राजपत्र में अधिसूचना हुई जारी, प्रोत्साहन की बजाय दुरूपयोग होने के कारण किया गया था बंद, कब से मिलेगा लाभ इसका उल्लेख नहीं
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के 20 अगस्त को मनाया जाने वाले जन्म दिवस, जिसको सद्भभावना दिवस के रूप में मनाया जाता है उसको ऐतिहासिक बना दिया है। मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश पुलिस की आउट आफ टर्म (OT) की व्यवस्था को एक बार फिर शुरू कर दिया है जिसे सात साल पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बंद कर दिया था। इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिए गए हैं।
यह है आदेश
आदेश के अनुसार अंतिम निर्णय मध्यप्रदेश के डीजीपी ही लेंगे। इसके पहले जिले में एसपी और आईजी को अधिकार देते हुए उनके अधिकार क्षेत्र का भी आदेश में वर्गीकरण किया गया है। आदेश के तहत आईजी को एएसआई से एसआई और एसआई से इंस्पेक्टर बनाने का अधिकार दिया गया है। इसी तरह डीआईजी को प्रधान आरक्षक से एएसआई में क्रम पूर्व पदोन्नति करने का अधिकार रहेगा। इसी तरह जिले के एसपी आरक्षक को प्रधान आरक्षक में क्रम पूर्व पदोन्नत कर सकते हैं। हालांंकि इसमें नक्सल विरोधी या आतंकवाद विरोधी अभियान में भूमिका निभाने वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता दिए जाने का भी हवाला है। आदेश 20 अगस्त को गजट में प्रकाशित किए गए। लेकिन, सरकार की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। इसके अलावा पुलिस मुख्यालय ने भी आदेश को लेकर स्थिति साफ नहीं की है।
किन नियमों में हुआ बंद
कांग्रेस सरकार ने पुलिस अधिनियम 1861 (Police Manual And Regulation 1861) के तहत इस आदेश को जारी किया है। इस अधिनियम की धारा 46 में राज्य सरकार को यह अधिकार दिया जाता है। कांग्रेस ने इसी नियम को अपनाते हुए इसे पुन: बहाल किया है। लेकिन, 2012 में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी धारा के तहत इसको बंद कर दिया था। दरअसल, अधिनियम की धारा 46 के 3 में इसे बंद करने का भी अधिकार राज्य सरकार को ही दिया गया है।
इन कारणों से हुआ था बंद
डीजीपी वीके सिंह के कार्यकाल में इसे दोबारा शुरू किया जा रहा है। लेकिन, पूर्व डीजीपी नंदन दुबे के कार्यकाल में क्रम पूर्व पदोन्नति की व्यवस्था बंद कर दी गई थी। उन्होंने यह निर्णय फरवरी, 2012 में डीजीपी की कुर्सी संभालने के कुछ महीने बाद ही ले लिया था। इस संबंध में पूर्व डीजीपी नंदन दुबे (Ex DGP Nandan Dubey) ने द क्राइम इन्फो से बातचीत में कहा कि यह निर्णय कई स्तर पर चर्चा के बाद लिया गया।
उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था सिपाही और हवलदारों को प्रोत्साहित करने के लिए की जा रही थी। लेकिन, जब पूरी तथ्यात्मक रिपोर्ट आई तो पता चला कि उसमें एसआई और उससे उपर के अफसरों ने इस नियम से ज्यादा फायदा उठा लिया। यह व्यवस्था दस्यू उन्मूलन को देखते हुए प्रभावी की गई थी। लेकिन, डकैतों के फर्जी इनकाउंटर की खबरों से भी मध्यप्रदेश पुलिस की साख पर बट्टा लगा था। जिसमें यह बात सामने आई थी कि क्रम पूर्व पदोन्नति के लिए ऐसा किया गया था।
आदेश पर खड़े होने लगे सवाल
मध्यप्रदेश पुलिस के लिए बेहद महत्वपूर्ण इस आदेश को लेकर महकमा दो दिनों से खामोश बैठा रहा है। वहीं सरकार ने भी इस आदेश को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी। आदेश किस तारीख से प्रभावी माना जाएगा यह स्थिति भी अभी अस्पष्ट है। हालांकि 20 अगस्त को गजट नोटिफिकेशन से तारीख मानी जाए तो सूत्रों की खबर इसको कठघरे में खड़ी का रही है। दरअसल, खबर है कि पुलिस मुख्यालय ने करीब डेढ़ दर्जन कर्मचारियों को इस आदेश का लाभ दे दिया है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि पुलिस मुख्यालय ने नहीं की है।