इंटर स्टेट फ्रॉड करने वाले गिरोह के लिए वेबसाइट डिजाइन करने वाले दो आरोपियों को सायबर सेल ने किया गिरफ्तार, करोड़ों रुपए का किया गया फर्जीवाड़ा
भोपाल। सायबर सेल ने मध्यप्रदेश समेत आधा दर्जन से अधिक राज्यों में झांसा देकर कराड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले रैकेट (Cyber Crime) का खुलासा किया है। यह रैकेट (Cyber Crime) भारत सरकार की पेट्रोलियम कंपनियों के पंप आवंटन कराने समेत कई अन्य प्रायवेट कंपनियों की फर्जी वेबसाइट बनाकर धोखाधड़ी (Cyber Crime) को अंजाम दे रहा था। इनको बनाने वाले दो डिजाइनर को सायबर सेल ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। यह जानकारी देते हुए विशेष पुलिस महानिदेशक पुरूषोत्तम शर्मा ने बताया कि भोपाल निवासी संजय मीणा से लगभग साढ़े पंद्रह लाख, जबलपुर निवासी राम अवतार से दो लाख रुपए, कटनी में 23 लाख और इटारसी-मुरैना में रहने वाले लोगों से भी दो से पांच लाख रुपए लिए गए थे। इन सबसे पेट्रोल पंप की डीलरशिप दिलाने का झांसा देकर यह रकम वसूली गई थी।
इसी मामले की तहकीकात में भोपाल एसपी सायबर सेल विकास शहवाल वेब साइट डिजाइनर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद निवासी वरूण कुमार मिश्रा पिता रामलखन उम्र 25 साल और महाराष्ट्र के मुंबई स्थित पठानवाड़ी मलाड ईस्ट निवासी मोहम्मद अरनवर खान पिता अखलाक अहमद को गिरफ्तार किया गया। वरूण ने एमसीए किया है और मोहम्मद अनवर ने वेब डिजाइन का कोर्स किया है। आरोपियों को रिमांड पर लेकर सायबर सेल की टीम पूछताछ कर रही है।
ऐसे देते थे धोखा
स्पेशल डीजी शर्मा ने बताया कि आरोपियों ने (Cyber Crime) पेट्रोल पंप डीलर चाहे डॉट को नाम से पोर्टल तैयार किया था। इस पोर्टल में होने वाले आवेदनों पर यह डीलिंग करते थे। यह डीलिंग व्हाटस एप के माध्यम से होती थी। इसके पहले दस्तावेज मंगाने और अन्य कई जानकारियां यह हासिल करते थे। इस गिरोह का मास्टर माइंड कौन है यह कहना अभी संभव नहीं हैं। हालांकि अंकित, राजेश समेत कई अन्य नाम सामने आए हैं। यह नाम उन बैंक खातों से पता चले हैं जो झांसा देने के लिए खोले गए करंट अकाउंट में इस्तेमाल हुए थे। रैकेट ने यह बैंक खाते कर्नाटक, झारखंड और पश्चिम बंगाल में खोले थे। रकम इन खातों में गिरती तो थी लेकिन ट्रांसफर किसी एक व्यक्ति के खाते में होती थी। पैसा रजिस्ट्रेशन शुल्क, एनओसी, सिक्यूरिटी, जीएसटी, इंश्योरेंस, लायसेंस फीस समेत अन्य सेवाओं के नाम पर वसूला जाता था। इस मामले में (Cyber Crime) बैंक अफसरों की भी भूमिका संदिग्ध है जिसकी पड़ताल की जा रही है।
यह है कंपनियां
स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि आरोपियों से प्राथमिक जानकारी हासिल हुई है। जिसमें रैकेट के (Cyber Crime) बिहार से संचालित होने की जानकारी मिल रही है। आरोपी इस तरह का कारोबार पिछले पांच-छह महीने से कर रहे हैं। आरोपी भारत सरकार समेत कई अन्य नामी कंपनियों की मिलती-जुलती प्रोफाइल बनाकर वेबसाइट बनाते थे। आरोपियों ने पेट्रोल पंप के अलावा, मुत्तुट फायनेंस, बजाज केपिटल, अमूल दूध, शाओमी मोबाइल, जियो टावर, टाटा फायनेंस, रिलायंस केपिटल समेत करीब 22 कंपनियों के (Cyber Crime) फर्जी पोर्टल बनाकर लोगों को धोखा दिया। डीजी ने कहा कि अभी पेट्रोल वाली जाली साइट में धोखाधड़ी की रकम लगभग 80 लाख रुपए पहुंच गई है। इनकी शिकायतें भी हमें मिल गई है जो अलग-अलग जिलों में दर्ज हैं।
गूगल को होगा नोटिस जारी
स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा ने बताया कि इस मामले में सायबर सेल ने जांच करने के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है। यह एसआईटी विकास शहवाल की निगरानी में जांच करेगी। आरोपियों ने धोखाधड़ी मध्यप्रदेश के अलावा गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों से भी की है। इसलिए जानकारी संबंधित राज्यों के डीजीपी से साझा की जाएगी। गिरोह ने वेबसाइट के प्रमोशन के लिए बल्क में एसएमएस भी भेजे थे। इसलिए एसएमएस प्रदाता कंपनी के खिलाफ भी इस मामले में कार्रवाई होगी। आरोपी लोगों को झांसा देने के लिए इंटरनेट की मदद से उस खास की वर्ड का इस्तेमाल करते थे। इसकी मदद से जाली वेबसाइट नेट पर डिस्प्ले होती थी। इसलिए नोटिस देकर इस जालसाजी को रोकने के लिए उन्हें कहा जाएगा। वहीं जिन कंपनियों के नाम से वेबसाइट बनी थी उनके सीईओ को पत्र लिखकर अपनी फर्म की वेबसाइट जैसी अन्य साइट पर निगरानी रखने के इंतजाम के लिए कहा जाएगा। साथ ही मामले में गूगल कंपनी को भी नोटिस जारी किया जाएगा।
नागरिकों से अपील
स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा ने कहा कि इंटरनेट की दुनिया में सबकुछ सही नहीं है। इसलिए तस्दीक करने के बाद ही उसका इस्तेमाल करें। पासवर्ड पैटर्न सरल रखने की बजाय उसके बेहतर तरीकों को जानने का प्रयास करें। अपना मोबाइल किसी भी व्यक्ति को न दे। मोबाइल के क्यूआर कोड से हैकर कुछ भी वारदात को अंजाम दे सकता है। वेबसाइट के नाम से पहले यह देखें कि वह एचटीटीपीएस है अथवा नहीं। जो गिरोह पकड़ाया है उसकी सारी वेबसाइट एचटीटीपी थी। गुगल एडवर्ड पर सबसे पहले दिखने वाली सारी जानकारियां सही नहीं होती।