MP Cop Gossip: नेता के बेटे की एफआईआर को तलाश रहे क्राइम रिपोर्टर, भोपाल पुलिस में इतने ही काबिल अफसर
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग बहुत बड़ा होता है। उसके भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ बातें सामने आ जाती है। लेकिन, बहुत सारी खबरें दब जाती है। ऐसे ही बातों का हमारा साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। जिसमें हमल इशारों ही इशारों में थाने या दफ्तर के भीतर चल रही उठापटक को बताने का प्रयास करते हैं।
सिंघम को ललकारा तो मुंडन करा दिया
राजधानी में सिंघम के क्षेत्र में चार बदमाशों ने दो घंटे के भीतर में जमकर उत्पात मचाकर चुनौती दी। सिंघम तो अपनी स्क्रीप्ट के चलते विख्यात रह चुके हैं। उनके सिंघम सिक्वल पर ही सिंघम अगेन और सूर्यवंशी बन चुकी हैं। इसलिए सिंघम को नई स्क्रीप्ट लिखने में ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ी। उन्होंने पेशेवर बदमाशों को सीधा कुंभ के मेले में ले जाकर स्नान करा दिया। ऐसा करने से पूर्व बकायदा मुंडन भी किया गया। फिर मीडिया के सामने पूरी योजना का खुलासा किया गया। जब से ऐसा किया है तब से क्षेत्र में कोई साहस दिखा नहीं पा रहा है।
काबिल पर प्रश्न चिन्ह
राजधानी भोपाल में मीडिया हाउस की तरफ से अलग—अलग इवेंट आयोजित होते हैं। एक महीने के भीतर में तीन मीडिया हाउस ने इवेंट आयोजित किए। जिसमें उन्हीं चेहरों को मौका मिला जो अफसर या थाने के हमदर्द हैं। उन्हीं के चेहरे और मंत्रियों से रिवार्ड लेते तस्वीरें छपी। इतना ही नहीं इन्हीं में से अधिकांश को भी गणतंत्र दिवस वाले दिन भी सम्मानित किया गया। यह एक ही तरह के चेहरे जो अक्सर दिखते और छपते रहते हैं उनके अलावा दूसरे अन्य चेहरे कभी देखने ही नहीं मिलते। इनमें से कुछ अफसर तो कुछ मीडिया हाउस के प्रेमी है। जिनसे सख्त सवाल पूछे नहीं जाते। पूछने का जो साहस करते हैं वह फोन उठाने से बचते हैं। क्योंकि यदि सवाल के जवाब में लिख दिया तो उनकी योग्यता एक्सपोज हो जाएगी। बहरहाल इस गठबंधन में चल रहे इनामी खेल को लेकर अच्छा काम करने वाले कुछ अधिकारी अपने आपको ठगा सा महसूस करते हैं। लेकिन, वे इस बात से खुश हैं कि उन्हें नौकरी के लिए मक्खन नहीं लगाना पड़ता है।
सटोरिए के मोबाइल में फंसा कांस्टेबल
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भोपाल शहर का एक थाना (MP Cop Gossip) काफी अरसे से चर्चा में चल रहा है। यहां के एक एसआई तो कुछ दिनों ही पहले पैसा लेने के एक वायरल आडियो में लाइन चले गए थे। उनके जाने के एक सप्ताह बाद ही कांस्टेबल भी धरे गए। दरअसल, थाना पुलिस ने एक सटोरिए को दबोचा। उसके मोबाइल कॉल को खंगाला गया तो थाने का कांस्टेबल जुआ—सट्टे को लेकर चल रही कार्रवाई के बीच बचने की तकनीक बताता हुआ पाया गया। इस कारण अफसरों ने उसके खिलाफ जांच के आदेश देकर उसे लाइन हाजिर कर दिया।
राजधानी में एक अपराध दर्ज हुआ है। इस अपराध को मीडिया से छुपाया गया है। हालांकि कुछ सक्रिय क्राइम रिपोर्टर को इस बात की भनक लग गई है। मामला प्रदेश के एक कद्दावर पूर्व मंत्री के बेटे से जुड़ा है। यह मंत्री सत्ता में तो नहीं है लेकिन उनकी तूती आज भी बोलती है। उनके बेटे के खिलाफ दबाव में आकर पुलिस ने प्रकरण तो दर्ज कर लिया है लेकिन कोई आधिकारिक बयान देने के लिए राजी ही नहीं हैं। इधर, उनके विरोधी खेमे से जुड़े कलम के सिपहसलार उस एफआईआर को निकालकर समाचार ब्रेक करने के लिए जुटे हुए हैं। यह एफआईआर जिस दिन बाहर आएगी उस दिन फिर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचना तय है।
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