MP Fraud Case: आरबीआई और सेबी के जाली सर्टिफिकेट दिखाकर कराया निवेश

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पश्चिम बंगाल की कंपनी ने लगाई 12 करोड़ रुपए की चपत, दर्जनों लोग की शिकायत पर ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज

MP Fraud Case
भोपाल स्थित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग मुख्यालय

सागर। मध्यप्रदेश के मासूम नागरिकों को पश्चिम बंगाल की एक कंपनी (Shell Company) चपत लगाकर भाग गई। इस कंपनी ने फर्जीवाड़ा (Fake Investment) करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) के जाली सर्टिफिकेट (Fake Certificate) बनाए थे। यह कंपनी सागर से चल रही थी। जिसने तीन दर्जन से अधिक लोगों से दो से 10 लाख रुपए तक ऐंठ लिए। शिकायत मिलने के बाद आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (Madhya Pradesh Economic Offense Wing) ने मामला दर्ज कर लिया है।
ईओडब्ल्यू के अनुसार घटना 2009 से 2012 के बीच की है। शिकायत पिनकॉन ग्रुप (Pincon Group) के खिलाफ मिली थी। यह ग्रुप सागर में संचालित था। यह कंपनी अलग—अलग नाम से सागर में कारोबार कर रही थी। जांच की गई तो उसमें पिनकॉन सिक्योरिटी लिमिटेड (Pincon Security), एलआरएन फायनेंस लिमिटेड (LRN Finance), ग्रीनेज फूड प्रोडक्ट लिमिटेड, एलआरएन यूनिवर्स प्रोड्यूर्स कंपनी और उत्कल मल्टी स्टेट क्रेडिट नाम से यह कंपनियां चल रही थी। यह कंपनियां लोगों से निवेश (Fake Investment) करा रही थी। लेकिन, जब भुगतान का वक्त आया तो वह दफ्तर में ताला लगाकर भाग गई। ईओडब्ल्यू के पास अब तक 46 ऐसे लोग पहुंच चुके हैं जिन्हें भुगतान कंपनी (Shell Company) को करना था। इन लोगों की कुल 12 करोड़ रुपए की रकम कंपनी लेकर भाग गई। शिकायत की जांच के लिए कंपनी से जुड़े कर्मचारी और अफसरों को खंगाला गया।
इस दौरान कंपनी के ब्रांच मैनेजर रहे युवराज चौरसिया से पूछताछ की गई। उसने कंपनी के लेन—देन से जुड़े बैंक खातों का ब्यौरा मुहैया कराया। कंपनी के एचडीएफसी, एक्सिस और सेंट्रल बैंक आफ इंडिया में खातों की जानकारी मिली। इसमें हुए लेन—देन को ईओडब्ल्यू अभी खंगाल रहा है। युवराज की दी गई जानकारी के आधार पर ईओडब्ल्यू ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के अफसरों से जानकारी मांगी गई। दोनों सरकारी संस्थाओं ने ऐसा कोई प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया। जांच में पता चला कि इस कंपनी की आखिरी ब्रांच उत्कल नाम से चल रही थी। जिसमें 2018 में ताला लगाकर सारे लोग सागर से भाग गए।
जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने कोलकाता निवासी और सारी कंपनियों के डायरेक्टर मंनोरजन राय, उसकी रिश्तेदार मौसमी राय, राजकुमार राय के खिलाफ जालसाजी, गबन समेत अन्य धारा में प्रकरण दर्ज कर लिया। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने अन्य आरोपी भी बनाए है। जिसमें कंपनी के डायरेक्टर, मैनेजर के अलावा एजेंट है। जिन्हें ईओडब्ल्यू ने आरोपी बनाया है उनमें संदीप ठाकुर, स्वपन कुमार सिरकार, अरूण ठाकुर, हरीसिंह, जेपीएस नेगी, दीपांकर वासु, राजीव पाल, रघुजया शेटृी, संदीप घोष, स्वप्न कुमार घोष, दीपक पुंडीर, राणा सरकार, सिद्धार्थ राय, विनय सिंह, ज्योति प्रकाश नायक, सोनाली राय, विनोदिनी दास, किशोर चंद्र नायक, ज्योतिर्मयी नायक, ज्योत्सना बैहरा, नरोत्तम नायक, राजेन्द्र कोठारी, महेन्द्र साहू, युवराज चौरसियसा, चेतन कोष्टी, विकास गरसरिया, राहुल राजे, धीरज चौरसिया, विनोद कुमार कोरी, राकेश कबीरपंथी, गणेश प्रसाद कोरी, इश चौरसिया, यशपाल कोष्टी और अनिल कुमार जैन हैं। अधिकांश आरोपी कोलकाता और सागर के रहने वाले हैं। एक आरोपी आगरा का रहने वाला है जो कंपनी में डायरेक्टर हैं।

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