जेल में भी डाले जाएंगे वोट, बंदियों को मिलेगा मताधिकार !

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सुप्रीम कोर्ट में होगी बंदियों के मताधिकार पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट, फाइल फोटो

दिल्ली। नेशनल की जेलों में सजा काट रहे बंदियों को भी मतदान का अधिकार मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट बंदियों के अधिकार के पक्ष में दायर याचिका पर सुनवाई राजी हो गया है। ग्रेटर नोएडा की एक लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले तीन स्टूडेंट्स अतुल कुमार दुबे, प्रवीण चौधरी और प्रेरणा सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। दिल्ली हाईकोर्ट में उनकी याचिका पर सुनवाई चल रही है। अगली सुनवाई 9 मई को निर्धारित की गई थी। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई भी तैयार हो गया है। बता दें कि जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 62(5) के तहत कोई भी बंदी वोट नहीं दे सकता है। जो पुलिस हिरासत में है वो वोट डाल सकता है। फिनलैंड, स्पेन, स्वीडन, ग्रीस और इटली जैसे देशों में बंदियों को वोट डालने का अधिकार प्राप्त है। याचिकाकर्ताओं ने इन्हीं देशों के उदाहरण को आधार बनाया है।

2016 में भी हुई थी कवायद

2016 में भी बंदियों को मताधिकार दिए जाने की मांग उठी थी। चुनाव आयोग ने एक सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने तमाम विभागों से राय भी मांगी थी। लेकिन लंबी प्रक्रिया के बाद कमेटी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी।

पहले खारिज हो चुकी हैं याचिकाएं

देश में करीब 4 लाख लोग जेल में सजा काट रहे है। उन्हें मताधिकार दिए जाने के लिए इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है की जेल काट रहा व्यक्ति अपने आचरण और किए गए व्यवहार की वजह से वहां पर है , और इसीलिए वो आम नागरिक की तरह सामान्य हक की बात नही कर सकता।

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जेल में होगी वोटिंग

बंदियों के पक्ष में फैसला हुआ तो जेल में अलग से ईवीएम की व्यवस्था की जाएगी। छात्रों की दलील हैं कि दक्षिण अप्रीका, कनाडा और न्यूजीलैंड में ऐसी ही सुविधा दी जाती है। तर्क है कि बंदियों को मदाधिकार मिलने से उन्हें अहसास होगा कि वे भी भारत के नागरिक है और उनकी राय भी मायने रखती है।

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