क्या सीसीडी के मालिक वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या महज एक शुरुआत है?

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सचिन श्रीवास्तव
कैफे कॉफी डे
के मालिक वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या कई तरह के सवाल खड़े करती है। किसानों की आत्महत्याओं पर संवेदनहीन हो चुकी सरकारें और देश के युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर चुप्पी साधने वाले सत्ताधारी इस एक अकेली आत्महत्या से कितना सीखेंगे और इसे कितनी गंभीरता से लेंगी कहना मुश्किल है। लेकिन हालात बेहद खराब हो रहे हैं।

इससे पहले कि आप मुझे पूरी तरह निराशवादी या देश को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा मान लें, मैं तीन शुरुआती बातें कहना चाहता हूं— 1. तीन तलाक पर मजबूत बिल लाने के लिए सरकार को बधाई। 2. भारत माता की जय और 3. वंदे मातरम।

अब एक नजर देश के आर्थिक हालात पर, जो लगातार बद से बदतर होते जा रहे हैं। असल में, लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार की प्रचंड जीत के बाद निवेशकों को उम्मीद थी कि अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए भी तेजी से कदम उठाए जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, नतीजतन निवेशक निराश हैं। इसका नतीजा सीसीडी के मालिक की आत्महत्या जैसे हालात तक में देखा जा सकता है। सिद्धार्थ ने अपने सुसाइड नोट में भी यह जिक्र किया है कि वे इनकम टैक्स और अन्य व्यावसायिक दबावों के कारण परेशान थे। तो क्या यह संभव नहीं है कि किसानों, युवाओं से शुरू हुई आत्महत्या की डोर अब व्यवसायियों के गले को भी कसने लगी है।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले 50 दिन की स्थिति बताती है कि निवेशक घबराए हुए हैं; नतीजतन इस जरा से अंतराल में लगभग 12 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ।

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30 मई को मोदी सरकार के औपचारिक अभिनंदन के बाद भारतीय बाजार की नब्ज माने जाने वाले बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के शेयरों का बाजार मूल्य 3 जून को 156 लाख करोड़ रुपए की ताजा उंचाई तक पहुंच गया था। लेकिन उसके बाद से जुलाई के आखिरी सप्ताह तक इसमें 11.70 लाख की गिरावट दर्ज की गई है जो कि 7.5 प्रतिशत है। बाजार मूल्य घटकर 144 लाख करोड़ रुपए रह गया है।

बीएसई में कारोबार करने वाली हर 10 में से 9 कंपनियों के शेयर (कुल 2,664 में से 2,294) तब से लगातार गिरावट के लाल रंग से पार नहीं पा सके हैं। 60 फीसदी से ज्यादा शेयर (1,632) में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। यही नहीं इनमें से एक तिहाई (903) का हाल तो यह है कि ये 20 फीसदी से ज्यादा नीचे जा चुके हैं।

आप चाहें तो इन तथ्यों को झूठा मानते हुए अगले पांच साल में 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का सपना देख सकते हैं। और फिर यह भी गुमान कर सकते हैं कि देश में चारों तरफ शांति है। लोग मॉल्स में खरीदारी कर रहे हैं। बाजार रक्षाबंधन की खरीदी से अटे पड़े हैं। भारतीय युवाओं का लोहा दुनिया मान रही है। भारत ही नहीं युवा यूरोप—अमरीका में तक नौकरियां कर रहे हैं, जो बेरोजगार हैं, वे बांग्लादेश से आए हैं। दुनिया में भारत का डंका बज चुका है, जो अब चांद तक पर देखा—सुना जा रहा है। किसान प्रफुल्लित हैं। जोरदार बारिश हो रही है। फसल के दो गुने से तीन गुने तक दाम मिल रह हैं। कर्मचारियों को इस बार जबर्दस्त इंक्रीमेंट मिला है। इसके कारण बाजार में भी नित नए मोबाइल की खरीदारी जारी है।

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जय हिंद

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