सरकार बचा ले गई पति—पत्नी की हाथापाई से अपनी साख

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टीआरपी की जंग में सिस्टम में लगी दीमक, असल मुद्दों को ताक में रखकर विशेष वर्ग की ध्यान में लगा मीडिया

Bhopal Media Status
पत्रकारिता को लेकर प्रदर्शित सांकेतिक चित्र

केशवराज पांडे, भोपाल। पिछले कुछ समय से चरस की पुड़िया के चर्चे हर चौक—चौराहों पर हो रहे हैं। इसी तरह से पिछले दिनों मध्य प्रदेश के लगभग हर शहर में एक सरकारी अफसर के घर में हुई हाथापाई के किस्से ने सुर्खियां बटोरी। यह प्रकृति का नियम है बड़ा हमेशा छोटे का शिकार करता है। उसी तरह हर बड़े के बिगड़े हालात को छोटा चटखारे लेकर सुनना और जानना चाहता है। यह देश के लिए नीतियां बनाने वाले हर छोटे बड़े नेता अफसर जानते हैं। इसका हर कोई अपने हिसाब से फायदा उठाना चाहता है।

देश की नेशनल मीडिया सुशांत राजपूत सुसाइड केस से शुरु हुई थी। लेकिन, अब दीपिका पादुकोण, सारा अली खान की ड्रग्स कंज्यूम करने की पूछताछ पर पहुंच गई। ऐसा नहीं है कि यह हाल देश की मीडिया का है। यह ध्यान भटकाने वाला वायरस अब मध्य प्रदेश में भी आ चुका है। मुख्य बिंदुओं से ध्यान भटकाओ और अपना काम दिखा जाओ। ऊपर से चली इस प्रणाली को आमजन तक पहुंचने में अब ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

पहली बार नहीं लड़े पति—पत्नी

मध्य प्रदेश में मीडिया स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा की हर अच्छी—बुरी के साथ—साथ नई—पुरानी कहानी निकालकर बड़ी तल्लीनता से परोसने में लगा है। हालांकि उनकी पत्नी से हुई हाथापाई पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी उनके दांपत्य जीवन में 2008 में भूचाल आया था। उस वक्त अफसर मामले को दबाने के लिए ऐसे जुटे थे। तब उनका कहना था कि मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस की तरफ से अच्छा संदेश दूसरे राज्यों में नहीं जाएगा। लेकिन, देश में 12 साल में इतना आमुलचूल परिवर्तन आ गया। पूरा सिस्टम उनके घर के भीतर हुई हाथापाई को बारीकी से बताने के लिए जुटा हुआ है। सोशल मीडिया पर वायरल हर भाषा के चैनल में प्रसारित हो गया। अब किसी को उस बात पर अफसोस नहीं हो रहा कि ऐसा करने से मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस लॉबी बदनाम हुई। इसकी बहुत ही बड़ी वजह भी है जो आपको आसानी से समझ नहीं आएगी।

वायरल वीडियो का करंट

MP Public Prosecution
पुरुषोत्तम शर्मा, तत्कालीन संचालक, लोक अभियोजन संचालनालय File Photo

स्पेशल डीजी रहे पुरुषोत्तम शर्मा की पत्नी से हुई मारपीट का मामला पिछले रविवार की शाम से वायरल होना शुरु हुआ था। यह कुछ पत्रकारों से होते हुए प्रसारित किया जा रहा था। लेकिन, इस काम में रफ्तार उसी रात 10 बजे के बाद देखने को मिली। फिर तो आलम यह था कि वह वीडियो मध्य प्रदेश के हर सोशल मीडिया ग्रुप में तेजी से बंट रहा था। सोमवार सुबह कुछ अखबार में उस वीडियो के साथ पेज एक पर वह खबर के रुप में था। जिसके बाद सुबह से रीजनल न्यूज चैनल टूट पड़ा। कुछ घंटों में तो पुरुषोत्तम शर्मा के बंगले और दफ्तर में एक—एक करके सारे छोटे—बड़े चैनल पहुंच चुके थे। कांग्रेस खुलकर तो नहीं पर दबी जुबान से सामने आई। जिला विशेष शाखा के कर्मचारी न्यूज चैनल की एंकर का बायोडाटा जुटाने लगे। वीडियो में अचानक करंट आना सवाल खड़े करता है।

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एक ही महकमे की दो घटना पर दूसरे में खामोशी

स्पेशल डीजी और उनकी पत्नी के बीच हुई हाथापाई वाली घटना का जिस दिन वीडियो वायरल हुआ था उसी दिन पुलिस महकमे से जुड़ी दूसरी खबर भी थी। लेकिन, वह खबर पति—पत्नी की हाथापाई के वीडियो में दब गई। यह खबर थी मध्य प्रदेश के सतना जिले के सिंहपुर थाने की। यहां चोरी के शक में लाए गए राजपति कुशवाह की थाने के भीतर मौत हो गई थी। यह मौत पुलिस की गोली चलने से हुई थी। आनन—फानन में एसपी ने सिंहपुर थाने के प्रभारी विक्रम पाठक और सिपाही आशीष सिंह को निलंबित कर दिया। यह घटना रात के अंधेरे में दबी रही। लेकिन, सोमवार सुबह पौ फटते ही यह बड़े लॉ एंड आर्डर में तब्दील हो गई। नाराज जनता और पुलिस का आमने—सामने टकराव हुआ।

सतना से ज्यादा स्पेशल डीजी का हल्ला

सतना की घटना पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा खामोश रहे। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आधिकारिक बयान एक बार दिया। क्योंकि अधिकांश बयान सरकार के मंत्री और विधायक से लेकर अफसर स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा के घर हुई हाथापाई पर देते रहे। सतना एसपी रियाज इकबाल को रातों रात हटाया गया। उनकी जगह भोपाल से एसपी धर्मवीर सिंह यादव को भेजा गया। इन सबसे उलट सरकार ने स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा को पहले लोक अभियोजन के पद से हटाया। फिर उसके अगले दिन निलंबित ही कर दिया गया। कारण बताया गया सिविल आचरण अधिनियम के तहत दोषी पाए गए। जवाब संतोषजनक नहीं था। लेकिन, सतना पर कोई सख्त एक्शन सरकार दिखा ही नहीं सकी। एसपी को हटाने की वजह प्रशासनिक बताई गई। उन पर किसी तरह का सिविल आचरण वाला मामला ही नहीं बना। जबकि सतना में मौत के बाद भारी बवाल हुआ था।

सबक लेने की बजाय हो रही सुलह

Kondagaon Rape Case
सांकेतिक तस्वीर

ऐसा नहीं है कि सतना की घटना से सरकार या मध्य प्रदेश पुलिस विभाग किसी तरह से कोई सबक लेगा। बल्कि पूर्व की घटनाओं की तरह ही वह भीतर ही भीतर लापरवाह और गैरजिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों से सुलह कर लेगी। आपको यकीन नहीं होगा लेकिन, यह सच है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही छात्रा के साथ हबीबगंज आरपीएफ के पास गैंग रेप की घटना हुई थी। इस घटना की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पीड़िता और उसका परिवार तीन थानों में भटकता रहा। उस वक्त भारी हल्ला मचा। निरीक्षक रवीन्द्र यादव, मोहित सक्सेना, एसआई मरकाम समेत कई लोगों पर वेतनवृद्धि रोकने से निलंबित करने की कार्रवाई की गई। हालांकि कमल नाथ सरकार में इन कर्मचारियों को भीतर ही भीतर बहाल कर दिया गया।

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मापदंड पर खड़े होंगे सवाल

सिंहपुर थाने की हवालात में राजपति कुशवाह की पुलिस रिवॉल्वर से चली गोली की वजह से मौत हुई थी। जबकि दंड प्रकिया संहिता में तय मानकों के अनुसार कई मापदंड दिए गए हैं। जिस तरह हवालात में दाखिल से पहले संदेही या आरोपी की तलाशी होती है। उसी तरह वहां पूछताछ की नहीं जा सकती। ऐसी अवस्था में हवालात से बाहर पूछताछ करने का मानक है। दूसरा मानक पूछताछ के वक्त हथियार अपने पास रखने का भी नहीं है। यदि ऐसा करने की आवश्यकता हैं तो बकायदा रोजनामचे में उसके बारे में वजह बतानी होती है। लेकिन, सिंहपुर थाने की घटना में ऐसा नहीं हुआ। फिल्मों की स्टाइल में पूछताछ की गई जिसमें तकनीकी चूक की वजह से हथियार चल गया। हालांकि एसपी रियाज इकबाल का दावा था कि संदेही ने स्वयं टीआई से रिवॉल्वर छीनकर गोली मारी थी।

हिरासत और हिंसा के बीच हकीकत

Instability Plot
सांकेतिक तस्वीर

सतना में पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत के मामले को ठंडा तो सिस्टम और उससे जुड़े लोगों ने कर दिया। लेकिन, परेशानियों के लंबे होते पैर के सामने छोटी पड़ रही चादर उसको कब तक ढ़ंक सकने में कामयाब होगी यह वक्त ही बताएगा। पूर्व महिला आईपीएस और राज्यपाल रही किरण बेदी ने कई मंच पर यह कहा है कि हमें अपनी कमजोरियों को छुपाना नहीं चाहिए। बल्कि उसको सार्वजनिक करके उसमें सुधार की पहल करनी चाहिए। हालांकि मध्य प्रदेश में यह छुपाने की परंपरा बहुत ज्यादा हावी हो रही है। हालत यह है कि भोपाल के कोहेफिजा इलाके में एक नाबालिग की बलात्कार के बाद हुई हत्या आज भी पहेली बनी हुई है। जबकि उस परिवार के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष में रहते धरना दिया था।

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