13 हजार से ज्यादा मौतों के बावजूद मैक्सिको बना हुआ है ड्रग माफिया का बड़ा अड्डा

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बीते डेढ़ दशक से मैक्सिको ड्रग और अवैध हथियारों का अड्डा रहा है। 2011-12 के दौरान सरकार ने नशे के कारोबार से जुड़े 12 हजार से ज्यादा लोगों को मार गिराया। इस लड़ाई में मैक्सिको पुलिस के 1000 से ज्यादा जवान भी शहीद हुए। इसके बावजूद मैक्सिको अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया का बड़ा अड्डा है। मैक्सिको में तामौलिप्स और न्येवो लियोन प्रांत ड्रग कारोबारियों का सबसे बड़ा अड्डा हैं। वे पशु फार्म और गोदामों की आड़ में हथियार छुपाते हैं और हेरोइन, मारिजुआना व कोकीन की बड़ी खेपें इधर से उधर करते हैं। अमरीका में न्यूयॉर्क के पांच बड़े ड्रग माफिया भी इस कारोबार में ऊंची दखल रखते हैं। सरकारी शिकंजा कसने के बाद मैक्सिको का ड्रग माफिया तेजी से दूसरों मुल्कों को अड्डे की तरह विकसित कर रहा है।

पश्चिम एशिया में पसारे हैं पैर
बीते एक दशक से पश्चिम एशिया लड़ाई का मैदान रहा है। वह धीरे-धीरे नशे के कारोबार का भी केंद्र बनता जा रहा है। यह अचानक नहीं है कि पश्चिम एशिया में ड्रग माफिया की गतिविधियां बढ़ी हैं। एक तरफ मैक्सिको सरकार और ड्रग माफिया के बीच लंबी लड़ाई में नशे के कारोबारी मुश्किल में हैं, वहीं पश्चिम एशिया की राजनीतिक अस्थिरता उनके लिए लाभदायक है। नशे के कारोबारी भविष्य के अड्डे के तौर पर पश्चिम एशिया में पकड़ मजबूत कर रहे हैं।

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बड़े शहरों और बंदरगाहों पर नजर
ड्रग माफिया इन दिनों बड़े शहरों और बंदरगाहों के इर्द-गिर्द अपना डेरा जमाते हैं। हालांकि पहले ऐसा नहीं था। संगठित अपराध की शुरुआत में छोटे कस्बों और गांवों से ड्रग कारोबार संचालित किया जाता था। हथियारों और नशीली दवाओं के व्यापार से मजबूती हासिल करने वाला माफिया समुदाय बीते दौर में कॉन्ट्रेक्ट किलिंग, धमकी, हफ्ता वसूली, मानव तस्करी, वेश्यावृत्ति जैसे काम करता था, अब ये पिछड़े हुए काम माने जाते हैं। अब मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सेदारी और अस्थिरता फैलाने तक के कामों में ड्रग माफिया संलिप्त हैं, जिससे उन्हें तस्करी में संरक्षण हासिल होता है।

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