बेटी को अपनी न बताने पर पति का हुआ था डीएनए टेस्ट, अदालत ने तलाक की अर्जी को किया खारिज
ग्वालियर। पत्नी के चरित्र पर शक करने वाले पति को अदालत पहुंचने पर शर्मिंदा होना पड़ा। मामला ग्वालियर कुटुंब न्यायालय (Family Court) का है। पति अदालत में बेटी को अपनी न बताकर तलाक (Triple Talaq) मांगने के लिए पहुंचा था। हालांकि पूरी सुनवाई के बाद उसके तलाक की अर्जी अदालत ने खारिज कर दी।
पूरा मामला कुछ इस प्रकार है कि अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश हितेंद्र सिंह सिसोदिया की अदालत में याचिका ग्वालियर के एक स्कूल संचालक ने लगाई थी। उसकी 2003 में शादी हुई थी। शादी के बाद पति ने ही पत्नी को आगे की शिक्षा दिलाई। यहां तक कि उसकी पत्नी को उसने नौकरी भी लगाई। मामले में मोड़ तब आया जब वह 2011 में तीसरी बेटी के रूप में तीसरी बार पिता बना। अदालत में याचिका लगाने वाले पति का कहना था कि वह उसकी बेटी नहीं है। उसको पत्नी के चरित्र पर शक था। अदालत में करीब आठ साल तक लंबी सुनवाई चली। इस दौरान दोनों पति—पत्नी के आरोप—प्रत्यारोप की हकीकत का पता लगाने के लिए अदालत ने डीएनए टेस्ट कराया। इस टेस्ट में पता चला कि तलाक चाहने वाले पति की ही तीसरी बेटी है। जिसके बाद अदालत ने तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया।
इधर, पत्नी का कहना है कि पति एक कथित तांत्रिक बाबा के चक्कर में पड़ गया है। पत्नी का कहना है कि उसके पति ने अदालत में याचिका लगाते वक्त यह कहा था कि यदि वह गलत साबित होगा तो वह बच्ची को स्वीकार लेगा। यदि वह आज भी बच्चों को अपनाने के लिए राजी है, तो वह पति के साथ रहना पसंद करेगी। पत्नी ने यह भी कहा कि यदि पति ऐसा नहीं करता है तो वह उसके खिलाफ मानहानि का मुकदमा करेगी।