Drug Racket Mafia: एमपी सरकार की सुस्ती उजागर 

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Drug Racket Mafia: दिल्ली और गुजरात एटीएस ने आकर ड्रग रैकेट का भंड़ाफोड़ किया, राजधानी की स्थानीय पुलिस और इंटेलीजेंस को भनक भी नहीं लगी, एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद सरकार तय नहीं कर पा रही इंटेलीजेंस का अधिकारी, भोपाल एटीएस में अंगद बनकर बैठे अफसर

Drug Racket Mafia
मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय भवन- फ़ाइल फोटो

भोपाल। मध्यप्रदेश की गुप्तचर एजेंसी को दिल्ली और गुजरात एटीएस ने करारी कार्रवाई करके झंकझोर दिया है। राजधानी भोपाल (Drug Racket Mafia) के कटारा हिल्स स्थित एक बड़े ड्रग नेटवर्क को उजागर करके यह बता दिया है। इससे साफ हैं कि प्रदेश में मोहन यादव सरकार का पुलिस और उससे जुड़ी एजेंसी में कोई पकड़ नहीं हैं। आलम यह है कि एडीजी इंटेलीजेंस का पद एक सप्ताह से खाली है। जिसमें किसको बैठाया जाए यह भी सरकार तय नहीं कर पा रही है। ड्रग कार्रवाई को लेकर अभी आधिकारिक प्रतिक्रिया मिलना बाकी है।

दो दिन से डाल रखा है डेरा, इंतजामों तक सिमटी एटीएस

सूत्रों के अनुसार दिल्ली और गुजरात एटीएस (ATS) का एक संयुक्त दल भोपाल में आकर ठहरा हुआ था। उसने चौबीस घंटे पूर्व कटारा हिल्स (Katara Hills) स्थित बगरौदा (Bagrauda) में जाकर दबिश दिया। यहां फैक्ट्री से करीब 14 करोड़ की ड्रग बरामद हुई है। जिस कारखाने पर छापा मारा उसके संचालक और तमाम जानकारियां अभी सामने आना बाकी है। लेकिन, इस कार्रवाई से एमपी एटीएस, एसटीएफ, सीआर्डडी, सायबर क्राइम समेत तमाम अन्य एजेंसियों को आईना दिखा दिया है। इतने भारी भरकम पैमाने पर बन रहे ड्रग को लेकर किसी भी एजेंसी को भनक नहीं लगी। इसमें भोपाल एटीएस (Bhopal ATS) सबसे ज्यादा कठघरे में हैं। यहां के एसपी प्रणय नागवंशी है जो लंबे अरसे से एक ही पद पर जमे हुए हैं। इसके अलावा अभी तक एक दशक में किसी भी बड़ी एजेंसी ने कोई बड़ा खुलासा नहीं किया है। सभी सरकार के सुर में सुर मिलाकर काम कर रही है। एसटीएफ ने जरुर सरकार की नींदें उड़ाने वाले व्यापमं घोटाले को उजागर किया था। लेकिन, उसके बाद अभी तक पूरे प्रदेश में पनपे माफिया राज को खत्म करने में कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई है। आलम यह है कि इस पूरी कार्रवाई से दिल्ली (Delhi) और गुजरात (Gujrat) एटीएस ने दूरी बना रखी है। एमपी एटीएस को सिर्फ यहां आए बल के सुरक्षा और ठहरने के इंतजाम का काम सौंपा हैं। इन तमाम बिंदुओं पर बात करने की बजाय मैन स्ट्रीम मीडिया में सिर्फ छापे की कार्रवाई तक समेट दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि एडीजी इंटेलीजेंस जयदीप प्रसाद (Jaideep Prasad) को लोकायुक्त डीजी बनाया गया है। उनके जाने के बाद एडीजी इंटेलीजेंस का भी पद खाली पड़ा है। सरकार को उस कुर्सी में बैठाने के लिए अब तक कोई काबिल अफसर ही नजर नहीं आया। सरकार सिर्फ मुख्य सचिव कौन बने इसी बात को लेकर तीन दिनों तक अखबारों में मंथन करती नजर आई। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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