घोटाले में एजेंट समेत सौलह अधिकारियों ने किया 35 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा, आरोपी बनाए गए 27 बीमा लेने वाले धारक भी
उज्जैन। क्या पैसों के लिए आप मर (LIC Scam) सकते हैं ? बेशक आपका जवाब न होगा। लेकिन भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC Scam) से पॉलिसी लेने वाले 30 लोगों ने चंद रुपयों के लिए “मौत” को गले लगा लिया। बीमा पॉलिसी को कैश कराने की धुन ऐसी सवार हुई कि लोग मरने को तैयार हो गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि बीमा धारकों को मर कर मालामाल होने की स्कीम भी एलआईसी के अधिकारियों और एजेंटों ने ही दी थी।
ऐसे सामने आया मामला
इस घोटाले की भनक (LIC Scam) भारतीय जीवन बीमा निगम के अफसरों को ही लगी थी। जिसकी पहले प्राथमिक जांच की गई। जांच में पाया गया कि जिन पॉलिसी के केस मंजूर हुए थे। वह एक ही ब्रांच से आ रहे थे। एक-एक करके 50 से अधिक मामले सामने आए। यहां से बीमा अफसरों की (LIC Scam) घंटी बजी और उन्होंने एक-एक प्रकरण की स्कूटनी शुरू की। ऐसे संदिग्ध 30 प्रकरण को आखिरकार चिन्हित किया गया जिनकी जांच की जानी चाहिए। इसके बाद एजेंट भी रडार में आने लगे। जब पूरा (LIC Scam) मामला खुला तो भारतीय जीवन बीमा निगम के अफसरों के पैरों तले जमीन ही खिसक गई। दरअसल, जिन प्रकरणों को वह संदिग्ध मान रहे थे उनकी रकम लगभग 35 लाख रुपए जारी कर दी गई थी। फिर शक ब्रांच के अफसरों पर भी गया। जिसके बाद मामले को आर्थिक प्रकोष्ठ विंग को सौंपे जाने का निर्णय लिया गया।
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इन आरोपियों ने बेचा जमीर
इस मामले की सबसे पहले मंदसौर एलआईसी ब्रांच के (LIC Scam) मैनेजर आरएन परमार ने शिकायत की थी। यह शिकायत दिसंबर, 2017 में की गई थी। परमार के बयान दर्ज करने के बाद जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले जिला योजना एवं साख्यिकी अधिकारी (LIC Scam) डॉक्टर डीके जैन के बयान दर्ज किए गए। दरअसल, जैन की तरफ से जारी प्रमाण पत्र के बाद ही दावा बनाकर पेश किया गया। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने डीके जैन को भी आरोपी बनाया है। इसके अलावा एलआईसी के (LIC Scam) तत्कालीन विकास अधिकारी भागीरथ सूर्यवंशी, सहायक सांख्यिकी अधिकारी कमलेश रोखले, लाल सिंह, महू निवासी आनंदी लाल, बीमा एजेंट सुमन बाई लौहार, उसका पति राधेश्याम लौहार, बीमा एजेंट दशरथ कुमार देवड़ा, एलआईसी के (LIC Scam) तत्कालीन ब्रांच मैनेजर आरसी सुहिल, मृत्यु दावा विभाग के पूरनमल प्रजापति, रविन्द्र चेलावत, विजय कुमार जैन और अजय गोयल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इसमें से (LIC Scam) अजय गोयल की जांच के दौरान मौत हो गई। यह सभी आरोपी मंदसौर के रहने वाले हैं।
मरा आदमी पैसे कैसे निकाल सकता है
ईओडब्ल्यू को जांच में मालूम हुआ कि मंदसौर (LIC Scam) एलआईसी में तैनात सभी अफसर, कर्मचारी और पांच बीमा एजेंटों ने मिलकर इस साजिश को अंजाम दिया। इसके लिए इन आरोपियों ने सबसे पहले उन पॉलिसी को टारगेट किया जिनकी अवधि तीन साल बची है अथवा समाप्त होने वाली हैं। ऐसे पॉलिसी धारकों (LIC Scam) के पास एजेंटों को पहुंचाया गया। उन्हें तैयार किया गया जिसके बाद उनसे उनकी पॉलिसी कार्रवाई के लिए ली गई। ईओडब्ल्यू को ऐसी 30 (LIC Scam) पॉलिसी के दस्तावेज मिल चुके हैं। जबकि एलआईसी की तरफ से 27 पॉलिसी दी गई थी। मृत्यु दावा मंजूर होने के बाद कुछ बीमा धारकों के खातों में ही यह रकम डाली गई। उस व्यक्ति ने एटीएम से रकम निकाली। जिसकी रिपोर्ट (LIC Scam) स्कूटनी के लिए आई तो एलआईसी अफसरों के पैरों तले जमीन खिसक गई। दरअसल, जिनके खातों में रकम डाली गई थी वह मर चुके थे। रकम कुछ लोगों के आश्रितों की बजाय सीधे उनके खाते में भूल से डाल दी गई थी। इसके बावजूद रकम बैंक से निकाली गई तो अफसरों को शक गया।
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सरपंच भी नहीं रहे पीछे
ईओडब्ल्यू ने इसके अलावा 27 (LIC Scam) बीमा धारकों को भी आरोपी बनाया है जिन्होंने मृत्यु दावा पाया था। ईओडब्ल्यू के अनुसार इस जालसाजी के मामले में आरोपियों की संख्या 100 से ऊपर जाने वाली है। अब तक 60 आरोपियों को चिन्हित कर लिया गया है। आरोपियों में से एक सुरेन्द्र सिंह भी है जो मंदसौर में सरपंच रहा है। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में गबन, जालसाजी, दस्तावेजों की कूटरचना, साजिश के अलावा भ्रष्टाचार की एक धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपियों की अभी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।