MP Bank Loan Fraud: तीन बैंकों को चूना लगा गए दो दंपति 

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MP Bank Loan Fraud: हिंदू—मुसलमान दोनों ही बराबर निकले, एक बैंक ने लोन एनपीए होने के बाद नोटिस छपवाया, उसे पढ़ते ही दो अन्य बैंकों ने बताई यह कड़वी सच्चाई, एक ही बैंक से ऐंठ लिए थे दंपति ने 37 लाख रुपए से अधिक की रकम, दो का हिसाब करना अभी बाकी

भोपाल। देश में अभी हिंदू—मुसलमान का राग अलापा जा रहा है। कहीं यात्रा के नाम पर तो कहीं बयान के नाम पर राजनीति चल रही है। इन सतही बातों के चलते असल मुद्दे

MP Bank Loan Fraud
ग्राफिक्स डिजाईन टीसीआई

भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी जैसी समस्याएं पीछे छूटती चली गई। ताजा मामला बेहद रोचक है जो भोपाल ईओडब्ल्यू (MP Bank Loan Fraud) में जांच के लिए पहुंचा था। जांच के बाद पता चला कि दो जालसाज दंपति ने एक नहीं तीन बैकों से एक ही फ्लैट खरीदने के नाम पर लोन ले लिया। यह बात तब सामने आई जब एक बैंक को लोन अकाउंट एनपीए हो गया।

सोसायटी के जमीन पर बना है फ्लैट

यह घटना निशातपुरा (Nishatpura) में स्थित गोपाल गृह निर्माण सहकारी समिति (Gopal Grah Nirman Sahkari Samiti) की बन रही निरंजन कॉलोनी (Niranjan Colony) का है। इसी कॉलोनी में जनवरी, 2018 में एक फ्लैट मकबूल खान (Maqbool Khan) पिता अख्तर खान, उसकी पत्नी रेशमा बेगम (Reshma Begam) के नाम से खरीदा गया। मकबूल खान ने फ्लैट खरीदने के लिए यूनाईटेड बैंक आफ इंडिया (United bank Of India) से 17 लाख 60 हजार रुपए से अधिक का लोन लिया। मकबूल खान और रेशमा बेगम ने बैंक से मकान के फर्नीचर के नाम पर चार लाख 84 हजार रुपए से ज्यादा का लोन (Loan) लिया। इस लोन के छह दिन बाद ही ग्यासीराम रैकवार (Gyasiram Raikwar) पिता लक्ष्मीनारायण रैकवार और उसकी पत्नी अंजु रैकवार (Anju Raikwar) ने भी 19 लाख 47 हजार रुपए से ज्यादा का लोन लिया। लोन लेने के कुछ महीने बाद ईएमआई जमा होना बंद हो गई। नतीजतन, अगस्त, 2018 में दोनों लोन हितग्राहियों के खाते एनपीए हो गए। जिसके बारे में जाहिर सूचना दिसंबर, 2018 में प्रकाशित कराई गई। यह प्रकाशन होते साथ ही इलाहाबाद बैंक और बैंक आफ महाराष्ट्र (Bank Of Maharashtra) ने बताया कि दोनों दंपतियों ने इसी संपत्ति पर उनके यहां से भी बैंक लोन लिया है।

ईओडब्ल्यू के पास ऐसे पहुंचा मामला

इलाहाबाद बैंक और बैंक आफ महाराष्ट्र से लिए गए लोन की रकम अभी सामने आना बाकी है। जबकि यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया ने मकबूल खान, रेशमा बेगम, ग्यासीराम रैकवार और अंजू रैकवार के खाते में 41 लाख 90 हजार रुपए से ज्यादा की रकम लोन के रुप में दे दी थी। आरोपियों ने गोपाल गृह निर्माण समिति के फ्लैट को बंधक भी रख दिया था। यह गड़बड़ी बैंक ने पकड़ी तो मैनेजर का तबादला किया गया। इसके अलावा रायपुर (Raipur) स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात सहायक प्रबंधक विजय कुमार (Vijay Kumar) ने पूरे मामले की जांच की। जांच में पता चला कि सोसायटी के सर्वेसर्वा ऋषि पाराशर (Rishi Parashar) पिता ललित पाराशर की भूमिका भी संदिग्ध है। उन्होंने संपति बेचने के लिए पॉवर आफ अटॉर्नी पंकज शर्मा (Pankaj Sharma) पिता ओपी शर्मा को दी थी। ऋषि पाराशर निशातपुरा स्थित संजीव नगर (Sanjeev Nagar) में रहते हैं। जबकि पंकज शर्मा गोविंदपुरा (Govindpura) स्थित भेल के सरकारी मकान में रहते हैं। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में पंकज शर्मा, ऋषि पाराशर, मकबूल खान, रेशमा बेगम, ग्यासीराम रैकवार, अंजू रैकवार और मनीष जायसवाल (Manish Jayaswal) को आरोपी बनाया है। अभी मनीष जायसवाल की भूमिका जांची जा रही है। वह सुभाष नगर (Subhash Nagar) का रहने वाला है। इस मामले में बैंक की तरफ से 24 जनवरी, 2020 को शिकायत हुई थी। जिसकी चार साल तक जांच की गई। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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