स्कॉलरशिप घोटाला : डीजी ने लिया एक्शन तो आठ साल बाद दर्ज हुई एफआईआर

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एक ही छात्रों को दो संकाय में बताकर की जालसाजी, कॉलेज संचालक, तत्कालीन प्राचार्य समेत सात नामजद लोगों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में मामला दर्ज

भोपाल। डीजी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) केएन तिवारी ने प्रदेश की सभी यूनिटों को अपने यहां लंबित मामलों के साथ पिछले दिनों तलब किया था। इन मामलों में से एक मामला आठ साल से लंबित पड़ा था। यह सुनकर डीजी ने संबंधित यूनिट के अफसरों की पहले लू उतारी फिर मुख्यालय में ही जीरो पर मुकदमा दर्ज करके केस डायरी ग्वालियर पहुंचा दी।
क्या है मामला

डीजी केएन तिवारी

जानकारी के अनुसार भिंड़ के गोरमी तहसील में रामनाथ सिंह होम्योपैथी और फॉर्मेसी का कॉलेज चलता है। इस कॉलेज के खिलाफ सितम्बर, २०११ को भ्रष्टाचार करने की शिकायत हुई थी। यह शिकायती आवेदन जांच में लंबित पड़ा हुआ था। तब से लेकर अब तक कई अफसर आए और चले गए लेकिन, जांच पूरी नहीं हो सकी। नतीजतन, पिछले दिनों डीजी केएन तिवारी ने विभागीय समीक्षा की तो यह बात निकलकर सामने आई।
कैसे किया घोटाला
कॉलेज को लेकर शिकायत हुई थी कि होम्योपैथी और फॉर्मेसी के अलग-अलग पाठ्यक्रम कॉलेज चलाता है। लेकिन, सरकार से मिलने वाली स्कॉलरशिप कॉलेज फर्जी तरीके से हथिया रहा है। इसके दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए। इन दस्तावेजों की जांच में आरोप सही पाए गए थे। आरोपी कॉलेज संचालक होम्योपैथी के छात्रों को फॉर्मेसी और फॉर्मेसी को छात्रों को होम्यापैथी में दर्शाकर स्कॉलरशिप ले लेता था। मतलब एक छात्र की दो स्कॉलरशिप ली जाती थी। इसमें से एक छात्र को मिलती थी दूसरी कॉलेज संचालक गबन कर जाता था। इसके लिए वह फर्जी जाति प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते थे।

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यह बनाए गए है आरोपी
एफआईआर भोपाल में जीरो में दर्ज की गई है। जिसके संबंध में बताया गया है कि एक आरक्षक जांच रिपोर्ट लेकर भोपाल आया था। इस मामले में आरोपी रामनाथ सिंह होम्योपैथी और फॉर्मेसी कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य नरेन्द्र सिंह सेंगर, जयराम पटेल, हेड क्लर्क कल्याण सिंह, तत्कालीन संचालक रामबहादुर सिंह भदौरिया, प्रोफेसर बीके राय, मेहगांव की शासकीय महाविद्यालय की प्राचार्य इन्दु श्रीवास्तव, शिक्षा प्रचार समिति के संचालक रामनाथ सिंह को आरोपी बनाया गया है। यह घोटाला १९९६ से लेकर २०१० के बीच अंजाम दिया गया था।

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