26 साल में जूता जब्त नहीं कर पाई पुलिस, मारपीट का आरोपी हो गया बरी

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भाईयों के बीच हुआ था झगड़ा, साक्ष्य के तौर पर पुलिस को पेश करना था जूता

सांकेतिक फोटो

 

नई दिल्ली। किसी भी आरोपी को सजा दिलाने के लिए सबूत कितने जरूरी होते है, आपकों ये खबर पढ़कर समझ  आ जाएगा। आमतौर पर आपने फिल्मों में ये डायलॉग सुना होगा- कानून कहता है कि 100 गुनाहगार छूट जाए लेकिन एक बेगुनाह को सजा नहीं मिलनी चाहिए। यह हकीकत भी है। जिसे साबित करता हुआ एक मामला दिल्ली से सामने आया है। यहां 26 साल बाद एक आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया।

साकेत स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनुराग दास ने हाल ही में आरोपी को बरी करते हुए यह फैसला दिया। अदालत ने न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि आरोपी की दोषसिद्धि को लेकर थोड़ा भी संदेह होने पर वह बरी होने का हकदार है। अदालत ने कहा कि पुलिस जांच के दौरान कथित तौर पर मारपीट में इस्तेमाल किए गए जूते को बरामद करने में विफल रही है। ऐसे में आरोपी को बरी किया जाता है।

दरअसल 26 साल पहले विजय कुमार बंसल नाम के शख्स ने आरोप लगाया था कि उसके भाई राजकुमार बंसल ने उसके साथ मारपीट की है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये बात सामने आई कि राजकुमार बंसल ने विजय को मारते वक्त जूते पहन रखे थे। जब उसे लात मारी थी तो जूता पैर में था। इसी आरोप के बाद कोर्ट ने पुलिस को साक्ष्य के तौर पर राजकुमार बंसल का जूता पेश करने को कहा था। लेकिन पुलिस उक्त जूता ढूंढ़ने में असफल ही रही।

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विशेष अभियान के तहत निपटारा हुआ

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश पर 20 वर्ष से अधिक समय से लंबित मामलों के निपटारे के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत साकेत स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने 26 वर्ष पुराने इस मामले का निपटारा किया है।

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