Bhopal News: सरकारी ठेकेदार की खुदकुशी मामले में थाना पुलिस ने चुप्पी साधी, पुलिस कमिश्नर प्रणाली की पारदर्शिता पर उठने लगे सवाल, सोने की स्मगलिंग, हवाला कारोबारी, सटोरिया के साथ—साथ नेताओं के गठबंधन की दिलचस्प कहानी
भोपाल। शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को शुरू हुए सवा एक साल बीत चुका है। आम नागरिकों को लेकर व्यवस्थाएं थानों में अब भी नहीं बदली है। आलम यह है कि अब मामलों को दबाने की तकनीक का फॉर्मूला ऊपर से नीचे आ रहा है। कुछ दिनों पहले ही भोपाल (Bhopal News) शहर के कोलार रोड थाने के दो पुलिसकर्मी आभूषण कारोबारी से धमकाकर रंगदारी वसूल रहे थे। जिसमें वे दोनों आरोपी भी बनाए गए हैं। इस घटनाक्रम को एक पखवाड़ा बीत चुका है। दोनों पुलिसकर्मी फरार चल रहे हैं जो धरपकड़ की पुलिसिया तकनीक से वाकिफ है। अब भोपाल शहर के ही टीटी नगर इलाके में सरकारी ठेकेदार ने फांसी लगा ली है। इन दोनों घटनाओं के कनेक्शन है ऐसा भ्रामक समाचार पिछले चौबीस घंटों से सोशल मीडिया की दुनिया में चल रहा है।
जांच का जोखिम उठाए ऐसे संकेत मिले नहीं
पैटर्न लॉक बोलकर पल्ला झाड़ लिया
नेता का नाम तो नहीं पर यह बोलकर मची हुई है सनसनी
अनिल जैन की खुदकुशी मामले में यह तो तय है कि कई राज की बातें हैं जो सामने आ चुके है। जिन्हें कबूलना कई लोगों की सेहत को बिगाड़ सकता है। मुख्य धारा की मीडिया में गुरुवार को यह समाचार सामान्य खुदकुशी की तरह सामने आया है। जबकि बुधवार को दिनभर अनिल जैन आत्महत्या कांड को लेकर कानों में बातचीत होती रही। इसी बीच शाम को यह अफवाह फैली कि इस मौत के कनेक्शन में किसी राहुल नाम के व्यक्ति का हाथ है। उसके पिता सोने के काफी चर्चित कारोबारी है। इसके अलावा सोशल मीडिया में यह भी सामने आया है कि कोलार रोड इलाके में गौरव जैन (Gaurav Jain) के साथ रंगदारी करने वाले दो पुलिसकर्मियों रोहित शर्मा (Rohit Sharma) और देवेन्द्र श्रीवास्तव (Devendra Shrivastav) के भी राहुल नाम के व्यक्ति से संपर्क थे। फिलहाल 16 फरवरी से यह दोनों पुलिसकर्मी फरार चल रहे हैं। इस प्रकरण में दो अन्य आरोपियों के नाम पर भी गिरफ्तारी न होने की वजह से सस्पेंस बना हुआ है। लेकिन, सोशल मीडिया में यह जरूर चल रहा है कि इन दोनों प्रकरणों में एक ही नेता की दखल है।
हमने लाल और हरी गोली का अंतर न समझाया होता तो अस्पताल में वह आती ही नहीं…समाचार के बाद अस्पतालों में दवा का इंतजाम तो हुआ। वीडियो को पूरा एक बार जरूर सुनना। शायद आपको हमारी गंभीर पत्रकारिता के जज्बे का अहसास हो सके।
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