Madhya Pradesh : कांग्रेस विधायक ने पकड़ा ‘निर्धन निवाला घोटाला’

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10 किलो के पैकेट में निकला 8 किलो आटा

तौलकांटे पर रखा आटे का पैकेट

ग्वालियर। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कोरोना वायरस (Coronavirus) से जंग जारी है। सरकार का दावा है कि संकट के इस वक्त में हर स्तर पर लड़ाई लड़ी जा रही है। सरकार जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने में जुटी है। इसी बीच एक कांग्रेस विधायक ने बड़ी गड़बड़ी उजागर की है। ग्वालियर दक्षिण (Gwalior Dakshin) से विधायक प्रवीण पाठक (Congress MLA Praveen Pathak) ने सरकार पर निर्धन निवाला घोटाला (Nirdhan Niwala Ghotala) करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों को ठग रही है। उनकी थाली से निवाला चुराया जा रहा है। 10 किलो के पैकेट में 8 किलो आटा दिया जा रहा है। सरकार को बताना चाहिए कि आखिर दो किलो आटा  किसकी जेब भरने में जा रहा है। बता दें कि ग्वालियर में एपीएल कार्डधारी, बेघर, बेसहारा लोगों को 10-10 किलो आटा वितरित किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक पूरे प्रदेश में करीब 50 लाख पैकेट बांटे जाने है।

शुक्रवार को ग्वालियर में राशन दुकानों से आटे का पैकेट वितरित किया जा रहा था। इन पैकेट्स पर वजन 10 किलोग्राम लिखा हुआ है। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा जारी की गई लिस्ट में भी साफ उल्लेख है कि 10 किलो आटा दिया जाना है। लेकिन जब लोगों को ले पैकेट्स मिले तो उन्हें इसके वजन को लेकर शंका हुई। विधायक प्रवीण पाठक की मौजूदगी में जब वजन तौला गया तो पैकेट्स में करीब 8 किलो आटा ही निकला।

जिला प्रशासन द्वारा जारी सूची

स्थानीय पत्रकार के मुताबिक जिला प्रशासन ने तीन फ्लोर मिल संचालकों को 10-10 किलो आटा के पैकेट्स बनाने का काम दिया था। प्रशासन ने फ्लोर मिलो को गेहूं भी उपलब्ध कराया था। लेकिन जब पैकेट्स बनकर आए तो उसमे 10 किलो आटा नहीं निकला। मामले में कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। जानकारी के मुताबिक कलेक्टर ने जांच टीम गठित कर दी है। शनिवार को इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती है।

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कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक

तर्क पढ़कर हैरान रह जाएंगे

इस गड़बड़ी की शुरुआत फ्लोर मिल से हुई है, क्यों पैकेट्स वहीं से पैक होकर आए है। शुरुआती जांच में पता चला है कि ओमश्री शुभलाभ प्रा.लि बानमोर एवं मालनपुर से पैक होकर आए पैकेट्स में तय मानक से कम आटा पाया गया है। जब इस फ्लोर मिल के मालिक गिर्राज बंसल से इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने अजीबो-गरीब तर्क दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा हमें जितना गेंहू उपलब्ध कराया गया, उसके बदले 90 फीसदी आटा हमने दिया है। 10 किलो गेंहू का 9 किलो आटा ही बनता है। पिसाई, पैकिंग मटेरियल एवं दुकान तक आटा पहुंचाने का भाड़ा भी हमें ही भुगतना होता है। लॉकडाउन के चलते नया पैकिंग मटेरियल नहीं मिल रहा। इसलिए 10 किलो लिखी पुरानी पैकिंग में ही आटा भर दिया। प्रशासनिक आदेशानुसार पैकिंग पर नॉट फॉर सेल लिखा हुआ है। जबकि जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन ने जितना गेहूं उपलब्ध कराया था उसका 90 फीसदी आटा वापस देना था, न कि पैकेट में वजन की कटौती की जानी थी।

देखें वीडियो

मामला सामने आने पर कांग्रेस मीडिया सेल के चेयरमेन जीतू पटवारी ने सरकार पर तीखा हमला बोला।

अपील
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