मंदिर निर्माण के लिए 3 महीनें में बनेगा ट्रस्ट, मस्जिद के लिए सरकार देगी 5 एकड़ जमीन
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े और विवादित मामले (Ram Janmabhoomi Babri Masjid title suit) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुना दिया है। अयोध्या में विवादित जमीन पर चल रहे 134 साल पुराने मामले में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला (Ayodhya Case Verdict) आया। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक है। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की 2.77 एकड़ जमीन रामलला विराजमान को दी गई है। लिहाजा अब यहां राम मंदिर बनाया जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी माना कि विवादित स्थल पर मुस्लिम भी प्रार्थना करते थे। लिहाजा सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में अच्छी जगह चिन्हित कर सुन्नी वक्फ बोर्ड को दें। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि पर मूर्तियां रखी जाने और मस्जिद को तोड़े जाने को गैर-कानूनी माना। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े की याचिका खारिज कर दी।
शीर्ष अदालत ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को राम मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि 02.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन ही रहेगी। साथ ही मुस्लिम पक्ष को नई मस्जिद बनाने के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन देने के भी निर्देश हैं। इसके अलावा कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया है। हालांकि निर्मोही अखाड़े को ट्रस्ट में जगह देने की अनुमति को स्वीकार कर लिया गया है।
अयोध्या मामले में पक्षकार इकबाल अंसारी ने फैसले पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि वे खुश है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया, उन्होंने फैसले का स्वागत किया।