MP Sport Scam: घुड़सवारी में एकलव्य पुरस्कार जीतने वाले खिलाड़ी की उम्र में हेर—फेर का आरोप, पुलिस थाने ने सरकार को किरकिरी से बचाने एफआईआर में मजबूरी में कहानी बदली
भोपाल। मध्यप्रदेश में खिलाड़ियों को लेकर सरकार एक—एक करोड़ रुपए का ईनाम बांट रही है। जबकि मैदान में खिलाड़ियों को तैयार करने वाले खेल एवं युवक कल्याण संचालनालय (MP Sport Scam) में बंदरबाट चल रही है। ताजा मामला घुड़सवारी एकेडमी से जुड़ा है। जिसमें विदेश में जाकर हुई घुड़सवारी प्रतियोगिता के एक खिलाड़ी ने जीत हासिल की थी। उसी खिलाड़ी को मध्यप्रदेश सरकार ने एकलव्य पुरस्कार भी प्रदान किया है। अब उस खिलाड़ी की उम्र को लेकर सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि एकलव्य पुरस्कार विजेता खिलाड़ी ने अपने रिकॉर्ड में उम्र कम दर्शाई थी। इस मामले में एफआईआर को लेकर शिकायत पुलिस और अदालत के बीच पांच साल से इधर से उधर राय लेने में कई टेबलों में धक्के खा रही थी। आखिरकार भोपाल शहर के एमपी नगर थाना पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज करने का फैसला लिया।
मध्यप्रदेश का होनहार खिलाड़ी के पिता बुरे फंसे
भिंड (Bhind News) जिले के ग्राम पंचायत पचेरा में रहने वाले राजू सिंह भदौरिया (Raju Singh Bhadauriya) घुड़सवारी एकेडमी के शानदार खिलाड़ी है। उन्हें शिखर खेल अलंकरण 2018 में एकलव्य पुरस्कार मिला था। यह पुरस्कार तत्कालीन खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया (Former Minister Yashodhra Raje Scindia) के हाथों दिया गया था। एमपी सरकार ने यह इनाम उनके खेल में मिले पांच स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक को देखकर दिया गया था। इस पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ी को सरकार 50 हजार रुपए नकद और व्यस्क होने पर नौकरी देने का प्रावधान हैं। लेकिन, अब उसके पिता सुजान सिंह भदौरिया (Sujan Singh Bhadauriya) पर बहुत बड़ी मुश्किल आ गई है। वे गरीब किसान है और अंगूठा लगाते हैं। उनके खिलाफ एमपी नगर (MP Nagar) थाना पुलिस ने दस्तावेजों की कूटरचना का मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह मुकदमा 9 अगस्त की रात लगभग पौने दस बजे दर्ज किया गया है। पुलिस ने सुजान सिंह भदौरिया के खिलाफ प्रकरण 285/24 धारा 417/465/468/471 (दस्तावेजों की कूटरचना, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल करके लाभ पाने का मुकदमा) दर्ज किया है। इस मामले की शिकायत सबसे पहले 2019 में गोविंदपुरा (Govindpura) थाने में हुई थी। वहां जांच करने वाले अधिकारी ने मामले को गंभीर और संवेदनशील मानते हुए जिला अभियोजन अधिकारी से राय लेने के लिए भेजा था। चूंकि मामला एकलव्य पुरस्कार (Eklavya Puraskar) प्राप्त खिलाड़ी राजू सिंह भदौरिया के पासपोर्ट (Passport) बनने से जुड़ा था। जिसका दफ्तर डीबी मॉल (DB Mall) में स्थित पासपोर्ट कार्यालय था। विवाद खिलाड़ी के जन्मतिथि में हेर—फेर करके पासपोर्ट बनाने से जुड़ा था। इसलिए केस डायरी एमपी नगर थाना पुलिस को भेजी गई थी।
घुड़सवारी में बने ऐसे हालात तो माता—पिता को आगेे आना पड़ा
राजू सिंह भदौरिया के मामा अरविंद सिंह परिहार (Arvind Singh Parihar) भोपाल स्टेडियम में मिलने आया था। उसके बाद उसने भोपाल में रहने का निर्णय लिया। वह गोविंदपुरा थाना क्षेत्र में रहने लगा। राजू सिंह भदौरिया का चयन और प्रशिक्षण घुड़सवारी कोच के.भागीरथ (K Bhagirath) ने किया था। इस मामले की शिकायत ऋतु श्रीवास्तव (Ritu Shrivastav) पति अनुराग श्रीवास्तव उम्र 50 साल ने दर्ज कराई थी। वे हबीबगंज थाना क्षेत्र स्थित अरेरा कॉलोनी (Arera Colony) में रहती हैं। उनके पति अनुराग श्रीवास्तव (Anurag Shrivastav) का कोलार रोड स्थित निजी कॉलेज हैं। उनकी बेटी को घुड़सवारी (Horse Riding) का काफी शोक था। इसलिए उन्होंने रातीबड़ स्थित घुड़सवारी एकेडमी में उसका दाखिला कराया था। यहां आते—जाते माता—पिता को काफी अनियमिता मिली। जिसकी उन्होंने तत्कालीन खेल संचालक और एडीजी एसएल थाउसेन और उपेंद्र जैन से मिलकर भी की थी। ऐसा करने के बाद ऋतु श्रीवास्तव की बेटी को एकेडमी से बेदखल कर दिया गया था। इसके बाद पीड़ित परिवार ने मामले में पुलिस अफसरों से शिकायत करना शुरु की थी। इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने वाले परिवार का आरोप है कि प्रकरण में आरोपी अभी सही नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे आवेदन के अनुसार इस मामले में घुड़सवार एकेडमी के भीतर अनियमितता की गई है। खेल विभाग (Sport Department) के मुखिया भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी चलाते हैं। इसके बावजूद वहां इस तरह की अनियमितता पर मौन रखा गया।
ऐसे पकड़ में आई पूरा फर्जीवाड़ा
एफआईआर दर्ज कराने वाले परिवार ने बताया कि राजू सिंह भदौरिया की पढ़ाई भिंड में जब हुई तब उसकी जन्मतिथि 12 दिसंबर, 2001 दर्शाई गई। इसके बाद उसका टीटी नगर स्थित दयानंद आर्य स्कूल (Dayanand Arya School) में पढ़ाने के लिए दाखिल किया गया। वहां भी उसकी सही उम्र बताई गई। लेकिन, विदेशों में होने वाले आयोजन (MP Sport Scam) के लिए जब राजू सिंह भदौरिया कापासपोर्ट बनाया गया तब उसकी जन्मतिथि 12 दिसंबर, 2005 बताई गई। इससे साफ है कि उसने प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए अपनी उम्र को कम दर्शाया। इसके लिए बकायदा पिता की तरफ से पिता ने उद्घोषणा जारी की थी। इस कारण पिता को मामले में आरोपी बनाया गया है। मामला बेहद संवेदनशील होने के चलते पांच साल से जांच में लटका हुआ था। अब पुलिस ने जो कहानी बनाई है वह उम्र को लेकर केंद्रीत कर दी है। जबकि घुड़सवारी एकेडमी (Horseriding Academy) में दाखिले के वक्त के दस्तावेज और पासपोर्ट का परीक्षण खेल एवं युवक कल्याण संचालनालय को करना था। जिसमें अफसरों ने अपनी आंखे मूंद ली। नतीजतन, इस प्रकरण के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश सरकार की किरकिरी होना तय है। मामले में बारीकी से जांच की गई तो घुड़सवार एकेडमी के कई अफसर विवादों में आ सकते हैं। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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