100 साल पहले हुए जलियांवाला हत्याकांड के समय दुनिया में मौजूद लगभग हर इंसान आज इतिहास के पन्नों में खो चुका है। अगर कुछ नहीं खोया है तो वह दर्द, दुख और मानवता को शर्मसार करने वाली वीभत्स करतूत जो ब्रिटेन के कायर जनरल ने की। ब्रिटेन के लगभग हर प्रधानमंत्री ने इस घटना पर दुख तो जताया है, लेकिन आज तक भारतीयों के साथ किए गए इस जुल्म के लिए माफी नहीं मांगी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर जलियांवाला हत्याकांड के ब्रिटेन माफी मांगता क्यों नहीं! जबकि 100 साल पहले आज ही के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग को ब्रिटिश सेना ने खूनी रविवार बना दिया था।
यह हत्याकांड जितना भारतीयों के दिलों में टीस पैदा करता है, उतनी ही चुभन पाकिस्तान की अवाम के दिलों में भी देता है। पाकिस्तान ने भी इस मामले में ब्रिटेन से माफी की मांग की है। इतना ही नहीं खुद ब्रिटेन के सांसद समय समय पर मांग उठाते रहे हैं कि इस मामले में औपचारिक माफी मांगनी चाहिए। तब भी ब्रिटेन इस माफी से कतरा रहा है!
इस मामले में ब्रिटेन के माफी मांगने के लिए पर्याप्त दबाव है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल इस कृत्य को राक्षसी करार दे चुके हैं, तो उधर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जब 2016 में कोमागाटा मारू घटना के लिए माफी मांगी थी, तब भी ब्रिटेन से जलियांवाला हत्याकांड के लिए माफी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग उठी थी। असल में, कनाडा ने 1914 के कोमागाटा मारू में सैकड़ों भारतीय जहाज यात्रियों को कनाडा में प्रवेश से रोक दिया था। इस वजह से कई लोगों की मौत हुई। 2016 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश की संसद में इसके लिए खेद प्रकट किया था।
क्यों माफी से डर रहा है ब्रिटेन
अगर जलियांवाला बाग हत्याकांड की अपनी शर्मनाक हरकत के लिए ब्रिटेन माफी मांगता है तो उसे भारत के नाम एक डॉजियर तैयार करना होगा। लेकिन इससे ब्रिटेन डर रहा है। दिक्कत यह है कि अगर 100 साल पहले के अपनी शर्मनाक करतूत के लिए ब्रिटेन माफी मांगेंगा तो यह सिलसिला यही खत्म नहीं होगा। ब्रिटेन के इस तरह के अपराधों की लिस्ट बेहद लंबी है। भारत से ब्रिटेन माफी मांगेंगा तो दक्षिण अफ्रीका भी चाहेगा कि उससे माफी मांगी जाए। दक्षिण अफ्रीका में 20वीं सदी के बोअर कैंप में अकाल और बीमारी से करीब 28 हजार मौत हुईं थीं और इनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इन मौतों का कारण ब्रिटेन ही है। अपने शासनकाल में ब्रिटेन ने कई देशों में ऐसे कुकृत्य किए हैं। भारत ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए वित्तीय मुआवजे की मांग नहीं की है। इसलिए अगर ब्रिटेन जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए माफी मांगता है तो उसे महज एक डॉजियर तैयार करना पड़ेगा। इसमें बंगाल का अकाल भी शामिल है। तब दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश सैनिकों को खाना खिलाने के लिए भारत के अन्न भंडार को नष्ट कर 40 लाख लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया था।
केन्या को दे चुका है मुआवजा
माफी मांगने से परहेज करने वाला ब्रिटेन पैसे से मदद करने में नहीं हिचकता है। ब्रिटिश सरकार ने माउ माउ विद्रोह से पीड़ित 5 हजार से ज्यादा केन्याई पीड़ितो को 2013 में 20 मिलियन पाउंड यानी करीब 181.65 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया था। इस घटना के लिए भी ब्रिटेन ने आज तक माफी नहीं मांगी है। वैसे 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के पीड़ितों के लिए उस वक्त ब्रिटेन ने 19.42 लाख रुपये की राशि की घोषणा की थी। आज इसकी मूल्य करीब 108 करोड़ रुपये होगा।