Back To Home Project Scam: 3800 करोड़ रुपए के घोटाले पर कमलनाथ सरकार की चुप्पी

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तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में आवंटित बजट पर होनी थी जांच, ईओडब्ल्यू ने 13 महीने बाद दर्ज की प्राथमिकी

सांकेतिक चित्र

भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य घोटालों (Madhya Pradesh Scam) की वजहों से हमेशा सुर्खियों में रहा है। वह चाहे ई—टेंडर (E-Tender Scam) , व्यापमं (Yyapam Scam), हनी ट्रेप केस (MP Honey Trap Case), प्लांटेशन घोटाले (Narmada Plantation Scam) इसमें चर्चित रहे हैं। लेकिन, एक घोटाला जिसकी जांच के लिए कांग्रेस नेताओं (Madhya Pradesh Congress Leader) ने घोषणाएं की थी उस पर अब सरकार बनने के बाद खामोश है। यह घोटाला घर वापसी प्रोजेक्ट (Back To Home Project) से जुड़ा है। इसके लिए तत्कालीन मनमोहन सिंह (Former Prime Minister Manmohan Singh) सरकार ने 3800 करोड़ रुपए का स्पेशल पैकेज मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government Special Package) को दिया था। इस पैकेज पर मैदानी और भौतिक खर्च पर कई सवाल खड़े हुए थे। यह सवाल विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस के नेताओं ने ही उठाए थे। लेकिन, अब इस सबसे बड़े घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ (Chief Minister Kamalnath) सरकार खामोश हो गई है। हालांकि दिखावे के लिए एक महीने पहले सागर ईओडब्ल्यू (Sagar EOW) ने केवल प्राथमिकी दर्ज (Preliminary Inquiry) करके जांच के नाम पर जिम्मेदारियों से बच रही है।

किसने दिया था पैकेज
इस पैकेज के लिए कांग्रेस नेताओं ने बड़ा संघर्ष किया था। बात राहुल गांधी (Rahul Gandhi) तक भी पहुंची थी। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Former Prime Minister Manmohan Singh) ने 3800 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया था। इस बजट को बुंदेलखंड मिटिग्रेशन पैकेज (Bundelkhand Migration Package) के नाम से भी जाना जाता है। इस बजट के माध्यम से वन, सिचाईं, ग्रामीण विकास विभाग को शामिल किया गया था। यह बजट 2008 में आवंटित किया गया था। हालांकि इस मामले में कोई ठोस मैदानी परिणाम सामने नहीं आए। उस वक्त प्रदेश में भाजपा पार्टी (BJP Government) की सरकार थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Former CM Shivraj Singh Chouhan) हुआ करते थे। तब विपक्ष में कांग्रेस सरकार थी जिसने इस मुद्दे को उठाया भी था। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में इस गड़बड़ी की जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी में जयंत मलैया, गोपाल भार्गव, अंतर सिंह आर्य और लाल सिंह आर्य सदस्य भी थे।

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इसलिए दिया गया था पैकेज
बुंदेलखंड पैकेज देने के पीछे ठोस वजह थी। दरअसल, यहां का भूजल बहुत तेजी से नीचे जा रहा था। इस कारण यहां खेती से लेकर पेयजल संकट खड़ा हो गया था। नतीजतन लोग यहां से पलायन करने लगे थे। इस पलायन को ही रोकने के लिए बुंदेलखंड मिटिग्रेशन पैकेज लाया गया था। इस पैकेज के तहत छह जिले सागर, दमोह, छतरपुर, पन्ना, दतिया और टीकमगढ़ को शामिल किया गया था। दतिया को बाद में शामिल किया गया था। पैकेज के तहत राज्य सरकार को बकरी, गौ पालन समेत ताल निर्माण करने थे। इस योजना के लिए पशुपालन, ग्रामीण विकास विभाग, वन, पीएचई समेत अन्य विभाग के अफसरों को योजनाएं बनानी थी। लेकिन, इस योजना और उसके क्रियान्वयन पर क्या हुआ यह आज भी रहस्य है। भाजपा सरकार के बाद अब कांग्रेस सरकार भी इस मामले में खामोश हो गई है।

अब क्या
इस मामले में सागर ईओडब्ल्यू ने शिकायत दर्ज की है। ईओडब्ल्यू ने किसी नेता के आवेदन पर जांच शुरु नहीं की है। बल्कि घोटाले पर स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले को लेकर फ्री प्रेस संवाददाता राजेश ठाकुर (Rajesh Thakur) ने एक दर्जन से अधिक स्टोरियां प्रकाशित की है। उन्होंने बताया कि यह सामान्य घोटाला नहीं हैं। इस मामले में बारीकी से तह में जाकर पड़ताल की जाए तो सरकारी मशीनरी का एक बड़ा घोटाला सामने आ जाएगा। लेकिन, तब विपक्ष में रही कांग्रेस सरकार अब सत्ता में आने के बाद इस बड़े मामले में खामोश हो गई है।

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