BMC Scam : ईओडब्ल्यू में निगम के पूर्व डिप्टी कमिश्रर समेत आधा दर्जन के खिलाफ मामला दर्ज

Share

गलत तरीके से बिल्डर को फायदा पहुंचाने दी थी बिल्डिंग परमिशन, निगम ने भी जांच करने बनाई थी कमेटी

भोपाल नगर निगम एमआईसी बैठक कक्ष सभागार

भोपाल। निगम के पूर्व डिप्टी कमिश्रर केके सिंह चौहान (KK Singh Chauhan) समेत आधा दर्जन अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (EOW) ने भोपाल नगर निगम घोटाले (BMC Scam) में मामला दर्ज किया है। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जालसाजी, दस्तावेजों की कूटरचना, षडयंत्र के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। मामला एक बिल्डर को दी गई बिल्डिंग परमिशन में हुई अनियमित्ता से जुड़ा है। इसी मामले में निगम अपनी जांच कर रहा था।

जानकारी के अनुसार यह घोटाला वर्ष 2002 का है। जिसकी शिकायत अशोक दुबे नाम के एक व्यक्ति ने 2009 में की थी। ईओडब्ल्यू इस मामले की तभी से जांच कर रहा है। ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद 1 मई को भोपाल नगर निगम के तत्कालीन अपर आयुक्त, केके सिंह चौहान, नगर निवेशक राजेश नागल, सहायक यंत्री सुभाष चंद्र मेहता, मानचित्रकार अशोक श्रीवास्तव, पंच सेवा गृह निर्माण समिति के अध्यक्ष अशोक गोयल और रविकांता जैन को आरोपी बनाया है। जांच में यह साबित हुआ है कि आरोपियों ने बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नगर निवेश के मसौदे को दरकिनार करके भवन बनाने की परमिशन दी थी।

यह भी पढ़ें : प्रकरण दर्ज करते ही ईओडब्ल्यू ने मारा छापा

नौ की परमिशन एक में बदली
जांच में अशोक गोयल और अरविन्द जैन के खिलाफ शिकायत की गई थी। मामला बावडिया कला के पास जमीन से जुड़ा था। इस जमीन पर नौ बंगले बनाने की अनुमति मांगी गई थी। इसके लिए मार्च, 2002 में रविकांता जैन की तरफ से आवेदन हुआ था। शिविका इंकलेव ई-8 गुलमोहर निवासी जैन के आवेदन के साथ आठ बंगलों के नक्शे लगाकर अनुमति चाही गई थी। लेकिन, इसमें बंगलों का नक्शा नहीं लगाया गया था। इस पर तत्कालीन नगर एवं ग्राम निवेश विनोद श्रीवास्तव ने आपत्ति लेते हुए यह लिखा था कि टीएण्डसीपी से इसकी अनुमति नहीं ली गई है। इसलिए आवेदन को दोबारा कार्रवाई करने के लिए सूचित किया जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें:   Bhopal Cyber Fraud: राज्य मंत्री का बेटा ठगी का शिकार 

नक्शे में कुछ और मौके पर कुछ
श्रीवास्तव की टीप के बावजूद तत्कालीन सिटी प्लानर राजेश नागल ने भोपाल विकास योजना 2005 के प्रावधानों के अनुसार अप्रैल, 2002 में अनुमति जारी कर दी। इसमें केके सिंह चौहान ने मई, 2002 में अनुमोदन भी किया। आरोपी चौहान ने इनमें से एक बंगला अपने नाम पर भी आवंटित करा लिया था। जांच के दौरान ईओडब्ल्यू को मालूम हुआ कि प्रकरण में प्रस्तुत नस्ती और मौके पर भौतिक सत्यापन के दौरान भवनों के आकार में अंतर पाया गया। जबकि इस नक्शे पर सुभाष मेहता और अशोक श्रीवास्तव ने बकायदा अनुमोदन भी किया। जांच में टीएण्डसीपी ने भी बिल्डर अशोक गोयल की तरफ से अनुमति नहीं लेने की जानकारी ईओडब्ल्यू को दी गई।

यह भी पढ़ें : एमसीयू गड़बड़ी पर 40 मिनट दी सफाई, सवाल दागे तो भावुक हुए सांसद सिन्हा

जांच ठंडे बस्ते में डाली
केके सिंह चौहान के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला भोपाल नगर निगम के सामने पहले ही आ गया था। इसको देखते हुए चौहान को सस्पेंड कर दिया गया था। सस्पेंड करने के बाद विपक्ष ने महापौर आलोक शर्मा को घेरने का भी काम किया था। जिसके बाद एमआईसी ने इस मामले की जांच के लिए अपर आयुक्त की निगरानी में पिछले साल कमेटी बनाई थी। यह कमेटी आज तक अपनी जांच पूरी नहीं कर सकी है। जबकि अब ईओडब्ल्यू ने प्रकरण दर्ज कर लिया है।

Don`t copy text!