यह तस्वीर मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिला अस्पताल में जिंदगी की उम्मीद लेकर आए बालचंद लोधी की हैं। वे शुक्रवार को जिला अस्पताल में भर्ती हुए थे और मंगलवार को दुनिया छोड़ चुके हैं। उनके शव पर रेंगती, आंखों के जरिये उनके शरीर को छेदती चींटियों पर आप ज्यादा देर आंख मत रखिये। क्योंकि ये आपको हमारे देश की वह हकीकत दिखाएंगी, जिससे आंख चुराने का हुनर बीते दो—तीन दशकों में हम सबने बेहद चालाकी से सीख लिया है।
मानवता, असंवेदनशीलता, शर्मसार, शर्मनाक और फिर दुख, चिंता, संस्पेंड, जांच के सिलसिले में बालचंद लोधी का शव भी कुछ दिनों में हम सबके जेहन से फारिग हो जाएगा।
यह एक जिला अस्पताल का मामला है। उसी शिवपुरी के जिला अस्पताल का जहां कुछ ही दिनों पहले दो बच्चों की हत्या का मामला सामने आया था और देश भर से चिंताओं, दुख, गुस्से के बाद नई सनसनियों और विकास की बयारों पर चर्चा शुरू हो चुकी है।
इस मामले में कुल जमा आपके जानने लायक बस इतना है कि —
बालचन्द लोधी का शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती हुए। मंगलवार को उनकी मौत हो गई। मौत के वक्त बालचन्द के पास परिवार का कोई सदस्य नहीं था। उनकी पत्नी बच्चों को देखने घर चली गई थी। कई घंटों तक किसी को पता ही नहीं चला कि बालचंद की मौत हो गई है। सूचना दी तो पहले नर्सों ने आकर देखा फिर डॉक्टर ने। किसी ने भी लाश वहां से उठाने या परिवार को ख़बर देने की ज़हमत नहीं उठाई। अस्पताल के अन्य मरीजों ने बालचंद की पत्नी को सूचना दी। वे अस्पताल पहुंचीं तो देखा शव में चींटी लग चुकी थीं। पत्नी को शव सौंपकर अस्पताल प्रबंधन ने अपने काम से छुट्टी पा ली। ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैलीं।
इसके बाद प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई और अफसरों को तलब किया। कलेक्टर और कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता अस्पताल पहुंचे। सिविल सर्जन पी के खरे, एक डॉक्टर और 3 नर्सों को निलंबित किया गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घटना पर कड़ी नाराज़गी जताई। जांच के आदेश भी दिए। ट्वीट किया कि इस तरह की इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटनाएं कतई बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। दोषी लोगों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई का भी भरोसा दिया। इस बीच सिविल सर्जन की तबियत बिगड़ गई और उन्हें ग्वालियर के अस्पताल में रैफर कर दिया गया।
सरकार सक्रिय हो चुकी है। इसलिए अब चुप रहा जा सकता है। अगली घटना का इंतजार करते हुए। अगले बालचंद के शव को चींटियों तक पहुंचाने की तैयारी करते हैं।