Bhopal News: भोपाल पुलिस में अफसरों की विवादित कार्यप्रणाली से हुई किरकिरी, नए साल के पहले दिन ही जारी किए गए आदेश
भोपाल। अपहरण मामले में फरार ट्रैफिक कांस्टेबल की गुपचुप बहाली कर दी गई है। यह पूरा मामला भोपाल (Bhopal News) शहर के कोलार रोड थाना क्षेत्र का है। कोलार रोड इलाके में बिल्डर के अपहरण मामले में फरार चल रहे ट्रैफिक कांस्टेबल को बहाल कर दिया गया है। उसे एफआईआर दर्ज करने के बाद राजधानी के ही अधिकारियों ने निलंबित कर दिया था। पुलिस इस मामले में फरार सभी आरोपियों को अब तक गिरफ्तार भी नहीं कर सकी है।
यह है वह मामला जिसको लेकर दर्ज किया गया था प्रकरण
सूत्रों के अनुसार इस मामले में 15 नवंबर,2024 को पीड़िता ऋचा गौर ठाकुर (Richa Gaur Thakur) पति नीतेश ठाकुर उम्र 35 साल ने आवेदन दिया था। जिसकी दो दिनों तक पुलिस ने जांच की थी। इसी जांच के आधार पर पुलिस ने संजय राजावत (Sanjay Rajawat) , उसके भाई आकाश राजावत (Akash Rajawat) , पंकज सिंह परिहार (Pankaj Singh Parihar) , ओम राजावत उर्फ अन्नू (Om Rajawat@Annu) और पुलिस कांस्टेबल हेमंत चौहान उर्फ हनी (Hemant Chauhan@Honey) के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। ऋचा गौर और नीतेश ठाकुर मिलकर रियल स्टेट का कारोबार करते हैं। उन्होंने बिलखिरिया खुर्द (Bilkhiria Khurd(Gwalior) ) में स्थित जमीन बेचने का सौदा बिल्डर के साथ 14 करोड़ 77 लाख रुपए में किया था। रकम मिलने के बाद ही आरोपी पंकज परिहार सौदे में दस करोड़ रुपए का कमीशन मांग रहा था। जबकि उसका कारोबार में कोई लेना—देना नहीं था। जमीन की डील होते वक्त वह पीड़िता के पति के साथ एक—दो बार गया जरुर था। आरोपियों ने पति को पंकज परिहार 20 अक्टूबर को बैंकॉक घुमाने के बहाने ले गया था वहां से पति 27 अक्टूबर को दिल्ली लौट आया। उसने पत्नी को कॉल भी किया था। वह पंकज के भांजे अंकित परिहार सगाई के लिए ग्वालियर (Gwalior) गया। इसके बाद उसका फोन बंद हो गया। उससे संपर्क नहीं हुआ तो कॉन्स्टेबल हेमंत चौहान के फोन से संपर्क हुआ। तभी उसके अपहरण करने की बात पता चली। आरोपी संजय राजावत ने पीड़िता को कॉल करके 30 लाख रुपए का इंतजाम करने बोला। यह रकम लेकर वह 28 अक्टूबर को वह सर्वधर्म स्थित ज्वेलर्स दुकान के नजदीक पहुँची। उसके साथ कंपनी में काम करने वाला अतुल बघेल (Atul Baghel) भी था। पीड़िता ने रकम देते हुए बहन जूही की मदद से वीडियो भी बना लिया था। आरोपी आकाश राजावत कर एमपी04-सीएल-8590 से आया था। अगले दिन नीतेश ठाकुर (Nitesh Thakur) लौट आया। तभी से आरोपी उन्हें पुलिस से शिकायत करने पर धमका रहे थे।
एसआईटी की जांच भी कठघरे में आई
कांस्टेबल को बहाल करने के आदेश में कहा गया है कि 18 नबवंर को जारी आदेश में आरक्षक 3534 हेमंत चौहान थाना यातायात भोपाल को निलंबित कर रक्षित केन्द्र भोपाल से सम्बद्ध किया था। उन्हें 01 जनवरी 2025 के अपरान्ह निलंबन से मुक्त किया जाता है। निलंबन अवधि का निराकरण पृथ्क से किया जाएगा। डेढ़ माह से अधिक का समय होने के बाद भी पुलिस अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नही कर सकी है। मामले की जांच के लिए एसीपी अंजली रघुवंशी (ACP Anjali Raghuvanshi) के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया है। इसके अलावा जांच कोलार रोड थाना पुलिस से लेकर कमला नगर थाना पुलिस को सौंप दी गई है। बहाली के आदेश से फिलहाल यह तय हो गया है कि बिना कांस्टेबल की गिरफ्तारी और जांच पूरी हुए बिना उसे मामले में क्लीनचिट दे दी गई है।
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