राम मंदिर पर फैसले का क्रेडिट ‘कृष्ण’ को देने की लगी होड़, उमा भारती के बाद उद्धव ठाकरे भी करेंगे मुलाकात
नई दिल्ली। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले (Ayodhya Verdict) के बाद नेताओं को अचानक कृष्ण याद आ गए है। भगवान राम के मंदिर के निर्माण की राह खुलने के बाद नेताओं में ‘कृष्ण’ से मिलने की होड़ लग गई है। हम बात कर रहे है भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) की। राम मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा (Rath Yatra) निकालने वाले आडवाणी से मिलने कई नेता पहुंच रहे है। 1990 में गुजरात के सोमनाथ (Somnath) से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा निकालने वाले लाल कृष्ण आडवाणी को 1992 का मुख्य किरदार माना जाता है। दशकों तक भाजपा के हीरो रहे आडवाणी इन दिनों राजनीति से अलग हो गए है, या यूं कहें कि कर दिए गए है। कभी आडवाणी के घर नेताओं का तांता लगा करता था, लेकिन बीते लंबे समय से उनसे मिलने वालों की संख्या नहीं के बराबर रह गई है। अब अयोध्या पर फैसले के बाद अचानक नेताओं को आडवाणी याद आ गए है। दरअसल उनसे मिलने पहुंचने वाले नेता, इस फैसले का क्रेडिट आडवाणी को देना चाहते है। पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती (Uma Bharti) उनसे मिलने पहुंची। उन्होंने कहा कि राम मंदिर मामले में आडवाणी की वजह से ही हम यहां तक पहुंचे है। वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddav Thackeray) ने भी इस मौके पर आडवाणी से मिलने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही उनसे मिलने जाएंगे। बीते 8 नवंबर को आडवाणी 92 वर्ष के हो गए, हालांकि उनके जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) , उपराष्ट्रपति वेकैया नायडू समेत तमाम बड़े नेता मिलने पहुंचे थे।
लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि यह मेरे लिए पूर्णता का क्षण है क्योंकि सर्वशक्तिमान ईश्वर ने मुझे जन आंदोलन में अपना विनम्र योगदान देने का अवसर दिया था, जो कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के बाद से सबसे बड़ा था, जिसका परिणाम आज SC के फैसले को संभव बनाया गया है। आडवाणी ने सभी पांच जजों को धन्यवाद दिया।
अयोध्या पर फैसले के दिन शाम 6 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ये फैसला नया सवेरा लेकर आया है। इस विवाद ने भले ही कई पीढ़ियों पर असर डाला हो लेकिन अब हमे ये फैसला करना होगा कि नई पीढ़ी न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी। अब हमे नया भारत बनाना है। हमे यह तय करना है कि साथ चलने वाला कहीं पीछे तो नहीं छूट गया। हमारे बीच का सौहार्द, एकता, शांति, स्नेह देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमे भविष्य की और देखना है। भविष्य के भारत के लिए काम करना है। भारत के लिए चुनौतिया, लक्ष्य और मंजिले और भी है। हर भारतीय साथ चलकर ही मंजिल तक पहुंचना है। पीएम मोदी ने कहा कि कठिन से कठिन मामलों का हल कानून और संविधान से ही हो सकता है।