MP Cop Gossip: पुलिस की ‘ज्योति’ कर रही नाम रोशन

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MP Cop Gossip: डीजीपी साहब आपके लिए महकमे के ही कुछ कर्मचारियों ने रोजनामचा में अपनी कार्रवाई छोड़ आपको मैदानी सच्चाई बताने के लिए कुछ लिखकर भेजा है, दो साल बाद मीडिया को मुखड़ा दिखाकर करा ली फिर भी किरकिरी, जिस थानेदार को जाना था अब वह रिलीव ही नहीं होना चाहता जानिए क्यों

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भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग बहुत बड़ा होता है। उसके भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। ऐसे ही बातों का हमारा साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) हैं। इस बार कुछ चिन्हित चुटीली जानकारियां। हमारा मकसद किसी व्यवस्था को कम—ज्यादा आंकना नहीं हैं। वहीं गॉसिप की आड़ में अफसरों को किसी तरह का भय पैदा करना भी नहीं हैं। बस हमारा मकसद सिर्फ इतना है कि यदि कोई जिम्मेदार अफसर हमसे इन बातों को लेकर संवाद करेगा तो जरुर हम उन्हें निष्पक्षता के साथ बता देंगे।

दो साल बाद सामने आए उसमें भी किरकिरी

राजधानी के एक अधिकारी मीडिया से बातचीत करने में बहुत परहेज करते हैं। उन्होंने सर्विस कमीशन की परीक्षा देकर कुर्सी हासिल की है। उन्हें मीडिया के सवाल सतही नजर आते हैं। वे लगभग दो साल से भोपाल शहर में तैनात है। लेकिन, पिछले दिनों उन्होंने चोरी की एक वारदात का खुलासा करने मीडिया को पहली बार बुलाया। वे खुद पंद्रह मिनट देरी से पहुंचे। इसके बाद अपने थाना प्रभारी से पांच मिनट बातचीत करने के लिए वक्त मांगा। इस कारण इंतजार कर रही मीडिया को चौखट पर ही बैठाए रखा। उन्होंने जैसे ही उस थाना क्षेत्र के मामला का खुलासा किया वैसे ही फिर एक सनसनीखेज वारदात हो गई। हालांकि आभूषण कारोबारी ने आरोपी को दबोचकर पुलिस का आधा काम वैसे ही पूरा कर दिया था। लेकिन, इस घटना को बताने में साहब से लेकर थाना प्रभारी को तीन घंटे तक पसीना आता रहा। आखिर मीडिया को कितनी सच्चाई और कहां तक बतानी है।

दाने—दाने में लिखा है खाने वाले का नाम

राजधानी के एक थानेदार ने बड़ी मशक्कत के बाद थाना पाया था। इससे पहले उन्हें जिस थाने में भेजा गया था वहां उनसे सीनियर होने के चलते पोस्टिंग विवादों में आ गई थी। दूसरे प्रयास में फिर उन्हें थाना तो मिला लेकिन उनकी टांग सत्ता में बैठे एक बड़े नेता के गृह जिले के हस्तक्षेप के खींच लिया। यह बात कुछ महीने तक कुर्सी संभालने वाले थानेदार को पहले ही पता चल गई थी। इसलिए उन्होंने अवकाश लिया और चले गए। इसी अवकाश के दौरान ही उनको लाइन हाजिर भी कर दिया गया। यह आदेश अमल पर आता उससे पहले नवागत निरीक्षक महोदय ने बहुत बड़ा केक काट दिया। दरअसल, वे एक खबरनवीस की गिरफ्तारी के पचड़े में ऐसे फंसे कि उनके कारण पूरे एमपी पुलिस के खिलाफ सड़कों पर नारेबाजी होने लगी। पूरी दुनिया वह सारी वीडियों देख रही थी। यह देखकर पुलिस मुख्यालय ने उन्हें पदच्युत करने के आदेश दे दिए। अब वह थानेदार जिनका कागजों में पहले तबादला हो गया था जो अब भी आधिकारिक रुप से रिलीव नहीं हुए हैं उनकी बांछे खिल गई है।

एमपी पुलिस की चमत्कारी ‘ज्योति’ एक दिन जरुर कराएगी राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी

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आप हमारे इस व्यंग्य को पूरी साव​धानी से अ​ध्ययन करिएगा। यह रोचक मामला विदिशा जिले का है। जिनसे जुड़ा यह विषय है उनके अलावा जिले के लगभग सारे अफसरों को पता है। यह थानेदार है जो भोपाल शहर में रह चुकी है। उनकी दोस्ती एक तैराक के साथ हुई थी। फिर दोनों ने प्रेम विवाह भी कर लिया। पुलिस विभाग में रहते सीहोर जिले के एक मकान में वह किराए से रहने लगी। जहां किराए से रहती थी वहां रहने वाले एक वृद्ध के साथ उनका चक्कर चल पड़ा। यह बात पति को पता चल गई। आवेश में आकर एक रेस्टोरेंट में जूस में बेहोशी की दवा मिलाकर उसे बेसुध कर दिया। फिर वृद्ध और थानेदार ने मिलकर हत्या कर दी। लाश गटर में फेंक दी गई थी। पहचान के बाद वृद्ध और उसकी थानेदार प्रेमिका को गिरफ्तार किया गया। अदालत ने सजा भी सुना दी। इसके बाद थानेदार को विभाग ने सेवा से डिस्चार्ज कर दिया। सजा पूरी करने के बाद डिस्चार्ज के ​फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जिसके बाद थानेदार ने वापस अपनी वर्दी हासिल कर ली। अब वह एक जिले में बैठकर पति—पत्नी से जुड़े मामलों में सीधा दखल दे रही है। वह जो कर रही है उसे हाईकोर्ट ने लगभग एक साल पहले ही प्रतिबंधित कर रखा है। हालांकि अफसर यह बात उससे सीधे नहीं बोल सकते। इसलिए झेल रहे हैं। अंदरखाने की खबर यह भी है कि उनकी सेवा विभाग का ही एक कार्यवाहक एएसआई भी कर रहा है। इसे कहते हैं गुनाह करने के बाद भी मलाई काटना।

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डीजीपी साहब देख लीजिए आपके आदेश जारी होने के बाद राजधानी में यह खेल चल रहा है

प्रिय पाठक आप यदि इसे पढ़ रहे हैं और पुलिस विभाग से जुड़े है तो आपको पहले ही बता दें कि यह विषय हमारा नहीं हैं। इसे संज्ञान में आपके महकमे के ही कुछ कर्मचारियों (MP Cop Gossip) ने प्रकाश में लाया है। यह भी बताना चाहते हैं कि शब्द विभाग के अदने कर्मचारियों ने ही लिखे हैं। हमने सिर्फ उसे अनुशासित रुप देने के लिए सामान्य कांट—छांट किया है। हमें बताया गया है कि डीजीपी साहब के विभागीय आदेश का किस तरह से राजधानी में मखौल उड़ रहा है। यह बात थानों में वर्षों से जमे अंगदों से जुड़ी है। पुलिस मुख्यालय ने कुछ समय पहले ऐसे अंगदों को चिन्हित करके उन्हें हटाने के लिए कहा था। ऐसा करने से पूर्व उनकी जानकारी भी मांगी गई थी। भोपाल शहर के भी सभी जोन और जिलों के पुलिस अधीक्षक और संभागीय पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय से यह सूचनाएं मांगी गई थी।

हुआ कुछ नहीं हालात जस के तस

जानकारी पुलिस मुख्यालय भेजी जा चुकी है। गृह विभाग की यह मंशा सराहनीय थी। लेकिन, राजधानी के पुराने बर्रुकट खाकी सरकार की नीयत के सामने अपनी ही चला रहे हैं। विधायकों के यह खास चैले थानों में बैठे प्रभारी को भी अपने हिसाब से डिगा देते हैं। वे भ्रष्टाचार भी जमकर कर रहे हैं। हालांकि सत्ता से जुड़े विधायकों के दबाव में ये पुलिस कर्मी आज भी जमकर जनता का शोषण ही कर रहे हैं। कागजों में हवलदार और आरक्षकों की तैनाती यहां—वहां की जा रही है। लेकिन, वे उसी जगह पर आज भी डटे हैं। भोपाल जोन वन में आने वाले 9 थानों में आठ महीने पहले तबादले हुए थे। इसमें से कई तो छह साल से जमे हैं। एक हवलदार तो क्राइम ब्रांच में तैनात के दौरान विवादों में आया था। जोन—1 के ही एक थाने में दो कर्मचारी तो आठ—आठ साल से जमे हैं। इनके भी नाम तबादला सूची में आठ महीने पहले थे। लेकिन, उन्हें अफसरों ने रिलीव ही नहीं किया। आलम यह है कि क्षेत्र में निरीक्षक से पहले इन कर्मचारियों की पूछपरख करते हुए हर बंदा थाने में जी हुजूरी ठोंकता है।

थाने में आधे से ज्यादा नौकरी कर ली पूरी

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एक थाना क्षेत्र में आधी रात के बावजूद ढ़ाबे, बार और पब चलते हैं। यह खुले रहे और संकट न आए उसका इंतजाम इन्हीं अंगदों के हवाले भी हैं। निरीक्षक भी खुश है रिस्क मेरे पास नहीं। मातहत भी खुश वह आधा थानेदार। आदेश देने वाले अफसर बेफिक्र कौन चैक करेगा। एक कर्मचारी का तो तबादला हुआ जिसे अफसरों ने ही आपस में फोन पर बातचीत करके वापस उसी जगह करा लिया। ऐसे ही खिदमतगारों के कारण एक लंबी फौज थानों में दलदल जैसा वातावरण बना चुकी हैं। जहां चढ़ावा सामान्य हो चला है। निगरानी करने वाले अफसरों की मॉनिटरिंग कौन करें। उन्हें कौन ताकीद करें। जिन कर्मचारियों ने ऐसा दुस्साहस किया वे लाइन हाजिर भी कर दिए गए। जी हुजूरी पर खबरनवीस को समाचार से लेकर अद्धा पौवा भी मिल जाता है। बशर्ते यह है कि उसके नाम का ध्यान रखा जाए। हर कोई तो कुलांचे मारकर भ्रष्टाचार से भरे हौज में जाकर अपने हिस्से का लौटा भरकर जा रहे हैं। जोन—3 के एक थाने में तैनात हुए आरक्षक ने प्रमोशन से लेकर अब तक अपनी आधी नौकरी पूरी कर ली है। ऐसा ही हाल जोन—3 के थाना तलैया, कोतवाली, गौतम नगर, श्यामला हिल्स, शाहजहांनाबाद में भी बना हुआ है। इसी तरह जोन 2 के थाना अयोध्या नगर, मिसरोद, बागसेवनिया, पिपलानी और गोविंदपुरा में भी है। हमें ऐसे अंगदों की सूची भी मिली है। लेकिन, यह हमारे गॉसिप के तय मापदंडों के यह खिलाफ था इसलिए उसे शामिल नहीं किया गया।

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