थोक में सिम जमा करके बेचते थे निजी कंपनियों के लोगों को, चार आरोपी गिरफ्तार, नौ सौ से अधिक सिम बरामद, पुलिस तलाश रही नेटवर्क के कनेक्शन
जबलपुर। यदि आप मोबाइल की सिम लेने जा रहे हैं तो यह खबर आपसे जुड़ी हो सकती है। सिम बेचने में किस तरह से धांधली की जा रही है उसका एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। यह खुलासा जबलपुर की क्राइम ब्रांच ने किया है। इस मामले से जुड़े आरोपी पेटीएम, एयरटेल जैसी अन्य आॅनलाइन कंपनी में पहले नौकरी करते थे।
एसपी जबलपुर निमिष अग्रवाल ने बताया कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए सर्चिंग चल रही है। इसी क्रम में डीएसपी क्राइम ब्रांच शिवेश सिंह बघेल को सूचना मिली थी कि कुछ लोग फर्जी तरीके से सिम बेच रहे हैं। इस सूचना पर मंगलवार को गौतम जी की मढिया के पास एक व्यक्ति जिसका नाम सौरभ सेन को हिरासत में लिया गया। उसके साथ तीन अन्य आरोपी भी थे। आरोपियों को जालसाजी के मामले में गिरफ्तार किया गया। एसपी ने बताया कि इस संगठित तरीके से चल रहे अपराध का खुलासा करने वाली टीम को नगद पुरूस्कार दिया जाएगा।
यह हुआ बरामद
क्राइम ब्रांच ने जालसाजी का मामला संजीवनी नगर थाने में दर्ज कराया है। इसमें पुलिस ने इस मामले में जुड़े आरोपियों के कब्जे से 10 मोबाईल, बीएसएनएल की चालू और बंद सिमें जप्त की है। दो लेपटॉप चॉर्जर सहित ऐसर एवं डेल कंपनी के, सिम कार्ड लापु बीएसएनएल की 570 चालू और 365 बन्द सिम, विभिन्न कम्पनियों के 10 मोबाईल, पेटीएम कार्ड, एयरटेल कंपनी का आईडी कार्ड भी जब्त किया गया है।
कौन है आरोपी
इस मामले में गिरफ्तार आरोपी सौरभ सेन पिता किशनलाल सेन उम्र 25 वर्ष निवासी गौतम मढिया के पास संजीवनी नगर, रविन्द्र पटेल पिता चरन लाल पटेल उम्र 33 वर्ष निवासी कृपाल चौक शुक्ला डेरी के सामने थाना गढा, विकास विश्वकर्मा पिता गोविंद प्रसाद विश्वकर्मा उम्र 30 वर्ष निवासी जगदम्बा कॉलोनी महाराजपुर थाना आधारताल और एडविन जैकब पिता राबिनसन जैकब उम्र 30 वर्ष निवासी त्रिमूर्ति नगर कृष्णा कालोनी दमोहनाका थाना गोहलपुर को गिरफ्तार किया गया है।
ऐसे करते थे वारदात
आरोपी बेहद चालाकी से वारदात कर रहे थे। वे दुकान पर सिम लेने आए व्यक्तियों से आनलाइन तस्दीक कराते थे। इसके लिए आधार कार्ड से फिंगर प्रिंट मैच कराते थे। पहला फिंगर प्रिंट वह लेने के बाद प्रक्रिया पूरी करते थे। इसी बीच वह फिंगर प्रिंट मैच न होने का कहकर दोबारा मशीन में फिंगर प्रिंट लेते थे। पहले फिंगर प्रिंट पर वह सिम वास्तविक मालिक को देते थे। लेकिन, दूसरी बार लिए गए फिंगर प्रिंट पर इश्यू सिम वह दूसरे व्यक्ति को बेच देते थे। यह सिम एक कंपनी को विशेष बांटी जाती थी। उस कंपनी से जुड़े एक व्यक्ति को पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है।