इंदौर के बहुचर्चित नेत्र अस्पताल की लापरवाही मामले में सरकार की हुई किरकिरी, ताले खोलने के आदेश जारी
इंदौर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) नेत्र अस्पताल (Eye Hospital) के मामले में हाई कोर्ट बैंच के सामने सरकार की जमकर किरकिरी हो गई। सरकार ने अस्पताल का लायसेंस सस्पेंड करके अस्पताल में ताले जड़ दिए थे। यह कार्रवाई 15 मरिजो की आंखों की रोशनी जाने (Eye Surgery) के करीब सवा दो महीने पहले की गई थी। इस कारवाई के दस्तावेज हाई कोर्ट के सामने सरकार पेश नहीं कर पाई थी।
इंदौर शहर में आंखों के ऑपरेशन को दौरान हुई इस लापरवाही के चलते अस्पताल को जिला प्रशासन ने सील कर ताला लगवा दिया था। प्रशासन का कहना था कि इस अस्पताल में जो मरीज अपने आंखो के ऑपरेशन के लिए भर्ती हुए थे, उनके साथ अस्पताल में लापरवाही बरती जा रही है। इसलिए इसे सील कर दिया जाए। जिला प्रबंधन ने बिना किसी आदेश के अस्पताल को सील ताला लगवा दिया। जिस कारण अस्पताल प्रबंधन और कर्मचारी को बड़ा झटका लगा था। अस्पताल प्रबंधन ने इससे इंकार करते कहा मरीजों के साथ लापरवाही के आरोपों के लिए हम दोषी नहीं है। फिर भी प्रशासन ने एक बात नहीं सुनी। अस्पताल प्रबंधन ने इसको गंभीर बताते हुए सारे मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। जिला प्रशासन ने हाई कोर्ट से कुछ समय की मोहलत मांगते हुए लापरवाही साबित करने का दावा किया।
करीब दो महीने तक प्रशासन कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाया। इसलिए हाई कोर्ट ने सारे मामले को खारिज करते हुए अस्पताल प्रबंधन के पक्ष में फैसला सुनाया। उल्लेखनीय है कि चिकित्सा मंत्री तुलसीराम सिलावट (Minister Tulsi Ram Silavat) ने ही अस्पताल में ताले लगवाए थे। इसके अलावा वो मरीज जिनकी आंखों की रोशनी चली गई थी उनके सरकारी खर्च पर ऑपरेशन कराए गए थे। लापरवाही का यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा था।