नई दिल्ली। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 अप्रैल को तय की है। सज्जन कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को दिल्ली कैंट इलाके में सिखों के कत्लेआम के मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के ऐलान के बाद सज्जन कुमार ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को नोटिस जारी कर एक अन्य मामले में 6 हफ्ते में जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सोमवार को सज्जन कुमार के खिलाफ चल रहे मुकदमे की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। एक अन्य मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद की जमानत अर्जी पर सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।
न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ से सीबीआई ने कहा कि तत्कालीन सांसद सज्जन कुमार 1984 में राजधानी में सिखों के नरसंहार के ‘सरगना’ थे। जांच ब्यूरो की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि, सिखों का नरसंहार एक बर्बर अपराध था। वह (कुमार) नेता थे और इसके सरगना थे। उन्होंने कहा कि अगर सज्जन कुमार को जमानत पर रिहा किया जाता है तो यह न्याय का मखौल होगा क्योंकि 1984 के सिख विरोधी दंगे से संबंधित एक अन्य मामले में पटियाला हाउस की अदालत में उन पर मुकदमा चल रहा है। इस पर पीठ ने कहा कि वह कुमार की जमानत अर्जी पर 15 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
सीबीआई ने हाल ही में शीर्ष अदालत में सज्जन कुमार की जमानत का विरोध करते हुये कहा था कि उनका ‘‘काफी राजनीतिक रसूख’’ है और वह गवाहों को आतंकित और प्रभावित करने में सक्षम हैं। इससे अदालत में लंबित एक अन्य मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई प्रभावित हो सकती है।
कब क्या हुआ
सज्जन कुमार को सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल 17 दिसंबर को दोषी ठहराते हुये उम्र कैद की सजा सुनाई थी। अदालत के आदेश पर सज्जन कुमार ने 31 दिसंबर को आत्मसमर्पण कर दिया था। उच्च न्यायालय ने 73 वर्षीय सज्जन कुमार को एक और दो नवंबर, 1984 की रात दक्षिण पश्चिम दिल्ली के राज नगर पार्ट-1 में पांच सिखों को जिंदा जलाने और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारे में आग लगाने की घटना से संबंधित मामले में सजा सुनाई थी।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा गोली मार कर हत्या किये जाने के बाद बड़े पैमाने पर सिख विरोधी दंगे भड़क गये थे। इन दंगों में अकेले दिल्ली में ही 2700 से अधिक मारे गये थे।