जानिये क्या होती है पाक्सो एक्ट की धारा-9

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पॉक्सो एक्ट को लेकर देशभर में सामान्य नागरिकों को तो छोडिये खुद कानून के जानकारों को पूरी जानकारी नहीं है। ऐसे में जब कोई ऐसा मामला आता है तो पुलिस अक्सर पॉक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 के तहज मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर देती है। लेकिन इसमें धारा 9 एक महत्वपूर्ण पक्ष है। आंकड़े बताते हैं कि पाक्सो एक्ट के ज्यादातर मामले धारा 9 के तहत आते हैं।

पॉक्सो एक्ट-2012 की धारा-9 में कहा गया है कि अगर यौन प्रताड़ना करने का आरोपी कोई भरोसे का शख्स यानी पुलिसकर्मी, सरकारी कर्मचारी, शिक्षक या अस्पताल या घर का ही सदस्य है, तो उसे ज्यादा सजा मिलनी चाहिए। इसके तहत भरोसे के व्यक्ति पर अगर यौन प्रताड़ना करने का आरोप है तो उसके खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा-9 लगेगी और धारा-10 के तहत उसे कम से कम 5 साल की सजा या 7 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है।
वहीं पॉक्सो एक्ट की धारा-7 व 8 लगाने से सिर्फ 3 से 5 साल तक की ही सजा मिलती है।

पॉक्सो एक्ट के तहत अगर कोई सामान्य व्यक्ति किसी बच्चेे के साथ असॉल्ट करता है तब उसके खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 7 व 8 में मामला दर्ज होता है। धारा-7 में बच्चे के निजी अंगों को छूने का मामला है तो वहीं धारा-8 में इसमें सजा 3 साल से कम नहीं और अधिकतम 5 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

धारा 9 का प्रावधान इसलिए भी किया गया क्योंकि पुलिसकर्मी, सरकारी कर्मचारी, शिक्षक और घर के सदस्यों आदि पर बच्चों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी होती है। अगर इन्हीं के बीच से बच्चों को यौन प्रताड़ना का शिकार होना पड़े तो फिर मामला अत्याधिक गंभीर श्रेणी में आता है।

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