Bhopal Crime : अभियुक्त ने नहीं की कोई अपील फिर भी बदल गए उसके वकील

Share
Bhopal Crime
रेप और हत्या का आरोपी विष्णु भमोर

आरोपी की तरफ से वकील ने रखी कैमरा ट्रायल की मांग के चलते बना गतिरोध, वकील का आरोप गवाहों के बयानों में हैं कई जगह विरोधाभास

भोपाल। राजधानी (Bhopal Crime) का चर्चित नौ साल की बच्ची से रेप के बाद हत्या का मामला फिर सुर्खियों में है। दरअसल, इस मामले में जो आरोपी गिरफ्तार हुआ है उसकी तरफ से पैरवी करने वाले तीन वकील एक सप्ताह के भीतर बदल दिए गए हैं। इस बदलाव की प्रक्रिया पर वकील ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या है मामला
कमला नगर थाना क्षेत्र के मांडव बस्ती से 8 जून, 2019 की रात नौ साल की गुडिय़ा लापता हुई थी। जिसकी अगले दिन लाश मिली। इस मामले में पुलिस ने 10 जून को खंडवा जिले से आरोपी विष्णु भमोर को गिरफ्तार किया था। विष्णु मासूम के घर के नजदीक ही किराए से रहता था। वह घटना वाले दिन था लेकिन दूसरे दिन वह गायब हो गया था। आरोपी को ले जाकर घटनास्थल पर 11 जून को रिक्रिएशन किया गया। फिर उसे शाम को अदालत में पेश कर दिया गया। अदालत ने उसको 12 जून तक जेल भेज दिया गया। कमला नगर थाना पुलिस ने 12 जून को कोर्ट में 119 पेज का चालान पेश किया।

यह भी पढ़ें : रेप की वह कहानी जो तीन राज्यों से होकर गुजरी लेकिन भोपाल आने पर ही उसका खुलासा हुआ

क्यों दिया सरकारी वकील
आरोपी विष्णु भमोर के कृत्य को लेकर जहां राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप लग रहे थे। वहीं आम नागरिकों में भी रोष था। विष्णु के पुतले जलाए जा रहे थे वहीं कई चौराहों पर कैंडल मार्च निकाला गया था। इन सबके बीच 11 जून को जिला बार एसोसिएशन ने भी आरोपी की तरफ से पैरवी करने से इनकार कर दिया था। इस इनकार की वजह से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से सरकारी वकील मुहैया कराया गया। प्राधिकरण ने इससे पहले जिला बार एसोसिएशन से पैनल के रूप में नाम मांगे थे।

यह भी पढ़ें:   Bhopal Loot: लूट रोकने पुलिस का अनूठा प्रयोग, चोरी की धारा बनी मददगार

क्यों उपलब्ध कराया गया वकील
विष्णु भमोर की तरफ से अदालत में पैरवी के लिए जिला बार एसोसिएशन की तरफ से प्रदीप पाल गुप्ता का नाम गया। आदेश जारी होने के बाद उन्होंने बाद में पैरवी करने से इनकार करते हुए केस से नाम वापस ले लिया। दूसरा वकील मनोज श्रीवास्तव के रूप में तैनात किया गया। श्रीवास्तव ने 17 जून से पैरवी शुरू की लेकिन वे 20 जून की दोपहर लंच तक पैरवी कर सके। इसके बाद उन्हें केस से हटा दिया गया। इससे पहले वकील को तैनात करने के लिए काफी मंथन हुआ। दरअसल, यदि कोई वकील विष्णु भमोर की तरफ से अदालत में पैरवी नहीं करता तो यह प्रकरण दूसरे जिले ट्रांसफर हो जाता। यदि ऐसा नहीं भी होता तो दूसरे जिले से वकील यहां पैरवी करने के लिए भोपाल जिले में आता। इस विचित्र स्थिति से निपटने के लिए भोपाल के वकील को तैनात करने का निर्णय लिया गया।

यह भी पढ़ें : चित्तोढ़गढ़ की वह गुड़िया जो वहशी लोगों का ऐसे बनी शिकार

आर-पार के मूड़ में वकील
इस मामले में विष्णु भमोर की तरफ से फिलहाल पैरवी मुकेश पंवार कर रहे हैं। लेकिन, मनोज श्रीवास्तव उन्हें हटाने की वजह से आहत हैं। श्रीवास्तव का दावा है कि अधिवक्ता एक्ट के अनुसार वकील बदलने का फैसला न्यायालय अथवा प्राधिकरण नहीं ले सकता। इसका अधिकार अभियुक्त विष्णु भमोर को था। मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें केस से हटाने की भी लिखित जानकारी न्यायालय से नहीं दी गई। उनका इशारा पद के प्रभाव का इस्तेमाल करके अपमानित करने की तरफ था। इस मामले में उनकी तरफ से पत्राचार शुरू कर दिया गया है।

यह भी पढ़ें:   Bhopal Suicide News: महिला समेत दो व्यक्तियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

Bhopal Crime यह खड़े किए वकील ने सवाल
मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने 17 जून को चालान प्राप्त किया था। अगले दिन बहस और ट्रायल इश्यू तय कर लिए गए। बच्ची की माता-पिता के बयानों को 20 जून को प्रति परीक्षण किया गया। इसी दिन वकील की तरफ से कैमरा ट्रायल की मांग की गई। वकील का दावा है कि प्रति परीक्षण के दौरान मौके का नक्शा और माता-पिता के बयानों में विरोधाभास पाया गया था। कैमरा ट्रायल के लिए 21 जून को उनकी तरफ से आवेदन भी लगाया गया।

कैमरा ट्रायल हो रहा है
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अमिताभ मिश्र से ली गई। मिश्र ने बताया कि अधिवक्ताओं की नियुक्ति का निर्णय अदालत के आदेश पर जिला बार एसोसिएशन ने लिया है। मिश्र ने वीडियो ट्रायल के सवाल पर कहा कि कैमरा ट्रायल चल रहा है। इधर, डिप्टी जेल सुपरिडेंट पीडी श्रीवास्तव ने बताया कि तीन-चार बार विष्णु भमोर को अदालत में पेश किया गया। दरअसल, उस पर चार्ज लग रहे थे। बाकी पेशी वीडियो ट्रायल से की जाएगी।

यह कहना है वकील का
इस मामले में पूरी कार्रवाई पर सवाल खड़े करने वाले अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि मेरी तरफ से कैमरा ट्रायल की मांग की गई है। जिसमें आज दिनांक तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। जब तक यह व्यवस्था नहीं होती है तब तक ट्रायल रोका जाना चाहिए। यह मांग मेरी तरफ से इसलिए की जा रही है क्योंकि जो बातें गवाहों ने नहीं बोली नहीं गई उसको भी अभिलेख में शामिल किया गया।

Don`t copy text!