बंदी ने अपनी जगह मजदूर को अगवा करके हत्या के बाद लाश में लगा दी आग, वारदात में सहयोग के लिए दोस्त को भी शामिल किया
भोपाल। बेहद रोचक और किसी फिल्म से कमतर नहीं यह कहानी (Bhopal Crime) भोपाल की है। मामला हत्या की जेल में सजा काट रहे एक बंदी की संदिग्ध मौत से जुड़ा था। यह बंदी पिता की मौत के बाद जेल से पैरोल पर आया था। लेकिन, वह वापस जेल नहीं जाना चाहता था। इससे बचने के लिए उसने एक बेहद शातिराना योजना बनाई। इस योजना में उसने दोस्त को भी शामिल किया। इसके बाद जो हुआ वह उसके जिंदा पकड़ में आने के बाद बेहद चौका देने वाला था।
क्या है मामला
भोपाल के टीटी नगर संभाग के देहात क्षेत्र में स्थित रातीबड़ थाना क्षेत्र के नीलबड़ के नजदीक (Bhopal Crime) हरी नगर निवासी 34 वर्षीय राजेश परमार की 28 जून, 2019 को संदिग्ध मौत हो गई थी। राजेश वर्ष 2014 में एमपी नगर इलाके में हुई अंकित जावेद की हत्या के मामले में जेल में बंद था। उसके साथ राहुल श्रीवास्तव और भरत मेवाड़ा भी आरोपी बनाए गए थे। राहुल और भरत को जमानत मिल गई थी। लेकिन, राजेश परमार की जमानत नहीं हुई थी। राजेश 14 जून को पिता आरएन परमार की मौत के चलते जेल से पैरोल पर रिहा हुआ था। उसे 30 जून को (Bhopal Crime) वापस जेल जाना था। जेल जाने से पहले राजेश की मौत से पुलिस भी परेशान थी। इधर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जिस व्यक्ति की मौत हुई है उसकी पहले गला दबाकर हत्या की गई है। इस जानकारी के बाद पुलिस और भी अधिक परेशान हो गई।
यह भी पढ़ें : प्रहरियों की मदद से जेल के चार बंदियों ने भागने की योजना को ऐसे दिया अंजाम
जेल से मिली मदद
पैरोल नियम के अनुसार (Bhopal Crime) जो बंदी रिहा होता है उसकी जानकारी संबंधित थाने को भेजी जाती है। इसके अलावा बंदी को थाने में आते दिन और वापस जेल जाते दिन थाना पुलिस को सूचना देनी होती है। जब राजेश परमार की मौत पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद गहराए शंका के बादल में महत्वपूर्ण मदद केन्द्रीय जेल भोपाल से मिली। पुलिस ने जेल में रहने के दौरान उससे मुलाकात करने वाले लोगों की जानकारी पुलिस ने हासिल की। इस शुरूआती जांच के बाद पुलिस को कॉल डिटेल में भी मदद मिली। इसी कॉल डिटेल से पुलिस इस पूरे फिल्मी कहानी से पर्दा उठाने में कामयाब हुई।
बचने के लिए मोबाइल बदला उसमें ही फंसा
आरोपी राजेश परमार के खिलाफ कोई (Bhopal Crime) भौतिक सबूत नहीं थे। जिस दिन राजेश की संदिग्ध मौत हुई थी। उस दिन भी मोबाइल टॉवर लोकेशन घर की ही मिल रही थी। जहां लाश मिली थी वहां एक पेज का सुसाइड नोट भी मिला था। इसलिए उसके खिलाफ कोई ठोस सुराग पुलिस को नहीं मिल पा रहे थे। इसी तलाश में रातीबड़ पुलिस को यह पता चल गया था कि राजेश परमार ने जेल जाने से बचने के लिए किसी बड़े कांड को कारनामा दिया है। लेकिन, वह क्या है और उसके पीछे कौन-कौन है यह पता लगाना पुलिस के लिए आसान नहीं था। पुलिस ने पड़ताल जेल से ही शुरू की। इसमें मालूम हुआ कि निहाल खान जो मूलत: बिहार का रहने वाला है वह जेल में राजेश परमार से मिला था। उस वक्त उसने जो मोबाइल नंबर लिखाया था वह बंद आ रहा था। निहाल (Bhopal Crime) भोपाल में पिपलानी इलाके में हजरत निजामुद्दीन कॉलोनी में किराए से रहता था। वह फिलहाल मिलेनियम कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक में डिप्लोमा कर रहा था। निहाल के साथ उठने-बैठने वाले दोस्तों से मालूम हुआ कि उसकी लोकेशन गुजरात के अंजीर जिले में है जो अपने दोस्त विशाल सिंह के साथ है। पुलिस ने विशाल सिंह का मोबाइल नंबर हासिल किया और वह उसके पास पहुंच गई। वहां (Bhopal Crime) निहाल तो मिला लेकिन उसने पुलिस को कोई सहयोग नहीं किया। पुलिस ने सख्ती करके उसका पुराना नंबर के बारे में जानकारी मांगी तो राजेश परमार की लोकेशन का खुलासा हुआ।
यह भी पढ़ें : पुलिस विभाग का रेडियो अब जेल के भीतर भी क्यों किए हुए परेशान जानने के बावजूद पुलिस क्यों हैं खामोश
चैन्नई में भेष बदलकर की तलाश
राजेश परमार की (Bhopal Crime) लोकेशन बैंगलुरू में सामने आई। वह मोबाइल बार-बार बंद कर देता था। सर्च करने गई टीम बैंगलुरू पहुंची तो वह चैन्नई सीएसटी पहुंच चुका था। पुलिस को देखकर राजेश परमार भाग सकता था। इसलिए पुलिस ने अपना भेष बदला। वहां लुंगी और माथे में दक्षिण भारत का टीका लगाकर राजेश परमार की रैकी की। राजेश वहां किसी रसूखदार जैसा दिखने के लिए काफी महंगे कपड़े पहनकर घुमता था। इधर, पता चला है कि राजेश परमार ने भोपाल में अपनी मौत की कहानी बनाने से पहले अपने प्रेमिका से भी बातचीत की थी। इस बातचीत की भी जानकारी पुलिस को मिल गई थी। पुलिस ने उसकी प्रेमिका की भी गतिविधियों पर भी निगरानी रखती थी।
शराब पिलाकर मारा
राजेश परमार को हिरासत में लिया गया। जिसके बाद उसने (Bhopal Crime) खुलासा किया कि उसकी मदद निहाल खान ने भी की थी। रातीबड़ थाना पुलिस ने उसको भी हिरासत में लिया। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि योजना उन्होंने क्राइम सीरियल देखकर बनाई थी। इस योजना के तहत राजेश ने अपनी मां जमुना बाई को 27 जून को पूजा करने के लिए आष्टा पहुंचा दिया। अगले दिन अपना बैग निहाल के पिपलानी घर पहुंचा देता है। राजेश और निहाल अपने-अपने मोबाइल घर पर रखकर निकल लेते हैं। इसके बाद प्रभात चौराहे पर कलारी पहुंचते हैं। यहां एक व्यक्ति को शराब पिलाने के दौरान उससे दोस्ती कर लेते हैं। उसको बाइक में बैठाकर नेहरू नगर पेट्रोल पंप पर पहुंचते हैं। यहां बाइक में एक हजार रुपए का पेट्रोल भराया जाता है। फिर रातीबड वाइन शॉप से एक शराब की बोतल खरीदी जाती है। जिस व्यक्ति को कलारी से (Bhopal Crime) अगवा करके वे लाए थे उसे शराब पिलाकर बेसुध कर देते हैं।
यह भी पढ़ें : जेल के लिए विधायक क्यों हैं परेशान
घर पहुंचने पर कमरे में पटककर उसके हाथ-पैर और मुंह बांध दिया जाता है। इस काम के लिए राजेश घर की चादर फाड़ता है। राजेश ने पूछताछ में बताया कि उसने पहले उसको गला दबाकर मार दिया था। मरने वाले की पहचान और सबूत छिपाने के लिए बाइक से पेट्रोल निकालकर घर में छिड़का। फिर दोनों मकान की छत से कूदकर बाहर निकले। इसके बाद खुली खिड़की से जलती तीली कमरे में फेंकी गई। इसमें वह व्यक्ति जल गया और वह पहचान योग्य नहीं रहा।
थाने में दर्ज थी गुमशुदगी
तफ्तीश में पुलिस ने (Bhopal Crime) जलाकर मारे गए व्यक्ति की तलाश शुरू की। इसके लिए शहर से सारे गुम हुए लोगों की जानकारी जुटाई गई। इस दौरान पता चला कि गोविंदपुरा थाना क्षेत्र के गौतम नगर इलाके से राजू रैकवार पिता भैयालाल उम्र 34 साल गायब है। उसकी पत्नी रेखा और तीन बच्चे बेटी मोना, बेटा प्रमोद और सबसे छोटी आठ साल की बेटी मुस्कान हैं। राजू मंडी में हम्माली का काम करता है। राजू के दो भाई कन्हैया और गणेश भी है। पत्नी ने राजू की गुमशुदगी गोविंदपुरा थाने में दर्ज कराई थी। राजू की चप्पल से उसके शव की पहचान हो पाई।