सेना प्रमुख बनने से चूके वर्मा, मोदी सरकार में वरिष्ठता क्रम को दरकिनार करने का दूसरा मामला
नई दिल्ली। नेवल वार रूम की सूचनाएं लीक करने के एक मामले का कलंक तेरह साल बाद भी नहीं धुल पाया। इसी कलंक के चलते बिमल वर्मा नेवी चीफ नहीं बन सके। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा रही है। वर्मा को सुपरसीड करके वाइस एडमिरल करमबीर सिंह नौसेना प्रमुख बनाए गए हैं।
जानकारी के अनुसार इस पदस्थापना के बाद यह दूसरा मामला सामने आया है जब सीनियर होने के बावजूद जूनियर को चीफ की ताजपोशी की जा रही है। इससे पहले आर्मी चीफ बिपिन रावत को नियुक्ति दी गई थी। यह दोनों घटनाएं नरेन्द्र मोदी सरकार में ही घटी है। सरकार की तरफ से इस मामले में तर्क दिया जा रहा है कि नौ सेना प्रमुख बनने के लिए पूर्वी या पश्चिमी कमान की तैनाती जरूरी होती है। यह तैनाती 2005 में वार रूम लीक मामले की जांच में वर्मा के सर्विस रिकॉर्ड में प्रतिकूल टिप्पणी न मिलने की वजह से नहीं दी गई थी। उस वक्त वर्मा नेवल ऑपरेशन निदेशालय में तैनात थे। नए नौसेना प्रमुख बने वाइस एडमिरल करमबीर सिंह यह जिम्मेदारी सुनील लांबा से लेंगे। लांबा 30 मई को रिटायर होने जा रहे हैं। करमबीर सिंह इस वक्त विशाखापट्टनम में फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ हैं। सिंह हेलीकॉप्टर के पायलट भी है। उन्होंने एंटी सबमरीन कामोव-25 और कामोव-28 को उड़ाने का अनुभव है।