Republic TV के संपादक अर्णब गोस्वामी से मुंबई पुलिस ने की साढ़े 12 घंटे पूछताछ

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अर्णब गोस्वामी पर हमले के आरोपियों को मिली जमानत

थाने के बाहर अर्णब गोस्वामी

मुंबई। रिपब्लिक टीवी (RepublicTV) के संपादक अर्णब गोस्वामी (Arnab Goswami) 12.30 घंटे बाद थाने से बाहर निकले। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में पुलिस उनसे पूछताछ कर रही थी। रविवार को नोटिस जारी कर अर्णब को सोमवार सुबह 9 बजे थाने बुलाया गया था। करीब 9.30 बजे अर्णब गोस्वामी एनएम जोशी मार्ग पुलिस थाने पहुंचे थे। जहां से वो रात 10 बजे बाहर निकले है। थाने से बाहर निकलते वक्त वो फोन पर बात करते नजर आए। बता दें कि देशभर के अलग-अलग राज्यों में अर्णब गोस्वामी के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। महाराष्ट्र के नागपुर में ऊर्जा मंत्री नितिन राउत (Nitin Raut) ने अर्णब के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुंबई ट्रांसफर किया गया है। अर्णब से इतनी लंबी पूछताछ पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने सवाल उठाए है। वहीं दूसरी तरफ अर्णब की कार पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए दो युवकों को जमानत मिल गई है।

सोमवार को मुंबई की एक कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी की कार पर हमला करने के आरोपियों को जमानत दे दी। युवकों पर आरोप है कि उन्होंने गुरुवार को अर्णब गोस्वामी पर हमला किया था। गुरुवार रात जब गोस्वामी लोवर परेल इलाके में स्थित बॉम्बे डाइंग कॉम्पलेक्स के स्टूडियो से घर लौट रहे थे, तब गनपतराव कदम मार्ग पर उनकी कार पर हमला किया गया था। घटना के वक्त अर्णब के साथ उनकी पत्नी भी मौजूद थी।

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दादर की भोईवाड़ा कोर्ट के जज एसवी पिंपले ने दोनों आरोपियों को जमानत दे दी। आरोपियों के वकील सुनील पांडे ने कहा कि राजनीती की वजह से यह एफआईआर की गई है। मीडिया एक्ट लगाए जाने पर सुनील पांडे ने कहा कि ये उस वक्त लागू हो सकता है जब पत्रकार ऑन ड्यूटी हो। लेकिन घटना के वक्त अर्णब घर लौट रहे थे।

पढ़िए किसने क्या लिखा

वहीं सोमवार रात अर्णब के थाने से बाहर निकलते ही सोशल मीडिया पर नया विवाद शुरु हो गया। अर्णब के विरोध और समर्थन में धड़ाधड़ ट्वीट सामने आने लगे।

‘कल फिर बुलाएंगे क्या’

अलका लांबा, कांग्रेस नेता

‘अगली बारी उन सबकी हो सकती है जो आज चुप हैं। पुलिस तंत्र का किसी भी पत्रकार पर बेजा इस्तेमाल शक पैदा करता है कि आप उसकी सोच और प्रस्तुति के आगे जाकर उसके ख़िलाफ़ प्रतिशोध से ग्रस्त हैं। क़ानून से उपर कोई नहीं लेकिन क़ानून का मज़ा चखाने का अंदाज दायरा लांघ रहा है।पूरा सच आना चाहिए।’

अंजना ओम कश्यप, पत्रकार

‘एक ओपन टेलिविज़न डिबेट के एक टिप्पणी पर #ArnabGoswami से 12 घंटे पूछताछ। वहीं #Palghar में संतों के क्रूर और बर्बर तरीक़े से हत्या को अफ़वाह बताकर मामले को रफ़ा दफ़ा कर दिया गया। यह साबित करता है कि देश के सबसे क़ाबिल में से एक महाराष्ट्र पुलिस के गले पर एक राजनीतिक पट्टा है।’

दीपक चौरसिया, पत्रकार

‘किसी पत्रकार के विचार या या प्रस्तुति के तरीक़े आपको नापसंद हो सकते हैं. लेकिन अदालती कार्रवाई के बावजूद अगर आप उसके ख़िलाफ़ पुलिसिया तंत्र के बेजा इस्तेमाल पर अपनी चुप्पी का पर्दा डालते हैं तो यही लोग कल आपके घर तक भी आएँगे.’

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रोहित सरदाना , पत्रकार

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