Bhopal Fraud Case: गिरवी जमीन पर दोबारा ले लिया लाखों रुपए का लोन

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जांच में फंसे बैंक ऑफ महाराष्ट्र के तत्कालीन बैंक मैनेजर, पति—पत्नी और बेटे के खिलाफ जालसाजी काव मुकदमा दर्ज

MP Fraud Case
भोपाल स्थित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग मुख्यालय

भोपाल। बैंक में पहले से ही गिरवी जमीन पर दोबारा लाखों रुपए का लोन (Bhopal Loan Fraud Case) ले लिया गया। मामला मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh Crime News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Crime News) जिले का है। मामले की जांच आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (Madhya Pradesh Economic Offense Wing) ने की थी। जांच पूरी होने के बाद जालसाजी (Bhopal Fraud Case) का प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। आरोपी दंपत्ति के अलावा उनका बेटा भी है। इस पूरी साजिश को बैंक मैनेजर की मदद से अंजाम दिया गया। इसलिए ईओडब्ल्यू (Bhopal EOW) ने उसको भी आरोपी बनाया है। पुलिस ने इस लोन के लिए रिपोर्ट बनाने वाले एक वकील को भी आरोपी बनाया है। यह फर्जीवाड़ी करीब 45 लाख रुपए का है।

जानकारी के अनुसार यह पूरा उस वक्त प्रकाश में आया जब बैंक की लोन की किस्त जमा नहीं हुई। बैंक ने पड़ताल की तो यह घोटाला उजागर होकर सामने आया। ईओडब्ल्यू के अनुसार इस मामले की शिकायत बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank Of Maharashtra) के जोनल मैनेजर मुकेश सैनी (Mukesh Saini) ने की थी। शिकायत मार्च, 2019 में की गई थी। जांच के बाद पाया गया कि मामले में आरोपी टीटी नगर स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM Loan Fraud) के तत्कालीन बैंक मैनेजर सुरेश पांडे (Suresh Pandey) हैं। उन्होंने संपत्ति का भौतिक सत्यापन में चूक की थी। जिन्होंने लोन लिया था वह परिवार छोला रोड में रहने वाला निर्मल कुमार जैन (Nirmal Kumar Jain) का परिवार है। ​उन्होंने पत्नी सुमन जैन (Suman Jain), बेटे पुनीत कुमार जैन (Punit Kumar Jain) के नाम संपत्ति को दर्शाकर करीब 10 लाख रुपए का लोन बैंक से लिया था।

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जांच की गई तो पता चला कि जिस संपत्ति पर उन्होंने लोन लिया है वह इलाहाबाद बैंक (Alahabad Bank) में पहले से ही गिरवी रखी गई है। उस वक्त पॉली हाउस निर्माण के लिए लोन लिया गया था। तब मैसर्स निर्मल हर्बल फर्म (MS Nirmal Herbal Firm) नाम से यह लोन लिया था। लोन 2012—2013 वित्तीय वर्ष में लिया गया था। ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया कि इन तमाम जानकारियों से शाहपुरा निवासी निरंजना चौरसिया (Niranjana Chourasia) वाकिफ थी। इसके बावजूद पुराने लोन की जानकारी छुपाकर बैंक को दी गई। पुलिस ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ जालसाजी और दस्तावेजों की कूटरचना का प्रकरण दर्ज कर लिया है।

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