मंत्री से हुई इतनी बड़ी चूक, आप जानेंगे तो हो जाएंगे हैरान, लापरवाही इरादतन या फिर कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का परिणाम
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार में वन मंत्री (Forest Minister) उमंग सिंगार अपने ही पत्रकार वार्ता के बाद निशाने पर आ गए हैं। यह पत्रकार वार्ता उन्होंने तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) सरकार पर आरोप लगाते हुए पौधरोपण घोटाले (Plantation Scam) को लेकर आयोजित की थी। उन्होंने दावा किया था कि इस संबंध में वे जांच आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (EOW) को सौंपने जा रहे हैं। लेकिन, तीन दिन बाद ही उनकी लिखी हुई नोटशीट सोशल मीडिया में वायरल (Social Media Viral) हो गई। इस नोटशीट के अनुसार घोटाला शिवराज सिंह चौहान की बजाय कमलनाथ सरकार ने अंजाम दिया है ऐसा दर्शाया गया है। अब सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि यह मंत्री की तरफ से हुई चूक थी या फिर इरादतन। जानिए thecrimeinfo.com की इस पूरे मामले में विशेष (TCI Exclusive) पड़ताल।
यह कहा था पत्रकार वार्ता
वन मंत्री उमंग सिंगार (Umang Singar) ने 11 अक्टूबर को वन विभाग के गेस्ट हाउस (Forest Guest House) में पत्रकार वार्ता आयोजित की थी। इसमें उन्होंने दावा किया था कि पिछली शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी तब पौधरोपण (Plantation) किया गया था। घोषणा अप्रैल, 2017 में हुई थी जिसके तीन महीने के भीतर ही कमेटी बनाकर मैदान में उसका पालन कराया गया। यह बहुत ही अव्यवहारिक और असंभव काम था। दरअसल, एक पौधे को तैयार होने में ही दो साल का वक्त लगता है, ऐसा वन मंत्री ने दावा किया था। यह पौधरोपण गिनीज बुक वल्र्ड रिकॉर्ड (Guinness Book World Record) में आने के लिए किया गया था। जिसमें घोषणा 5 करोड़ पौधे की थी जो बाद में 7 करोड़ पौधे पर पहुंच गई।
आप खुद ही सुन लीजिए वन मंत्री के आरोपों को और फिर नोटशीट पढ़ लीजिए। सच्चा कौन? बोल रहे मंत्री या फिर वन विभाग की नोटशीट।
वन मंत्री ने बताया कि इसके लिए जनता के 135 करोड़ रुपए फूंक (Plantation Scam) दिए गए। पौधे गुजरात और महाराष्ट्र से खरीदे गए थे। इस काम में हार्टीकल्चर, पंचायत और वन विभाग समेत चार विभागों ने मदद की थी। इस मामले में वन विभाग तत्कालीन जिम्मेदार अफसरों को मैदान से हटा दिया गया है। वन मंत्री का आरोप था कि इस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार की भी भूमिका थी। जिसकी जांच अब वे आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (MP EOW) को सौंपने जा रहे हैं।
मैदान से पौधे गायब
वन मंत्री ने पत्रकार वार्ता के दौरान तत्कालीन सरकार में मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की नोटशीट (Notesheet) भी बांटी थी। वन मंत्री का दावा था कि उन्होंने जिम्मेदारी संभालने के बाद अमले के साथ बैतूल में जाकर भौतिक परीक्षण (Physical Test) किया था। जहां 15 हजार से अधिक पौध रोपण करने का दावा किया गया था वहां 10—11 पौधे मिले। इन पौधों को लगाने के लिए जेसीबी मशीन (JCB Machine) का भी इस्तेमाल किया गया। यह हमारी शुरूआती जांच में पता चला है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि जेसीबी मशीन की इस काम के लिए आवश्यकता ही नहीं थी। इस संबंध में गिनीज से भी जवाब मांगा गया। हमें बताया गया है कि जो मापदंड तय थे उसका पालन ही नहीं हुआ।
अब बोलती बंद
वन मंत्री उमंग सिंगार की नोटशीट अब सोशल मीडिया में वायरल हो गई है। इस नोटशीट में उन्होंने अपने ही महकमे (MP Forest Department) को भी कोसा है। इसमें कहा गया है कि जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों को बचाने के लिए उन्हें जानकारी विभाग की तरफ से नहीं दी जा रही है। इसे सिविल आचरण अधिनियम (Civil Conduct Act) के तहत गैरजिम्मेदार माना गया हैं। यह दो पेज की नोटशीट में तारीख को लेकर वे घिरते जा रहे हैं। दरअसल, नोटशीट में 2 जून, 2019 की तारीख एक नहीं तीन—तीन बार लिखी है। जिसमें वन मंत्री ने हस्ताक्षर भी कर दिए।
पहले भी विवादों में रहे मंत्री
वन मंत्री उमंग सिंगार इससे पहले भी विवादों में रहे थे। ताजा विवाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर किए गए पत्राचार के बाद सामने आया था। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister) ने सभी मंत्रियों से जवाब मांगा था कि उनकी तरफ से लिखे गए पत्र पर सरकार के कितने मंत्रियों ने एक्शन लिया। इसमें नर्मदा बैल्ट में हुए पौधरोपण का मामला भी था। इसी बयान के बाद वन मंत्री उमंग सिंगार ने मोर्चा खोल दिया था। जिसके चलते उनके बंगले के बाहर पुतले भी जले थे। अब ताजा नोटशीट वायरल होने के मामले को सरकार के भीतर चल रहे खींचतान से जोड़कर देखा जा रहा है। अब आने वाला वक्त ही बताएगा यह मुद्दा कब तूल पकड़ेगा। इस मामले में वन मंत्री उमंग सिंगार से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया। इसके लिए उनके निवास और जनसंपर्क अधिकारी से भी संपर्क किया गया। इसके बाद वन मंत्री को एसएमएस के जरिए भी कोई प्रतिक्रिया देने के लिए आग्रह किया गया। हालांकि वे पूरे मामले में जवाब नहीं दे सके।