुपए से अधिक की रकम डाली गई। खाता दीप सिंह के नाम पर था। बद्री प्रसाद (Badri Prasad) को मरा बताया गया। रकम प्रमोद विश्वकर्मा के खाते में जमा की गई थी। इसी तरह सुरेश को मृत बताकर सरोज बाई (Saroj Bai) के नाम से खाते में रकम जमा कराई गई। ऐसे 22 लोगों को आरोपियों ने मरा बताकर सरकारी योजनाओं का लाभ लिया गया।
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बैंक भी जांच के दायरे में
पुलिस ने बताया कि सरकार ऐसे गरीब जिनके प्रमाण पत्र बने हैं उन्हें दो लाख रुपए 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद करती है। यह मदद उनके आश्रितों को दी जाती है। इसी स्कीम के तहत पैसा पाने के लिए फर्जीवाड़ा किया गया था। पुलिस का मानना है कि इसमें बैंक की भी मिलीभगत हो सकती है। दरअसल, 32 लोगों के बकायदा खाते खुलवाए गए थे। जिनकी जानकारी हितग्राहियों को भी नहीं थी। इसलिए सभी 32 लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे। आरोपियों ने इस फर्जीवाड़े के लिए बैरसिया में भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India), केनरा बैंक (Canra Bank) और बैंक ऑफ इंडिया में खाता खुलवाया था। पुलिस जांच के लिए उन रिकॉर्ड को जब्त करेगी। आरोपियों ने इन बैंकों के खातों से रकम अपने खातों में ट्रांसफर की थी। पुलिस ने बताया कि फर्जीवाड़ा करीब 50 लाख रुपए का है।
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