Sehore Scam : 12 लाख मंजूर कराए, काम 2 लाख का रुपए का किया

Share

जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने सरपंच और सचिव के खिलाफ भ्रष्टाचार और जालसाजी का दर्ज किया मामला

Sehore Scam
भोपाल स्थित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग मुख्यालय

भोपाल। सीहोर पंचायत में एक भ्रष्टाचार (Sehore Scam) के मामले में आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (EOW) ने प्रकरण दर्ज किया है। आरोपी सीहोर पंचायत के तत्कालीन सरपंच और सचिव (Village Chief)  है। जिन्होंने 12 लाख रुपए के एक काम में 2 लाख रुपए का काम किया। आरोपियों के खिलाफ जालसाजी, गबन और भ्रष्टाचार के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

ईओडब्ल्यू के अनुसार भ्रष्टाचार (Sehore Scam) का यह मामला 2014 से 2017 के बीच अंजाम दिया गया। इसका खुलासा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों से हुआ था। यह आरटीआई भोपाल में रहने वाले भुवनेश्वर मिश्रा ने लगाई थी। जिसमें कई वित्तीय अनियमितताओं (Financial Irregularity) की जानकारी सार्वजनिक हुई थी। मिश्रा ने यह जानकारी लेकर ईओडब्ल्यू में जून, 2018 में शिकायत की थी। जिसमें ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की थी। शुरूआती जांच में सभी पक्षों की दलीलें सुनी गई। जिसमें आरोप प्रमाणित (Sehre Scam) पाए गए। इन आरोपों के आधार पर ईओडब्ल्यू ने मुकदमा दर्ज कर लिया। इस मामले में आरोपी वीरेन्द्र गोहिया पिता राम विलास गोहिया, श्याम बाबू यादव पिता पतिराम यादव और पंचायत के अन्य कर्मचारी हैं। ईओडब्ल्यू ने बताया कि वीरेन्द्र तत्कालीन सरपंच और श्याम बाबू तत्कालीन सचिव रहे हैं। इन दोनों ने मिलकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया था।

ऐसे किया भ्रष्टाचार
इटारसी के तहसील रहटी निवासी वीरेन्द्र गोहिया सीहोर में पंचायत में सरपंच रहे। उनके कार्यकाल में 12,26,780 रुपए की नाली निर्माण कराया गया। इस काम का भौतिक सत्यापन सब इंजीनियर एसके झा ने किया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि आवंटित रकम में से केवल 2 लाख रुपए का ही काम किया गया। बाकी रकम को निजी इस्तेमाल में सरपंच ने किया। इसके अलावा आरोपियों ने आवंटित रकम के लेखा—जोखा अपने पास नहीं रखा। उन्होंने किसी भी कार्य के दस्तावेज पेश करने में कामयाब नहीं रहे।

यह भी पढ़ें:   BHIND CRIME : दबंगों ने महिला से ज्यादती की कोशिश की, विरोध करने पर बेरहमी से पीटा

लाखों रुपए का घोटाला
ईओडब्ल्यू की जांच में यह साफ हो चुका है वीरेन्द्र औरप श्याम बाबू ने मिलकर कई काम कराने के लिए राशि मंजूर कराई। लेकिन, इस राशि का इस्तेमाल निर्माण कार्य में नहीं किया। आरोपियों ने अप्रैल, 2016 में एक महीने के भीतर 13,13,578 रुपए भी जारी कराए। इस काम का भी वह रिकॉर्ड पेश नहीं कर सके। ईओडब्ल्यू के अनुसार यह घोटाला लगभग 23,40,355 रुपए का है। यह प्राथमिक जांच में सामने आया है। बाकी अन्य काम की पड़ताल की जा रही है।

Don`t copy text!