सहायक आयुक्त संदीप शर्मा पर आरोप, शराब ठेकेदारों से साठगांठ कर पहुंचाया फायदा
भोपाल। अधिकारी-कर्मचारी अपने फायदे के लिए सरकार को भी चूना लगाने से नहीं चूकते। ऐसा ही एक मामला ग्वालियर से सामने आया है। जहां आबकारी अधिकारी ने शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस फीस की वसूली ही नहीं की। जिसके कारण सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई है। देशी और विदेशी शराब की तीन दुकानों की लाइसेंस फीस की वसूली न किए जाने की वजह से करीब ढ़ाई करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। आरोप है कि सहायक आबकारी आयुक्त संदीप शर्मा ने शराब ठेकेदारों से मिलीभगत कर ये कारनामा किया है।
आबकारी अधिकारी ने ही उठाए सवाल
सहायक आयुक्त संदीप शर्मा के कारनामे का खुलासा आबकारी विभाग के ही अधिकारी ने किया है। उपायुक्त आबकारी शैलेष सिंह ने शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए है। सिंह ने कलेक्टर को 5 पेज का एक पत्र लिखा है। उन्होंने तथ्यों के साथ कलेक्टर को बताया है कि किस तरह संदीप शर्मा ने सरकारी खजाने को ढ़ाई करोड़ रुपए की चपत लगाई।
लाइसेंस फीस ही नहीं वसूली
पहला मामला आमखो की देशी शराब दुकान का है। ये दुकान 2018-19 के लिए काशी इंफ्राट्रेड कॉम प्रा. लि के डायरेक्टर मयंक शिवहरे ने ली। इस दुकान की लाइसेंस फीस 27202752 रुपए थी। लेकिन ठेकेदार द्वारा अब तक महज एक करोड़ 30 लाख रुपए ही जमा कराए गए। 1 करोड़ 7 लाख रुपए बकाया होने के बावजूद संदीप शर्मा ने वसूली नहीं की और दुकान का संचालन जारी है। बड़ा सवाल ये है कि लाइसेंस फीस जमा न करने की वजह से ठेकेदार को सरकारी गोदाम से शराब नहीं मिली । फिर भी दुकान चल रही है। साफ है कि आमखो की दुकान से बीते 10 महीने से अवैध शराब बेची जा रही है।
ये होनी थी कार्रवाई
आमखो की देशी शराब दुकान का लाइसेंस निरस्त कर उसे पुर्ननिष्पादित किया जाना था। साथ ही लाइसेंस फीस की वसूली ठेकेदार द्वारा जमा कराई गई बैंक गारंटी और पोस्टडेटेट चैक के द्वारा की जानी चाहिए थी। लेकिन अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत से दुकान का संचालन हो रहा है।
इसी तरह दूसरा मामला पुरानी छावनी स्थित देशी और विदेशी शराब दुकान का है। ये दुकानें वर्ष 2018-19 के लिए ठेकेदार शैंकी गुप्ता ने ली। जिसकी लाइसेंस फीस करीब 4 करोड़ 20 लाख रुपए थी। लेकिन शैंकी गुप्ता ने भी लाइसेंस फीस के 1 करोड़ 9 लाख रुपए नहीं चुकाए और दुकान का संचालन जारी रहा।
ये होनी थी कार्रवाई
लाइसेंस फीस जमा न करने पर ठेकेदार शैंकी गुप्ता का लाइसेंस निरस्त किया जाना था और 1 करोड़ 9 लाख की वसूली पोस्ट डेटेट चैक और बैंक गारंटी से की जानी चाहिए थी। लेकिन सहायक आयुक्त संदीप शर्मा ने ऐसा करने की बजाए 4 फरवरी को दुकान सील कर दी। जबकि दुकान सील करने की कार्रवाई में कलेक्टर की अनुमति जरूरी थी। लेकिन संदीप शर्मा ने नियम विरुद्ध तरीके से दुकान का माल जब्त कर उसे सील कर दिया। बताया जा रहा है कि जब्ती के माल भी आमखो की दुकान पर ठिकाने लगा दिया गया। दुकान बंद किए जाने से भी राजस्व का नुकसान हुआ है। इसका संचालन सरकार करती तो राजस्व मिलता।
मामले में सहायक आयुक्त संदीप शर्मा को नोटिस जारी किया गया है। मामले में गड़बड़ी सामने आई है। जवाब-तलब के बाद कार्रवाई की जाएगी।
रजनीश श्रीवास्तव,आयुक्त, आबकारी विभाग मध्यप्रदेश