MP Cop Gossip: डीजीपी साहब आपके लिए महकमे के ही कुछ कर्मचारियों ने रोजनामचा में अपनी कार्रवाई छोड़ आपको मैदानी सच्चाई बताने के लिए कुछ लिखकर भेजा है, दो साल बाद मीडिया को मुखड़ा दिखाकर करा ली फिर भी किरकिरी, जिस थानेदार को जाना था अब वह रिलीव ही नहीं होना चाहता जानिए क्यों

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग बहुत बड़ा होता है। उसके भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। ऐसे ही बातों का हमारा साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) हैं। इस बार कुछ चिन्हित चुटीली जानकारियां। हमारा मकसद किसी व्यवस्था को कम—ज्यादा आंकना नहीं हैं। वहीं गॉसिप की आड़ में अफसरों को किसी तरह का भय पैदा करना भी नहीं हैं। बस हमारा मकसद सिर्फ इतना है कि यदि कोई जिम्मेदार अफसर हमसे इन बातों को लेकर संवाद करेगा तो जरुर हम उन्हें निष्पक्षता के साथ बता देंगे।
दो साल बाद सामने आए उसमें भी किरकिरी
दाने—दाने में लिखा है खाने वाले का नाम
एमपी पुलिस की चमत्कारी ‘ज्योति’ एक दिन जरुर कराएगी राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी

आप हमारे इस व्यंग्य को पूरी सावधानी से अध्ययन करिएगा। यह रोचक मामला विदिशा जिले का है। जिनसे जुड़ा यह विषय है उनके अलावा जिले के लगभग सारे अफसरों को पता है। यह थानेदार है जो भोपाल शहर में रह चुकी है। उनकी दोस्ती एक तैराक के साथ हुई थी। फिर दोनों ने प्रेम विवाह भी कर लिया। पुलिस विभाग में रहते सीहोर जिले के एक मकान में वह किराए से रहने लगी। जहां किराए से रहती थी वहां रहने वाले एक वृद्ध के साथ उनका चक्कर चल पड़ा। यह बात पति को पता चल गई। आवेश में आकर एक रेस्टोरेंट में जूस में बेहोशी की दवा मिलाकर उसे बेसुध कर दिया। फिर वृद्ध और थानेदार ने मिलकर हत्या कर दी। लाश गटर में फेंक दी गई थी। पहचान के बाद वृद्ध और उसकी थानेदार प्रेमिका को गिरफ्तार किया गया। अदालत ने सजा भी सुना दी। इसके बाद थानेदार को विभाग ने सेवा से डिस्चार्ज कर दिया। सजा पूरी करने के बाद डिस्चार्ज के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जिसके बाद थानेदार ने वापस अपनी वर्दी हासिल कर ली। अब वह एक जिले में बैठकर पति—पत्नी से जुड़े मामलों में सीधा दखल दे रही है। वह जो कर रही है उसे हाईकोर्ट ने लगभग एक साल पहले ही प्रतिबंधित कर रखा है। हालांकि अफसर यह बात उससे सीधे नहीं बोल सकते। इसलिए झेल रहे हैं। अंदरखाने की खबर यह भी है कि उनकी सेवा विभाग का ही एक कार्यवाहक एएसआई भी कर रहा है। इसे कहते हैं गुनाह करने के बाद भी मलाई काटना।
डीजीपी साहब देख लीजिए आपके आदेश जारी होने के बाद राजधानी में यह खेल चल रहा है
हुआ कुछ नहीं हालात जस के तस
थाने में आधे से ज्यादा नौकरी कर ली पूरी

एक थाना क्षेत्र में आधी रात के बावजूद ढ़ाबे, बार और पब चलते हैं। यह खुले रहे और संकट न आए उसका इंतजाम इन्हीं अंगदों के हवाले भी हैं। निरीक्षक भी खुश है रिस्क मेरे पास नहीं। मातहत भी खुश वह आधा थानेदार। आदेश देने वाले अफसर बेफिक्र कौन चैक करेगा। एक कर्मचारी का तो तबादला हुआ जिसे अफसरों ने ही आपस में फोन पर बातचीत करके वापस उसी जगह करा लिया। ऐसे ही खिदमतगारों के कारण एक लंबी फौज थानों में दलदल जैसा वातावरण बना चुकी हैं। जहां चढ़ावा सामान्य हो चला है। निगरानी करने वाले अफसरों की मॉनिटरिंग कौन करें। उन्हें कौन ताकीद करें। जिन कर्मचारियों ने ऐसा दुस्साहस किया वे लाइन हाजिर भी कर दिए गए। जी हुजूरी पर खबरनवीस को समाचार से लेकर अद्धा पौवा भी मिल जाता है। बशर्ते यह है कि उसके नाम का ध्यान रखा जाए। हर कोई तो कुलांचे मारकर भ्रष्टाचार से भरे हौज में जाकर अपने हिस्से का लौटा भरकर जा रहे हैं। जोन—3 के एक थाने में तैनात हुए आरक्षक ने प्रमोशन से लेकर अब तक अपनी आधी नौकरी पूरी कर ली है। ऐसा ही हाल जोन—3 के थाना तलैया, कोतवाली, गौतम नगर, श्यामला हिल्स, शाहजहांनाबाद में भी बना हुआ है। इसी तरह जोन 2 के थाना अयोध्या नगर, मिसरोद, बागसेवनिया, पिपलानी और गोविंदपुरा में भी है। हमें ऐसे अंगदों की सूची भी मिली है। लेकिन, यह हमारे गॉसिप के तय मापदंडों के यह खिलाफ था इसलिए उसे शामिल नहीं किया गया।
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