Bhopal News: जिस कथित आतंकी को देशद्रोह के आरोप में एनआईए जैसी एजेंसी ने पकड़ा उस विचाराधीन बंदी को आम व्यक्ति जैसा व्यवहार करते हुए इलाज कराने हमीदिया अस्पताल ले गया जेल प्रबंधन, इस गंभीर लापरवाही पर सवाल डीजी से पूछा तो वे बोले धन्यवाद आपने यह विषय मेरे संज्ञान में लाया है आप संबंधित अधिकारी से प्रतिक्रिया ले लीजिए, जेल अधीक्षक मुलाकात तो छोड़िए फोन उठाने राजी नहीं
भोपाल। आईएसओ प्रमाणित भोपाल सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदियों के बीच खूनी संघर्ष हो गया। यह हमला देशद्रोह मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति पर किया गया। उसे भारत की सबसे बड़ी एजेंसी एनआईए (NIA) ने गिरफ्तार किया था। जिसके संबंध में जेल प्रशासन को प्रोटोकॉल अपनाना पड़ता है। लेकिन, पूरी घटना में पर्दा डालते हुए जख्मी देशद्रोही विचाराधीन बंदी को आम कैदियों की तरह ट्रीटमेंट किया गया। यह खबर (Bhopal News) जब सोशल मीडिया में आग की तरह फैली तो पूरा जेल विभाग ही एक्सपोज हो गया।
यह है मैदानी हकीकत
इस संबंध में जेल प्रबंधन की तरफ से गांधी नगर (Gandhi Nagar) थाने में प्रकरण दर्ज कराया गया है। हमलावर का नाम राजेश है। उस पर दो लोगों की हत्या करने के संगीन आरोप है। वह काफी कुख्यात है और रायसेन (Raisen) में भी हमला कर चुका है। इसके बावजूद उसे जेल वार्ड में रखा गया था। यहां पर शाहिद (Shahid) को भी रखा गया था। उसे एनआईए ने जून, 2023 में जबलपुर से गिरफ्तार किया था। शाहिद के सिर पर गंभीर वार राजेश ने किए। यह बात जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने एनआईए समेत अन्य किसी एजेंसी को नहीं बताई। इसके बाद शाहिद को हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) में उपचार कराया गया। फिर गांधी नगर थाने को सूचना दी गई। जिस पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया है। जबकि नियम यह था कि शाहिद को कड़े पहरे पर जेल से बाहर निकाला जाना चाहिए था। उसे सख्त पहरे में रखा भी जाना चाहिए था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। शाहिद पर साजिश, देशद्रोह और धार्मिक भावनाओं जैसे संगीन आरोप लगे हैं। उस पर आरोप है कि वह आईएसआईएस (ISIS) से प्रभावित था और उनके एक मॉड्यूल के संपर्क में था।
आठ साल पुरानी घटना फिर गूंजने लगी
भोपाल सेंट्रल जेल (Bhopal Central Jail) की घटना सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई। जिसके बाद राकेश भांगरे (Rakesh Bhangre) से संपर्क करके प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया। उन्होंने फोन नहीं उठाया तो जेल मुख्यालय के आधिकारिक प्रवक्ता से संपर्क किया जो अस्वस्थ्य होने के चलते अस्पताल में थे। इसके बाद जेल डीजी जीपी सिंह (Jail DG G.P Singh) के कार्यालय में फोन लगाया गया। उनके रीडर ने फोन रिकॉर्ड करने का हवाला देते हुए बातचीत नहीं कराई। इसके बाद डीजी जेल के मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया। उन्होंने पूरा घटनाक्रम सुना लेकिन, लापरवाही को लेकर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी। वे कहने लगे संबंधित अधिकारी से चर्चा करें। जबकि वे जेल विभाग के मुखिया हैं। उल्लेखनीय है कि भोपाल सेंट्रल जेल में ही बंद सिमी के कुख्यात आतंकियों ने जेल प्रहरी की हत्या कर दी थी। इसके बाद वे जेल से फरार हो गए थे। जिनका एनकाउंटर भोपाल पुलिस ने किया था। यह घटना आठ साल पहले भी दीपावली वाले दिन ही हुई थी। अब ताजा घटना भी दीपावली के कुछ दिनों बाद हुई है। जिसमें गांधी नगर थाना पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया है।
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